पटना: भगवान सूर्य की उपासना वाली महापर्व चैती छठ की शुरुआत शुक्रवार को नहाए खाए के साथ हो गई. कोरोना के संक्रमण के चलते प्रशासन ने लोगों से अपने घर पर ही छठ पूजा करने की अपील की है. गंगा घाट पर छठ पूजा के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई है. प्रशासन ने सार्वजनिक स्थलों पर छठ पूजा पर रोक लगा दी है.
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नहाए खाए के दिन छठ व्रती स्नान करती हैं. इसके बाद शुद्ध कपड़े पहनकर और शुद्धता के साथ चावल, चना दाल और लौकी की सब्जी खाती हैं. नहाय खाय के अगले दिन शाम को खरना होता है. इस दिन व्रती को सुबह से लेकर शाम तक निर्जला व्रत रखना होता है. व्रती शाम में मिट्टी के चूल्हे पर दूध और गुड़ से बनी खीर बनाकर, छठी मईया को भोग लगाकर प्रसाद ग्रहण करती हैं. इसके बाद 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो जाता है. 18 अप्रैल को अस्ताचलगामी (अस्त हो रहे) सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. इस दिन छठ व्रती नदी या तालाब के किनारे स्थित घाट पर जाकर सूर्य को अर्घ्य देती हैं. सोमवार सुबह उदित हो रहे सूर्य को अर्घ्य देकर चैती छठ का समापन हो जाएगा.
घाट पर जाने पर रोक
कोरोना की वजह से लगी पाबंदियों के कारण इस साल लोग घाट पर नहीं जा पाएंगे. हालांकि कई छठ व्रतियों का कहना है कि कोरोना से डर सभी को लगता है, लेकिन छठ पर्व करना है. ऐसे में जिनके घर पर अर्घ्य देने की व्यवस्था नहीं होगी, वे तो गंगा घाट पर जाकर अर्घ्य देंगी ही.
गौरतलब है कि पटना के मोहल्लों में नगर निगम द्वारा गंगा जल का वितरण किया जा रहा है ताकि छठ व्रतियों को परेशानी न हो. प्रशासन की तरफ से गंगा घाट पर छठ पूजा करने पर रोक लगा दी गई है. गंगा घाट पर पूजा के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई है.
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