पटना: काफी जद्दोजहद के बाद आखिरकार केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की बातों को मान लिया है. बुधवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक निर्देश जारी किया है कि अन्य राज्यों में रहने वाले वैसे लोग जो अपने घरों को लौटना चाहते हैं उनके लिए विशेष व्यवस्था की जाएगी. इसमें विशेष बस के जरिए सभी लोगों को उनके घरों तक पहुंचाया जाएगा.
मजदूरों की मजदूरी को देखते हुए हुआ निर्णय
लॉकडाउन के दौरान बिहार में लगातार अन्य राज्यों से अपने-अपने घरों को लौटने के लिए सरकारी दफ्तरों और मुख्यमंत्री आवास में फोन की घंटियां बज रही हैं. केंद्र सरकार ने निर्णय लिया है कि जो भी व्यक्ति अपने राज्य वापस लौटने की इच्छा रखता है उसे विशेष प्रोटोकॉल के तहत भेजा जाएगा. विशेष गाड़ियों से उन्हें अपने घर भेजा जाएगा. गाड़ियों को पहले सेनेटाइज किया जाएगा. जाने वाले यात्रियों की यात्रा से पहले स्क्रीनिंग की जाएगी और जब वे अपने शहर तक पहुंचेंगे तो उनकी स्वास्थ्य जांच कराने के बाद क्वॉरेंटाइन में रखा जाएगा.
हिसुआ विधायक ने की शुरुआत
बता दें कि बिहार में इस मामले ने तब तूल पकड़ा जब नवादा के हिसुआ विधायक अनिल कुमार सिंह अपनी गाड़ी से कोटा में पढ़ रही पुत्री को घर ले आए थे. इसके बाद से ही सभी अभिभावक अपने-अपने बच्चों को घर लाने की मांग कर रहे थे. लेकिन बिहार के मुखिया नीतीश कुमार लगातार केंद्र सरकार के नियमों का हवाला दे रहे थे. उनका कहना था कि पूरे देश में एक कानून के आधार पर काम होना चाहिए. क्योंकि कई राज्यों की सरकार विशेष बस की व्यवस्था कर अपने-अपने राज्यों में लोगों को ला रही थी. इसके बाद मामल ने और तूल पकड़ लिया.
सीएम ने की थी पीएम से बात
दूसरे राज्यों में सबसे ऊपर उत्तर प्रदेश की योगी सरकार थी जिसका हवाला बिहार के लोग लगातार दे रहे थे. इसी के बाद नीतीश कुमार ने दो टूक जवाब देते हुए प्रधानमंत्री से कहा था कि देश में एक कानून के आधार पर काम होना चाहिए. अगर इस बीच कोई भी राज्य की सरकार विशेष बस से अपने लोगों को ला रही है तो उसे लॉकडाउन का उल्लंघन माना जाएगा. 2 दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कर मुख्यमंत्रियों से बात की थी, जिसमें नीतीश कुमार ने इन बातों को प्रमुखता से रखा था. इसके बाद बुधवार को गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को चिट्ठी जारी कर विशेष प्रोटोकॉल के तहत अपने राज्यों में लोगों को लाने की बात कही.