पटना: पेट्रोल-डीजल पर सेस लगने के बाद इसकी कीमतें बढ़ जाएगी. इससे हर एक सेक्टर प्रभावित होगा. लोगों पर इसका सीधा असर पड़ेगा. आम जनता को जेब ढ़ीली करनी पड़ेगी
पेट्रोल-डीजल महंगा होने से जरूरत की सारी चीजें महंगी हो सकती हैं क्योंकि ट्रैवल एक्सपेंस बढ़ जाएगा. सामान को जब एक जगह से दूसरे जगह लाया या पहुंचाया जाएगा तो आने-जाने का खर्च ज्यादा होगा. इस खर्च की भरपाई कीमतें बढ़ाकर की जाएंगी. पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर टैक्स बढ़ाकर सरकारी खजाना बढ़ाने की कोशिश की गई है. सरकार ने बताया कि राजकोषीय घाटा 3.3 फीसदी रहा, जो पिछले साल 3.4 फीसदी था.
इन सेक्टरों पर पड़ेगा सीधा प्रभाव
1 COMMODITY से जुड़ा सेक्टर
अगर तेल की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी होती है तो इसका असर रोजमर्रा के सामानों की कीमतों पर होगा क्योंकि ट्रांसपोर्टेशन चार्ज बढ़ने से सामानों के इनपुट कॉस्ट में बढोत्तरी होगी. अधिकतर घरेलू उपकरण बनाने वालीं फैक्टरियों में डीजल से काम किया जाता है. इससे सब्जी से लेकर मसाले और ऑटो से लेकर बस तक का किराया बढ़ जाएगा. इसके दाम बढ़ने से माल ढुलाई पर आने वाला खर्च बढ़ जाएगा. पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने से अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है.
3 बैंकिंग सेक्टर पर प्रभाव
इस बजट का सीधा प्रभाव बैंकिंग सेक्टर पर पड़नेवाला है. महंगाई बढ़ने से आरबीआई ब्याज की दरों में बढ़ोतरी कर सकती है. इससे आरबीआई के जरिए लोन लेनेवाले बैंक भी ब्याज दर में वृद्धि करेंगे. इसका असर आम लोगों पर पड़ेगा. लोन लेने के दौरान बैंकों को ज्यादा ब्याज देनी पड़ सकती है.
4 बचत सेक्टर पर प्रभाव
महंगाई बढ़ने के साथ लोगों की बचत में गिरवाट आयेगी. इसके अलावा तेल की कीमतों का सीधा असर लोगों के घरेलू बजट पर पड़ेगा. पेट्रोल और डीजल का इस्तेमाल डेली ट्रांसपोर्टेशन के अलावा खेती के लिये भी होता है. अनाज-सब्जी महंगी हुईं तो कई घरों का खर्चा चलना भी मुश्किल हो जाएगा. इसके साथ ही शहरों में ज्यादा लोग परिवहन के लिए बाइक का इस्तेमाल करते हैं. इस कारण से इस बढ़ोत्तरी का असर चौतरफा देखने को मिलेगा.
5 टूरिज्म इंडस्ट्री
पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी से महंगाई की आशंका बढ़ गई है. देश की अधिकांश परिवहन व्यवस्था डीजल वाहनों पर निर्भर है. डीजल की कीमत बढ़ने से परिवहन लागत बढ़ेगी, जिससे वस्तुओं की कीमत बढ़ेगी. इसके साथ ही बसों और अन्य परिवहन के साधनों का किराया बढ़ जाएगा.
6 एजुकेशन सेक्टर
पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी का असज शिक्षा जगत पर भी पड़ेगा. बच्चों को स्कूल ले जानी वाली बस के फी में बढ़ोतरी हो सकती है. इसके साथ ही इसका असर बैंकिंग सेक्टर में भी पड़ सकता है. इससे स्टूडेंट लोन के ब्याज को भी बढ़या जा सकता है.
7 व्यपार सेक्टर
पेट्रोल और अन्य पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतें केंद्र व राज्य सरकारों की ओर से लगाए जाने वाले टैक्स पर भी काफी हद तक निर्भर करती हैं. सरकार की ओर से टैक्स दरें बढ़ाने की स्थिति में कंपनियां अक्सर उसका बोझ ग्राहकों पर डाल देती हैं. इसका सीधा असर ग्राहकों पर पड़ेगा.
पेट्रोल-डीज़ल के दाम ऐसे होते हैं तय
- जिस कीमत पर आप पेट्रोल पंप से पेट्रोल खरीदते हैं उसका करीब 48 फीसदी बेस प्राइस यानी आधार मूल्य होता है.
- इसके बाद बेस मूल्य पर करीब 35 फीसदी एक्साइज ड्यूटी, 15 फीसदी सेल्स टैक्स और दो फीसदी कस्टम ड्यूटी लगाई जाती है.
ईंधन का बेस प्राइस
- तेल के बेस प्राइस में कच्चे तेल की कीमत, प्रोसेसिंग चार्ज और कच्चे तेल को रीफाइन करने वाली रिफाइनरियों का चार्ज शामिल होता है.
- पेट्रोल के भाव
- अब तक ईंधन को GST में शामिल नहीं किया गया है. इस वजह से इस पर एक्साइज ड्यूटी भी लगती है और वैट भी.
- केंद्र सरकार पेट्रोल की बिक्री पर एक्साइज ड्यूटी वसूलती है, जबकि राज्य सरकारें वैट वसूलती हैं.