पटना: बिहार में तेजी से कोरोना संक्रमण फैल चुका है. जिससे की स्वास्थ्य व्यवस्था लगभग चरमरा गई है. अन्य दूसरी गंभीर बीमारियों के मरीजों को इलाज कराने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. खासकर बात अगर करें कैंसर पेशेंट्स की तो कोरोना के कारण ऐसे मरीजों को काफी मुश्किलें हो रही है. बता दें कि कोरोना के कारण प्रदेश में अब तक जितनी भी मौतें हुई हैं, उनमें पूर्व से कैंसर से ग्रसित लोगों की संख्या काफी ज्यादा है.
'कैंसर पेशेंट में कोविड-19 की संभावना सबसे अधिक'
पटना के कंकड़बाग स्थित सवेरा कैंसर हॉस्पिटल के कैंसर विशेषज्ञ डॉक्टर आरके सक्सेना ने बताया कि कैंसर पेशेंट में कोविड-19 के होने की संभावना ज्यादा प्रबल होती है. क्योंकि कैंसर मरीजों का इम्यूनिटी लेवल सामान्य लोगों के अपेक्षाकृत काफी कम होता है.
उन्होंने कहा कि कैंसर पेशेंट्स को अगर जरा भी कोरोना के लक्षण नजर आए तो वे सबसे पहले खुद को आइसोलेट करे और फिर कोविड-19 का जांच कराएं. अगर रिपोर्ट पॉजिटिव आता है तो इलाज करने का प्रक्रिया अलग होता है और नेगेटिव आते हैं तो उन्हें नॉर्मल तरीके से इलाज किया जाता है.
'बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को लेकर उठाया सवाल'
डॉक्टर आरके सक्सेना ने कई कोविड-19 संक्रमित कैंसर पेशेंट का भी इलाज किया है. इलाज के अनुभव के बारे में बताते हुए डॉक्टर सक्सेना ने बताया कि संक्रमित मरीजों का इलाज करने का उनका अनुभव काफी कम दिनों का रहा है. लेकिन वे जब वह कोविड-19 से संक्रमित पेशेंट का इलाज करते थे, तब अजीब अनुभूति होती थी. खुद को लेकर भी डर लगा रहता था. लेकिन अब धीरे-धीरे आम आदमी भी संक्रमण को बारे में समझ चुका है. तमाम सावधानियों को बरतते हुए लोग हम अपना कार्य कर कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि बिहार प्रदेश की एक अजीब विडंबना रही है कि कोरोना में एम्स किस प्रकार इलाज कर रहा है और एनएमसीएच और पीएमसीएच की क्या कुछ स्थिति है वह किसी से छिपा हुआ नहीं है. उन्होंने बताया कि वह भी बिहार के ही एक मेडिकल कॉलेज से पासआउट हैं, लेकिन उन्होंने यह अनुभव किया है कि राज्य में खेमा बंदियों के कारण स्वास्थ्य व्यवस्था लचर है. उन्होंने कहा कि आईजीआईएमएस और एसजीपीजीआई एक साथ तैयार हुए थे और मेडिकल फैसिलिटी में एसजीपीजीआई कहां से कहां चला गया और आईजीआईएमएस वहीं का वहीं है.