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कैट 1 फरवरी से शुरू कर रहा व्यापार संवाद अभियान, जानिए कौन-कौन से मुद्दे हैं शामिल - बहुप्रतीक्षित ई कॉमर्स नीति

कैट अगामी 1 फरवरी से व्यापारी संवाद अभियान की शुरुआत करने जा रहे हैं. यह संवाद अभियान कार्यक्रम 28 फरवरी तक चलेगा. जिसमें विभिन्न मुद्दें शामिल हैं. पढ़ें पूरी रिपोर्ट...

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Published : Jan 31, 2022, 9:10 AM IST

पटना: कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्ज (कैट) आगामी 1 फरवरी से 28 फरवरी तक एक महीने का मेगा राष्ट्रीय अभियान (Mega Rashtriya Abhiyan) चलाने जा रहा है. जिसमें विभिन्न मुद्दा बहुप्रतीक्षित ई-कॉमर्स नीति, राष्ट्रीय खुदरा नीति लागू करने, सरकार द्वारा हो रही देरी और जीएसटी कराधान प्रणाली में बढ़ती जटिलताओं समेत व्यापार पर हो रही चौतरफा हमला शामिल है. जिसमें वह 'व्यापारी संवाद' (Vyapar Sanwad) शुरू करने के लिए तैयार है. जिसके माध्यम से कैट भारत के खुदरा व्यापार पर एक सर्वेक्षण भी तैयार करेगा. इस बात की जानकारी कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने दी है.

यह सर्वेक्षण खुदरा व्यापार की क्षमता, व्यापारियों के सामने आ रही चुनौतियों और सुझावात्मक उपचारात्मक उपायों के संदर्भ में सबसे बड़ा सर्वेक्षण होगा. भारत में खुदरा व्यापार लगभग 130 लाख करोड़ रुपये का वार्षिक कारोबार कर रहा है. लेकिन यह विडंबना है कि यह क्षेत्र भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना जाता है, जबकि केंद्र और राज्यों दोनों में कोई आंतरिक मंत्रालय नहीं है और न ही कोई नीति है. इसलिए कैट ने अब व्यापारिक समुदाय की ताकत को मजबूत करने का फैसला किया है. जिसे वोट बैंक में परिवर्तित किया जाएगा.

इसे भी पढ़ें: कोरोना ने बिहार व्यापार को किया प्रभावित, 50 फीसदी गिरा व्यापार, जानें क्या कहते हैं अध्यक्ष

देश में सब कुछ वोट बैंक की राजनीति से तय होता है, तो व्यापारी पीछे क्यों रहे. कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया ने कहा कि एक महीने के लंबे राष्ट्रीय अभियान के दौरान जिसका नाम 'व्यपारी संवाद' है, के माध्यम से कैट पूरे देश में 40 हजार से अधिक व्यापार संघों के माध्यम से करोड़ों व्यापारियों तक पहुंचेगा. व्यापारियों के बीच एक प्रकार का जनमत जागरण भी करेगा. ई-कॉमर्स और जीएसटी से संबंधित मुद्दों पर त्वरित कार्रवाई की आवश्यकता और व्यापारियों को वोट बैंक में बदलने की आवश्यकता के बारे में भौतिक और डिजिटल दोनों तरीकों से जनमत सर्वेक्षण भी आयोजित किए जाएंगे.

ये भी पढ़ें: पटना में पुलिस और व्यापारियों के बीच बैठक, मिला सुरक्षा का आश्वासन

भरतिया ने देश की राजनीतिक बिरादरी पर कड़ा प्रहार करते हुए इस बात का कड़ा विरोध किया कि व्यापारियों को सरकारों द्वारा हल्के में लिया गया है. यह सबसे आश्चर्यजनक है कि व्यापारियों द्वारा उठाए गए गंभीर मुद्दे नीति निर्माताओं के विचार-विमर्श और निष्पादन विंग दोनों के कानों पर जूं तक नहीं रेंगती है. भरतिया और खंडेलवाल दोनों ने दो प्रमुख ज्वलंत मुद्दों ई-कॉमर्स और जीएसटी कराधान प्रणाली पर सरकार के काम करने के बारे में गंभीर असंतोष व्यक्त किया.

भारत में बड़ी-बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियां लगातार कानूनों और नियमों का उल्लंघन कर रही है. जिन पर गांजा जैसी प्रतिबंधित वस्तुओं की बिक्री की सुविधा देने का आरोप है. ये कम्पनियां अपने पोर्टल पर बम बनाने के लिए आवश्यक विस्फोटक, जो आतंकवादी गतिविधियों में उपयोग किए जाते हैं उनको और जहर आदि बेचने की सुविधा प्रदान करते हैं. उनपर कोई कार्रवाई करने के बजाय, विभिन्न सरकारें इनके साथ शामिल हो कर विभिन्न क्षेत्रों के कथित सशक्तिकरण की आड़ में इन कम्पनियों को अपना खेल खेलने की इजाजत दी गई है.

यह भी खेद है कि जब भी कोई अधिकारी इन कंपनियों के खिलाफ जांच करता है, तो संबंधित अधिकारी को स्थानांतरित कर दिया जाता है. यह मध्य प्रदेश के एसपी के मामले में हुआ और यह विश्वसनीय रूप से पता चला है कि सीसीआई में अमेजॉन के खिलाफ जांच का प्रभार किसी अन्य जांच अधिकारी को सौंप दिया गया है. इन उदाहरणों से संकेत मिलता है कि इन कंपनियों को जानबूझकर एक मार्ग प्रदान किया जाता है. जिससे वे अपनी कुप्रथाओं को जारी रख सकें. अनेक सबूत पेश करने के बावजूद कार्रवाई क्यों नहीं हुई, यह एक अनसुलझा रहस्य बना हुआ है.

कैट बिहार अध्यक्ष अशोक वर्मा सोनार व कैट राष्ट्रीय सचिव व एआईजेजीएफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंकज अरोड़ा ने कहा कि मौजूदा जीएसटी व्यवस्था व्यापार करने में आसानी प्रदान करने से कहीं अधिक जटिल साबित हुई है. जीएसटी में विकृतियां और असमानता बन गई है. विभिन्न प्रकार के रिटर्न फॉर्म दाखिल करना, विभिन्न राज्यों में कर दरों में भिन्नता, जीएसटी अधिनियम और नियमों में परिवर्तन जारी है. कच्चे माल पर अधिक कर के कारण इनपुट टैक्स क्रेडिट का संचय और संबंधित वस्तु पर कम कर की दर, विभिन्न राज्यों में अलग-अलग नियम एक ही वस्तु, अधिकारियों को सौंपी गई है. साथ ही अत्यधिक और अनियंत्रित शक्तियां, तर्कहीन कर दर और अन्य कर संबंधी मुद्दों ने व्यापारियों को एक 'मुंशी' के रूप में कम कर दिया है. हालांकि, कैट कर चोरों के खिलाफ है और उन्हें अनुकरणीय दंड देने के पक्ष में है.

भरतिया एवं खंडेलवाल ने कहा कि 'व्यापारी संवाद' अभियान के लिए कैट ने विभिन्न राज्यों में लगभग 1200 शहरों की पहचान की है. जिनका दौरा कैट द्वारा गठित व्यापारी नेताओं की विशेष टीम द्वारा किया जाएगा, जो सामान्य व्यापारियों तक पहुंचेगा और उन्हें शिकायतों के निवारण के लिए देश में एक वोट बैंक के रूप में परिवर्तन होने के महत्व के बारे में अवगत कराएगें. कैट बिहार अध्यक्ष अशोक वर्मा सोनार ने कहा की बिहार के विभिन्न क्षेत्रों के व्यापारियों संग जीएसटी कौंसिल के सदस्य उपमुख्यमंत्री तार किशोर प्रसाद व जीएसटी के वरिष्ठ पदाधिकारी, सीए, एकाउंटेंट, व्यापारिक संगठनों के साथ एक बैठक बिहार में आयोजित करेंगे.

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पटना: कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्ज (कैट) आगामी 1 फरवरी से 28 फरवरी तक एक महीने का मेगा राष्ट्रीय अभियान (Mega Rashtriya Abhiyan) चलाने जा रहा है. जिसमें विभिन्न मुद्दा बहुप्रतीक्षित ई-कॉमर्स नीति, राष्ट्रीय खुदरा नीति लागू करने, सरकार द्वारा हो रही देरी और जीएसटी कराधान प्रणाली में बढ़ती जटिलताओं समेत व्यापार पर हो रही चौतरफा हमला शामिल है. जिसमें वह 'व्यापारी संवाद' (Vyapar Sanwad) शुरू करने के लिए तैयार है. जिसके माध्यम से कैट भारत के खुदरा व्यापार पर एक सर्वेक्षण भी तैयार करेगा. इस बात की जानकारी कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने दी है.

यह सर्वेक्षण खुदरा व्यापार की क्षमता, व्यापारियों के सामने आ रही चुनौतियों और सुझावात्मक उपचारात्मक उपायों के संदर्भ में सबसे बड़ा सर्वेक्षण होगा. भारत में खुदरा व्यापार लगभग 130 लाख करोड़ रुपये का वार्षिक कारोबार कर रहा है. लेकिन यह विडंबना है कि यह क्षेत्र भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना जाता है, जबकि केंद्र और राज्यों दोनों में कोई आंतरिक मंत्रालय नहीं है और न ही कोई नीति है. इसलिए कैट ने अब व्यापारिक समुदाय की ताकत को मजबूत करने का फैसला किया है. जिसे वोट बैंक में परिवर्तित किया जाएगा.

इसे भी पढ़ें: कोरोना ने बिहार व्यापार को किया प्रभावित, 50 फीसदी गिरा व्यापार, जानें क्या कहते हैं अध्यक्ष

देश में सब कुछ वोट बैंक की राजनीति से तय होता है, तो व्यापारी पीछे क्यों रहे. कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया ने कहा कि एक महीने के लंबे राष्ट्रीय अभियान के दौरान जिसका नाम 'व्यपारी संवाद' है, के माध्यम से कैट पूरे देश में 40 हजार से अधिक व्यापार संघों के माध्यम से करोड़ों व्यापारियों तक पहुंचेगा. व्यापारियों के बीच एक प्रकार का जनमत जागरण भी करेगा. ई-कॉमर्स और जीएसटी से संबंधित मुद्दों पर त्वरित कार्रवाई की आवश्यकता और व्यापारियों को वोट बैंक में बदलने की आवश्यकता के बारे में भौतिक और डिजिटल दोनों तरीकों से जनमत सर्वेक्षण भी आयोजित किए जाएंगे.

ये भी पढ़ें: पटना में पुलिस और व्यापारियों के बीच बैठक, मिला सुरक्षा का आश्वासन

भरतिया ने देश की राजनीतिक बिरादरी पर कड़ा प्रहार करते हुए इस बात का कड़ा विरोध किया कि व्यापारियों को सरकारों द्वारा हल्के में लिया गया है. यह सबसे आश्चर्यजनक है कि व्यापारियों द्वारा उठाए गए गंभीर मुद्दे नीति निर्माताओं के विचार-विमर्श और निष्पादन विंग दोनों के कानों पर जूं तक नहीं रेंगती है. भरतिया और खंडेलवाल दोनों ने दो प्रमुख ज्वलंत मुद्दों ई-कॉमर्स और जीएसटी कराधान प्रणाली पर सरकार के काम करने के बारे में गंभीर असंतोष व्यक्त किया.

भारत में बड़ी-बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियां लगातार कानूनों और नियमों का उल्लंघन कर रही है. जिन पर गांजा जैसी प्रतिबंधित वस्तुओं की बिक्री की सुविधा देने का आरोप है. ये कम्पनियां अपने पोर्टल पर बम बनाने के लिए आवश्यक विस्फोटक, जो आतंकवादी गतिविधियों में उपयोग किए जाते हैं उनको और जहर आदि बेचने की सुविधा प्रदान करते हैं. उनपर कोई कार्रवाई करने के बजाय, विभिन्न सरकारें इनके साथ शामिल हो कर विभिन्न क्षेत्रों के कथित सशक्तिकरण की आड़ में इन कम्पनियों को अपना खेल खेलने की इजाजत दी गई है.

यह भी खेद है कि जब भी कोई अधिकारी इन कंपनियों के खिलाफ जांच करता है, तो संबंधित अधिकारी को स्थानांतरित कर दिया जाता है. यह मध्य प्रदेश के एसपी के मामले में हुआ और यह विश्वसनीय रूप से पता चला है कि सीसीआई में अमेजॉन के खिलाफ जांच का प्रभार किसी अन्य जांच अधिकारी को सौंप दिया गया है. इन उदाहरणों से संकेत मिलता है कि इन कंपनियों को जानबूझकर एक मार्ग प्रदान किया जाता है. जिससे वे अपनी कुप्रथाओं को जारी रख सकें. अनेक सबूत पेश करने के बावजूद कार्रवाई क्यों नहीं हुई, यह एक अनसुलझा रहस्य बना हुआ है.

कैट बिहार अध्यक्ष अशोक वर्मा सोनार व कैट राष्ट्रीय सचिव व एआईजेजीएफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंकज अरोड़ा ने कहा कि मौजूदा जीएसटी व्यवस्था व्यापार करने में आसानी प्रदान करने से कहीं अधिक जटिल साबित हुई है. जीएसटी में विकृतियां और असमानता बन गई है. विभिन्न प्रकार के रिटर्न फॉर्म दाखिल करना, विभिन्न राज्यों में कर दरों में भिन्नता, जीएसटी अधिनियम और नियमों में परिवर्तन जारी है. कच्चे माल पर अधिक कर के कारण इनपुट टैक्स क्रेडिट का संचय और संबंधित वस्तु पर कम कर की दर, विभिन्न राज्यों में अलग-अलग नियम एक ही वस्तु, अधिकारियों को सौंपी गई है. साथ ही अत्यधिक और अनियंत्रित शक्तियां, तर्कहीन कर दर और अन्य कर संबंधी मुद्दों ने व्यापारियों को एक 'मुंशी' के रूप में कम कर दिया है. हालांकि, कैट कर चोरों के खिलाफ है और उन्हें अनुकरणीय दंड देने के पक्ष में है.

भरतिया एवं खंडेलवाल ने कहा कि 'व्यापारी संवाद' अभियान के लिए कैट ने विभिन्न राज्यों में लगभग 1200 शहरों की पहचान की है. जिनका दौरा कैट द्वारा गठित व्यापारी नेताओं की विशेष टीम द्वारा किया जाएगा, जो सामान्य व्यापारियों तक पहुंचेगा और उन्हें शिकायतों के निवारण के लिए देश में एक वोट बैंक के रूप में परिवर्तन होने के महत्व के बारे में अवगत कराएगें. कैट बिहार अध्यक्ष अशोक वर्मा सोनार ने कहा की बिहार के विभिन्न क्षेत्रों के व्यापारियों संग जीएसटी कौंसिल के सदस्य उपमुख्यमंत्री तार किशोर प्रसाद व जीएसटी के वरिष्ठ पदाधिकारी, सीए, एकाउंटेंट, व्यापारिक संगठनों के साथ एक बैठक बिहार में आयोजित करेंगे.

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