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उपेंद्र कुशवाहा ने भी माना.. बिहार में चरम पर है अफसरशाही, बढ़ सकती है नीतीश की मुश्किल

सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) के हाथों में लंबे समय से बिहार के सत्ता की बागडोर है. सीएम नीतीश अपने नौकरशाहों के दम पर सुशासन (Good Governance) का दावा करते हैं. लेकिन अब उनके पार्टी के नेता ही खुलकर कहने लगे हैं कि अफसरशाही से राज्य की जनता और जनप्रतिनिधि भी तंग आ चुके हैं.

फसरशाही से नीतीश कुमार की बढ़ सकती है मुश्किल
फसरशाही से नीतीश कुमार की बढ़ सकती है मुश्किल
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Published : Jul 19, 2021, 8:40 AM IST

Updated : Jul 19, 2021, 9:31 AM IST

पटना: बिहार की राजनीति की चाणक्य कहे जाने वाले सूबे के सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) की मुश्किलें अब बढ़ती जा रही हैं. दरअसल, विपक्षी पार्टियां हमेशा से आरोप लगाती रही हैं कि मुख्यमंत्री अफसरों (Bureaucrats) के भरोसे ही सरकार चला रहे हैं. सूबे में जनप्रतिनिधियों की पूछ नहीं है. गाहे-बगाहे बीजेपी के मंत्री भी इस मामले को हमेशा उठाते रहे हैं.

पिछले दिनों ट्रांसफर पोस्टिंग को लेकर यही बात जदयू कोटे के मंत्री मदन सहनी ने भी कहा था. अब हाल ही में जनता दल यूनाइटेड में शामिल होने के बाद अपनी बिहार यात्रा करने के दौरान उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) ने भी कबूल किया है कि अफसरशाही हावी है. सरकारी दफ्तरों में अधिकारियों का जो रवैया है, उससे लोगों में नाराजगी है.

इसे भी पढ़ें : नीतीश कुमार के खिलाफ क्यों दर्ज नहीं हो रही FIR, सरकार दे जवाब: तेजस्वी यादव

सूबे में अफसरशाही बेलगाम है. इस तरह की बात आम तौर पर विपक्ष करता रहा है. कभी-कभार बीजेपी के नेता और मंत्री भी इसे उठाते रहे हैं. यह भी सही है की अफसरशाही के कारण जदयू के भी कई मंत्री और विधायक परेशान रहते हैं. अभी हाल ही में मदन सहनी ने खुलकर अपनी बात कही थी. हालांकि बाद में नीतीश कुमार के हस्तक्षेप से मामला सुलझ गया था. जहां नीतीश कुमार की कुछ अफसरों पर अधिक मेहरबानी रहती है तो कुछ को उनकी नाराजगी का भी सामना करना पड़ता है. वरिष्ठ आईएएस अधिकारी सुधीर कुमार जिस प्रकार से थाने पहुंचकर मुख्यमंत्री और सरकार के चुनिंदा अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर कराना चाहते थे, यह उसका सबसे बड़ा उदाहरण है.

देखें वीडियो

वहीं विशेषज्ञ भी कहते हैं कि अफसरशाही इसलिए हावी हैं क्योंकि नीतीश कुमार उन पर ज्यादा विश्वास करते हैं. कई बार यही उनके लिए परेशानी पैदा करते हैं. वहीं जदयू के वरिष्ठ नेता और सांसद का कहना है कि नीतीश कुमार ब्यूरोक्रेसी को लेकर गंभीर भी रहे हैं. शिकायत मिलने पर बड़ी कार्रवाई भी करते रहे हैं. अभी बालू खनन मामले में की गई कार्रवाई उदाहरण है.

'राज्य में अफसरशाही को लेकर जो भी बातें सामने आ रही हैं मुख्यमंत्री के संज्ञान में हैं. बीजेपी के दोनों डिप्टी सीएम भी इस मामले पर नजर रखे हुए हैं. नीतीश कुमार निश्चित रूप से इस मामले का समाधान निकालेंगे. विपक्ष को इसकी चिंता करने की जरुरत नहीं है.' :- विनोद शर्मा, बीजेपी प्रवक्ता

'मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के भरोसे के कारण कई बार बड़े अफसर मनमानी करते हैं. जिसका खामियाजा जनता और जनप्रतिनिधियों को भुगतना पड़ता है. लेकिन यह भी देखते हैं कि नीतीश कुमार के पसंद के कौन मंत्री और जनप्रतिनिधि हैं.' :- प्रोफेसर अजय झा, राजनीतिक विशेषज्ञ

ये भी पढ़ें : बिहार में अफसरशाही: कोई बता गया, कोई छिपा गया!

सूबे में अब अफसरशाही को लेकर नीतीश कुमार की फजीहत अब बढ़ती जा रही है. उनके पार्टी के मंत्री और विधायक भी अब खुलकर मुंह खोलने लगे हैं. कुल मिलाकर देखें तो नीतीश कुमार ने जब से शासन संभाला है, उन पर यह आरोप लगता रहा है. पहले पार्टी के नेता बोलने से बचते थे लेकिन अब पार्टी के मंत्री और विधायक भी बोलने लगे हैं. ऐसे में आने वाले दिनों में नीतीश कुमार के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं.

इसे भी पढ़ें : 'बिहार की राजनीति में अप्रासंगिक हो चुके हैं तेजस्वी'

पटना: बिहार की राजनीति की चाणक्य कहे जाने वाले सूबे के सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) की मुश्किलें अब बढ़ती जा रही हैं. दरअसल, विपक्षी पार्टियां हमेशा से आरोप लगाती रही हैं कि मुख्यमंत्री अफसरों (Bureaucrats) के भरोसे ही सरकार चला रहे हैं. सूबे में जनप्रतिनिधियों की पूछ नहीं है. गाहे-बगाहे बीजेपी के मंत्री भी इस मामले को हमेशा उठाते रहे हैं.

पिछले दिनों ट्रांसफर पोस्टिंग को लेकर यही बात जदयू कोटे के मंत्री मदन सहनी ने भी कहा था. अब हाल ही में जनता दल यूनाइटेड में शामिल होने के बाद अपनी बिहार यात्रा करने के दौरान उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) ने भी कबूल किया है कि अफसरशाही हावी है. सरकारी दफ्तरों में अधिकारियों का जो रवैया है, उससे लोगों में नाराजगी है.

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सूबे में अफसरशाही बेलगाम है. इस तरह की बात आम तौर पर विपक्ष करता रहा है. कभी-कभार बीजेपी के नेता और मंत्री भी इसे उठाते रहे हैं. यह भी सही है की अफसरशाही के कारण जदयू के भी कई मंत्री और विधायक परेशान रहते हैं. अभी हाल ही में मदन सहनी ने खुलकर अपनी बात कही थी. हालांकि बाद में नीतीश कुमार के हस्तक्षेप से मामला सुलझ गया था. जहां नीतीश कुमार की कुछ अफसरों पर अधिक मेहरबानी रहती है तो कुछ को उनकी नाराजगी का भी सामना करना पड़ता है. वरिष्ठ आईएएस अधिकारी सुधीर कुमार जिस प्रकार से थाने पहुंचकर मुख्यमंत्री और सरकार के चुनिंदा अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर कराना चाहते थे, यह उसका सबसे बड़ा उदाहरण है.

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वहीं विशेषज्ञ भी कहते हैं कि अफसरशाही इसलिए हावी हैं क्योंकि नीतीश कुमार उन पर ज्यादा विश्वास करते हैं. कई बार यही उनके लिए परेशानी पैदा करते हैं. वहीं जदयू के वरिष्ठ नेता और सांसद का कहना है कि नीतीश कुमार ब्यूरोक्रेसी को लेकर गंभीर भी रहे हैं. शिकायत मिलने पर बड़ी कार्रवाई भी करते रहे हैं. अभी बालू खनन मामले में की गई कार्रवाई उदाहरण है.

'राज्य में अफसरशाही को लेकर जो भी बातें सामने आ रही हैं मुख्यमंत्री के संज्ञान में हैं. बीजेपी के दोनों डिप्टी सीएम भी इस मामले पर नजर रखे हुए हैं. नीतीश कुमार निश्चित रूप से इस मामले का समाधान निकालेंगे. विपक्ष को इसकी चिंता करने की जरुरत नहीं है.' :- विनोद शर्मा, बीजेपी प्रवक्ता

'मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के भरोसे के कारण कई बार बड़े अफसर मनमानी करते हैं. जिसका खामियाजा जनता और जनप्रतिनिधियों को भुगतना पड़ता है. लेकिन यह भी देखते हैं कि नीतीश कुमार के पसंद के कौन मंत्री और जनप्रतिनिधि हैं.' :- प्रोफेसर अजय झा, राजनीतिक विशेषज्ञ

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सूबे में अब अफसरशाही को लेकर नीतीश कुमार की फजीहत अब बढ़ती जा रही है. उनके पार्टी के मंत्री और विधायक भी अब खुलकर मुंह खोलने लगे हैं. कुल मिलाकर देखें तो नीतीश कुमार ने जब से शासन संभाला है, उन पर यह आरोप लगता रहा है. पहले पार्टी के नेता बोलने से बचते थे लेकिन अब पार्टी के मंत्री और विधायक भी बोलने लगे हैं. ऐसे में आने वाले दिनों में नीतीश कुमार के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं.

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Last Updated : Jul 19, 2021, 9:31 AM IST
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