पटना: बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था के मामले में बिहार में विपक्ष लगातार सरकार को आईना दिखा रहा है. ग्रामीण इलाकों के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और स्वास्थ्य उप केंद्रों की फोटो हर दिन सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. तस्वीरों में दिखाया जा रहा है कि किस तरह अस्पताल बंद पड़े हैं और इनपर गाय व भैंस का कब्जा है. गांव के लोग इलाज के लिए भटकने को मजबूर हैं. विपक्ष ने सीबीआई से इसकी जांच कराने की मांग की है.
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अधिकांश अस्पतालों की जमीन पर है कब्जा
सरकारी अस्पतालों की जमीन कब्जा मुक्त कराने की लड़ाई लड़ रहे सोशल एक्टिविस्ट विकास चंद्र उर्फ गुड्डू बाबा ने कहा कि सिविल सर्जन के अधीन बिहार की जितनी अस्पतालें हैं अधिकांश की जमीन पर कब्जा है. अस्पतालों की चाहरदीवारी नहीं बनाई गई. जहां बनाई गईं वहां टूटी पड़ी हैं.
यह मामला 2016 में प्रकाश में आया था. इसके बाद कोर्ट ने हस्तक्षेप किया तो सरकार जगी. अभी भी इस मामले की मॉनिटरिंग कोर्ट कर रही है. हजारों एकड़ जमीन को कब्जा मुक्त कराया गया है. यह काफी दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति रही है कि सरकार को पता नहीं था कि स्वास्थ्य विभाग की कितनी जमीन है. कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया है कि बिहार के सभी सरकारी अस्पतालों की जमीन की मापी कराए और उसकी चाहरदीवारी से घेराबंदी कराए.
कुछ उदाहरण जहां अतिक्रमण है
- दरभंगा: कुशेश्वर स्थान, बिरौल और बहेड़ी
- पश्चिम चंपारण: मधुबनी
- गोपालगंज: कई स्वास्थ्य उपकेंद्र
- जहानाबाद: काको प्रखंड के कई स्वास्थ्य केंद्र
- गया: स्वास्थ्य उप केंद्र
सीबीआई से हो जांच
राष्ट्रीय जनता दल ने स्वास्थ्य उप केंद्रों की बदहाली पर सवाल खड़ा किया है. राजद प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने कहा "बिहार के उप स्वास्थ्य केंद्र, कम्युनिटी स्वास्थ्य केंद्र और अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र की बदसूरत तस्वीरें सामने आ रहीं हैं. इससे दम तोड़ रही ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था की कलई खुल गई है."
"हजार से अधिक उप स्वास्थ्य केंद्र कागजों पर चल रहे हैं. आखिर इनके पैसे कहां जा रहे हैं? भवन निर्माण और रख-रखाव के पैसे, मेडिकल उपकरण और दवा के पैसे कहां जा रहे हैं? वहां पदस्थापित स्वास्थ्य कर्मियों के वेतन का भुगतान कौन कर रहा है? इसमें बड़े संगठित भ्रष्टाचार की गंध आती है. यह पूरा मामला सीबीआई जांच का बनता है. राजद इसकी सीबीआई से जांच कराने की मांग करता है."- शक्ति सिंह यादव, प्रवक्ता, राजद
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