पटना : देश में कोरोनावायरस के खतरों को देखते हुए लॉक डाउनलोड किया गया है. लॉकडाउन के चलते लाखों की तादाद में बिहारी मजदूर दूसरे राज्यों में फंसे हैं. सीएम नीतीश कुमार लॉकडाउन का हवाला देकर मजदूरों को बुलाने से इंकार कर रहे थे. लेकिन केंद्र सरकार ने जैसे ही हरी झंडी दी बिहार सरकार ने हाथ खड़े कर दिए. बता दें कि बिहार सरकार के पास 350 सरकारी बसे हैं और ढाई सौ पीपीपी मोड की बसें हैं. इसके अलावा 15 हजार निजी बसें बिहार में है. लेकिन इतने संख्या से मजदूरों को बिहार वापस नहीं लाया जा सकता है.
केंद्र और दूसरे राज्यों को भी सहयोग करना होगा
विपक्ष ने सरकार के ढुलमुल रवैया पर सवाल खड़े किए हैं. हम पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता दानिश रिजवान ने कहा है कि सरकार अपनी जिम्मेदारियों से बचना चाहती है. ट्रेन और हवाई जहाज सेवा बाधित है और बिहार सरकार के पास संसाधन नहीं है. वैसे में यह मजदूरों को कैसे लाएंगे इन्हें बताना चाहिए. वहीं, विपक्ष के आरोपों पर बीजेपी ने पलटवार किया है. नवल किशोर यादव ने कहा कि मजदूरों को लाना सिर्फ बिहार सरकार की जिम्मेदारी नहीं है. इस काम में केंद्र और दूसरे राज्यों को भी सहयोग करना होगा.
'इस समस्या का समाधान ढूंढ लेंगे'
सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री नीरज कुमार ने कहा है कि सरकार रोड मैप बना रही है. आने वाले दिनों में हम लोग यह तय करेंगे कि मजदूरों को कैसे वापस लाया जाएगा. वहीं, श्रम संसाधन मंत्री विजय सिन्हा का मानना है कि बिहार सरकार के सामने कठिन परिस्थिति है मजदूरों को सुरक्षित कैसे लाया जाए. इसकी चिंता सरकार कर रही है. केंद्र सरकार के साथ मिलकर हम लोग इस समस्या का समाधान ढूंढ लेंगे.
बिहारी मजदूरों को लेकर केंद्र और राज्य आमने-सामने
कोरोना वायरस ने बिहारी मजदूरों का जीना मुहाल कर दिया है. दूसरे राज्यों में फंसे मजदूर लाचार और बेबसी से राज्य सरकार की ओर टकटकी लगाए बैठे हैं. 30 लाख से ज्यादा बिहारी मजदूर देश के अलग-अलग राज्यों में फंसे हैं और वह घर लौटना चाहते हैं. लेकिन बिहार सरकार के पास संसाधन का अभाव है. नीतीश सरकार मजदूरों के मसले पर लगातार पल्ला झाड़ने में लगी थी. पहले तो लॉकडाउन का हवाला देकर मजदूरों को लाने से मना किया गया. दूसरे राज्य ऐसा ना करें इसके लिए भी बिहार सरकार की ओर से प्रोटेस्ट किए गए. लेकिन कई राज्यों ने मजदूरों को अपने राज्य में बुलाने का फैसला लिया ऐसे में नीतीश कुमार पर दबाव बढ़ा और प्रधानमंत्री के साथ हुए बैठक में नियम को संशोधन करने की मांग सीएम नीतीश कुमार द्वारा रखी गई. गृह मंत्रालय ने मुख्यमंत्री के मांग को मान लिया और इजाजत दे दी.
बिहार सरकार के पास पर्याप्त संसाधन नहीं
पहले तो नीतीश कुमार ने लॉकडाउन का हवाला देकर गेंद केंद्र के पाले में डाल दिया था. लेकिन केंद्र सरकार ने नियमों में संशोधन की इजाजत देकर एक बार फिर सीएम नीतीश कुमार को धर्म संकट में डाल दिया है. बदली परिस्थितियों में बिहार सरकार अब संसाधनों का रोना रो रही है. बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने केंद्र से गुहार लगाते हुए कहा है कि बगैर स्पेशल ट्रेनों के दूसरे राज्य से मजदूरों को बिहार नहीं लाया जा सकता.