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AES ने बिहार में दी दस्तक, पिछले एक दशक में 600 से अधिक बच्चों की जा चुकी है जान

बिहार में चमकी बुखार दस्तक देने लगा है. राज्य में पहले ही दो बच्चों की मौत भी हो चुकी है. बिहार में चमकी बुखार का काफी बुरा अनुभव रहा है. 2019 में 150 बच्चों ने जान गंवाई थी. एक दशक में करीब 600 से अधिक बच्चे काल की गाल में समा गए. पढ़ें बिहार ब्यूरो चीफ अमित भेलारी की खास रिपोर्ट..

बिहार में चमकी बुखार
बिहार में चमकी बुखार
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Published : Apr 15, 2022, 10:45 PM IST

पटना: चिलचिलाती गर्मी लोगों को असहज कर रही है. वहीं एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) भी राज्य में दस्तक दे रहा है और राज्य में पहले ही दो बच्चों की मौत हो चुकी है. बुधवार को मुजफ्फरपुर के श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (एसकेएमसीएच) में एईएस से पीड़ित एक और बच्चे की मौत हो गई. स्थानीय रूप से चमकी बुखार के नाम से जानी जाने वाली बीमारी बहुत घातक है. बिहार में चमकी बुखार (Chamki Fever Start Spreading in Bihar) बहुत बुरा अनुभव है. जब 2019 में इस बीमारी के कारण 150 से अधिक बच्चों की मौत हो गई थी.

यह भी पढ़ें- मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग तैयार, लोगों से अपील- बच्चों का रखें विशेष ख्याल

मई जून में बढ़ते हैं मामलेः हर साल राज्य सरकार एईएस रोगियों के इलाज के लिए पिकू (PICU) वार्ड बनाकर मौतों को नियंत्रित करने के लिए सभी व्यवस्था करने का दावा करती है, लेकिन जब यह बीमारी अपने चरम पर पहुंच जाती है तो सभी दावे फेल हो जाते हैं. आमतौर पर मई जून में एईएस के मामले बढ़ते हैं जब पारा 42 डिग्री सेल्सियस से अधिक को छूता है. लेकिन बिहार में यह अप्रैल में ही 40 डिग्री को पार कर चुका है. पटना में गुरुवार को अधिकतम तापमान 41.2 डिग्री सेल्सियस रहा. बिहार में 2018 में सबसे खराब स्थिति देखी गई, जब 200 से अधिक बच्चों की मौत हो गई. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुरुवार को बयान जारी कर कहा कि सरकार स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है. नीतीश ने साफ तौर पर कहा कि लू शुरू हो चुकी है, ऐसे में लोगों को सभी सावधानियां बरतनी चाहिए. राज्य में अब तक 12 AES के मामले सामने आए हैं, जिनमें से अब तक दो बच्चों की मौत हो चुकी है.

तेज बुखार के तुरंत बाद आता है अटैकः चूंकि गर्मी का मौसम पिछले वर्ष की तुलना में अधिक गर्म होता है, इसलिए नीतीश ने सभी जिलाधिकारियों को राज्य में प्रचंड गर्मी को लेकर अच्छी व्यवस्था करने को कहा. इतना ही नहीं सीएम के निर्देश के बाद राज्य के आपदा प्रबंधन विभाग ने लू की स्थिति से निपटने को लेकर एडवाइजरी जारी की. विशेषज्ञ के अनुसार, AES अटैक तेज बुखार के तुरंत बाद आता है और उन बच्चों को प्रभावित करता है, जिनके ग्लूकोज का स्तर कम होता है. यही कारण है कि जिला प्रशासन ने लोगों से उचित पोषक आहार सुनिश्चित करने को कहा है. दो बच्चों की मौत से काफी पहले, राज्य सरकार को राज्य में प्रकोप का एहसास हो गया था. यही कारण था कि सीएम ने स्वास्थ्य विभाग के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक कर सिंड्रोम को नियंत्रित करने के लिए सतर्क रहने को कहा था.

स्वास्थ्य विभाग की हुई बैठकः नीतीश ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को घर पर भी लक्षणों और उपचार के बारे में लोगों को जागरूक करने के अलावा पर्याप्त संख्या में आवश्यक दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने को कहा है. सीएम की बैठक के तुरंत बाद स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी हरकत में आए और AES के संबंध में सभी जिलाधिकारियों को एसओपी जारी किया. स्वास्थ्य कार्यकर्ता अब जागरुकता पैदा करने के लिए गांवों का दौरा कर रहे हैं. डॉक्टर माता-पिता से अनुरोध कर रहे हैं कि AES के कोई लक्षण होने पर बच्चों को तुरंत अस्पताल लाएं.

एक दशक में 600 बच्चों की मौतः बिहार में पिछले एक दशक में मुख्य रूप से मुजफ्फरपुर और आसपास के जिलों जैसे वैशाली, समस्तीपुर, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, शिवहर और सीतामढ़ी में एईएस के कारण 600 से अधिक बच्चों की मौत हुई है. डॉक्टर के अनुसार एईएस एक संक्रामक रोग है, जो छोटे बच्चों को प्रभावित करता है. सिंड्रोम वायरस और बैक्टीरिया के कारण यह होता है. बिहार में अधिकांश AES मामले हाइपोग्लाइसीमिया के कारण होते हैं, जो कुपोषण और उचित आहार की कमी से संबंधित हैं. यह नहीं भूलना चाहिए कि भारत में, सबसे आम कारण वह वायरस है जो जापानी इंसेफेलाइटिस (जेई) का कारण बनता है. स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, एईएस के लगभग 40 प्रतिशत मामले जेई के कारण होते हैं.

यह हैं कुछ लक्षणः AES के कुछ महत्वपूर्ण लक्षण सिरदर्द, उल्टी, मतली और रक्त में ग्लूकोज के स्तर में अचानक गिरावट है, जिससे मरीज कोमा में जा सकते हैं. एईएस से पीड़ित बच्चों को तत्काल चिकित्सा देखभाल दी जानी चाहिए, जिससे शरीर का दर्द कम हो सके. AES मामले आने के बाद आशा और एएनएम कार्यकर्ताओं ने मुजफ्फरपुर में कांटी, मीनापुर, बोचहां, पारू और मोतीपुर जैसे प्रभावित क्षेत्रों में ओआरएस बांटना शुरू कर दिया है. आने वाले दिनों में राज्य का स्वास्थ्य विभाग आपदा प्रबंधन विभाग के साथ समन्वय कर AES से संबंधित और एडवाइजरी जारी करेगा, ताकि इस जानलेवा बीमारी से और लोगों की जान बचाई जा सके.

ये भी पढ़ें: चमकी बुखार से ऐसे बचाएं मासूमों की जान, जानें लक्षण और बचाव का तरीका

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पटना: चिलचिलाती गर्मी लोगों को असहज कर रही है. वहीं एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) भी राज्य में दस्तक दे रहा है और राज्य में पहले ही दो बच्चों की मौत हो चुकी है. बुधवार को मुजफ्फरपुर के श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (एसकेएमसीएच) में एईएस से पीड़ित एक और बच्चे की मौत हो गई. स्थानीय रूप से चमकी बुखार के नाम से जानी जाने वाली बीमारी बहुत घातक है. बिहार में चमकी बुखार (Chamki Fever Start Spreading in Bihar) बहुत बुरा अनुभव है. जब 2019 में इस बीमारी के कारण 150 से अधिक बच्चों की मौत हो गई थी.

यह भी पढ़ें- मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग तैयार, लोगों से अपील- बच्चों का रखें विशेष ख्याल

मई जून में बढ़ते हैं मामलेः हर साल राज्य सरकार एईएस रोगियों के इलाज के लिए पिकू (PICU) वार्ड बनाकर मौतों को नियंत्रित करने के लिए सभी व्यवस्था करने का दावा करती है, लेकिन जब यह बीमारी अपने चरम पर पहुंच जाती है तो सभी दावे फेल हो जाते हैं. आमतौर पर मई जून में एईएस के मामले बढ़ते हैं जब पारा 42 डिग्री सेल्सियस से अधिक को छूता है. लेकिन बिहार में यह अप्रैल में ही 40 डिग्री को पार कर चुका है. पटना में गुरुवार को अधिकतम तापमान 41.2 डिग्री सेल्सियस रहा. बिहार में 2018 में सबसे खराब स्थिति देखी गई, जब 200 से अधिक बच्चों की मौत हो गई. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुरुवार को बयान जारी कर कहा कि सरकार स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है. नीतीश ने साफ तौर पर कहा कि लू शुरू हो चुकी है, ऐसे में लोगों को सभी सावधानियां बरतनी चाहिए. राज्य में अब तक 12 AES के मामले सामने आए हैं, जिनमें से अब तक दो बच्चों की मौत हो चुकी है.

तेज बुखार के तुरंत बाद आता है अटैकः चूंकि गर्मी का मौसम पिछले वर्ष की तुलना में अधिक गर्म होता है, इसलिए नीतीश ने सभी जिलाधिकारियों को राज्य में प्रचंड गर्मी को लेकर अच्छी व्यवस्था करने को कहा. इतना ही नहीं सीएम के निर्देश के बाद राज्य के आपदा प्रबंधन विभाग ने लू की स्थिति से निपटने को लेकर एडवाइजरी जारी की. विशेषज्ञ के अनुसार, AES अटैक तेज बुखार के तुरंत बाद आता है और उन बच्चों को प्रभावित करता है, जिनके ग्लूकोज का स्तर कम होता है. यही कारण है कि जिला प्रशासन ने लोगों से उचित पोषक आहार सुनिश्चित करने को कहा है. दो बच्चों की मौत से काफी पहले, राज्य सरकार को राज्य में प्रकोप का एहसास हो गया था. यही कारण था कि सीएम ने स्वास्थ्य विभाग के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक कर सिंड्रोम को नियंत्रित करने के लिए सतर्क रहने को कहा था.

स्वास्थ्य विभाग की हुई बैठकः नीतीश ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को घर पर भी लक्षणों और उपचार के बारे में लोगों को जागरूक करने के अलावा पर्याप्त संख्या में आवश्यक दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने को कहा है. सीएम की बैठक के तुरंत बाद स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी हरकत में आए और AES के संबंध में सभी जिलाधिकारियों को एसओपी जारी किया. स्वास्थ्य कार्यकर्ता अब जागरुकता पैदा करने के लिए गांवों का दौरा कर रहे हैं. डॉक्टर माता-पिता से अनुरोध कर रहे हैं कि AES के कोई लक्षण होने पर बच्चों को तुरंत अस्पताल लाएं.

एक दशक में 600 बच्चों की मौतः बिहार में पिछले एक दशक में मुख्य रूप से मुजफ्फरपुर और आसपास के जिलों जैसे वैशाली, समस्तीपुर, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, शिवहर और सीतामढ़ी में एईएस के कारण 600 से अधिक बच्चों की मौत हुई है. डॉक्टर के अनुसार एईएस एक संक्रामक रोग है, जो छोटे बच्चों को प्रभावित करता है. सिंड्रोम वायरस और बैक्टीरिया के कारण यह होता है. बिहार में अधिकांश AES मामले हाइपोग्लाइसीमिया के कारण होते हैं, जो कुपोषण और उचित आहार की कमी से संबंधित हैं. यह नहीं भूलना चाहिए कि भारत में, सबसे आम कारण वह वायरस है जो जापानी इंसेफेलाइटिस (जेई) का कारण बनता है. स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, एईएस के लगभग 40 प्रतिशत मामले जेई के कारण होते हैं.

यह हैं कुछ लक्षणः AES के कुछ महत्वपूर्ण लक्षण सिरदर्द, उल्टी, मतली और रक्त में ग्लूकोज के स्तर में अचानक गिरावट है, जिससे मरीज कोमा में जा सकते हैं. एईएस से पीड़ित बच्चों को तत्काल चिकित्सा देखभाल दी जानी चाहिए, जिससे शरीर का दर्द कम हो सके. AES मामले आने के बाद आशा और एएनएम कार्यकर्ताओं ने मुजफ्फरपुर में कांटी, मीनापुर, बोचहां, पारू और मोतीपुर जैसे प्रभावित क्षेत्रों में ओआरएस बांटना शुरू कर दिया है. आने वाले दिनों में राज्य का स्वास्थ्य विभाग आपदा प्रबंधन विभाग के साथ समन्वय कर AES से संबंधित और एडवाइजरी जारी करेगा, ताकि इस जानलेवा बीमारी से और लोगों की जान बचाई जा सके.

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