पटनाः चैत्र महीने में मनाए जाने वाला लोक आस्था का चार दिवसीय छठ पर्व मंगलवार को उदयमान सूर्य को अर्ध्य देकर संपन्न हो गया. हालांकि कोरोना वायरस महामारी के संक्रमण के कारण लोग घाटों पर नहीं जा सके. राज्य के विभिन्न जिलों में लोगों ने घरों और पोखर बनाकर पूरे आस्था के साथ छठ व्रत किया. यह पर्व बिहार की वैदिक आर्य संस्कृति की एक छोटी सी झलक दिखाता है. यह ऋषि द्वारा लिखी गई ऋग्वेद में सूरज पूजन, उषा पूजन और आर्य परंपरा के अनुसार मनाया जाता है.
नहीं नजर आई सोशल डिस्टेंसिंग
राजधानी में साहित्य सम्मेलन के पास रहने वाली छठ व्रतियों ने साहित्य सम्मेलन के अंदर ही पोखर का निर्माण कर उदयमान सूर्य को अर्ध्य दिया. हालांकि इस दौरान भी सोशल डिस्टेंसिंग कहीं नजर नहीं आई. बता दें कि जिला प्रशासन ने पटना के गंगा घाटों पर इस साल छठ व्रतियों को अर्ध्य देने से मना किया था.
व्रत का समापन
भागलपुर के बब्बर गंज स्थित पशुपतिनाथ मंदिर में कृत्रिम तालाब बनाकर लोगों ने लोक आस्था के महापर्व के चौथे दिन उदयमान सूर्य को अर्ध्य देकर व्रत का समापन किया. चार दिनों तक चलने वाले इस पर्व की शुरुआत नहाए खाए से हुई थी. जिसके बाद खरना, संध्या अर्ध्य और सुबह भगवान भास्कर को अर्घ्य देकर इसका समापन हो गया. इस दौरान व्रतियों ने भगवान भास्कर से परिवार की सुख समृद्धि की कामना की.
छठ गीतों से गूंजते रहे घर
रोहतास के दावथ, दिनारा और सूर्यपुरा में लॉक डाउन का असर चैती छठ पर देखने को मिला. छठ व्रतियों ने अपने घर के छत पर उगते सूर्य को अर्ध्य देकर व्रत का समापन किया. इस दौरान उगा हो सुरुजदेव भिन भिनसरवा अरघ केर-बेरवा , पूजन केर-बेरवा हो जैसे छठ गीतों से सभी घर गूंजते रहे.
विश्व कल्याण की कामना
भोजपुर में भी सूर्य उपासना के महापर्व छठ पर कोरोना का असर देखने को मिला. कोइलवर सोन नदी में इस महापर्व पर लाखों की भीड़ उमड़ती थी. लेकिन इस बार यहां छठव्रतियों की भीड़ न के बराबर देखी गई. लोगों ने अपने घर पर ही मंगलवार को उगते सूर्य को अर्ध्य देकर व्रत का समापन किया. इसके साथ ही व्रतियों ने अपने परिवार और विश्व कल्याण की कामना की.