पटना: बिहार पुलिस आधुनिकीकरण की दिशा में लगातार अपना कदम बढ़ा रही है. इसके लिए राज्य सरकार की ओर से राशि मुहैया कराई जा रही है. इस बात का ऐलान हाल ही में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पुलिस मुख्यालय में आला अधिकारियों के साथ बैठक के बाद मीडिया कर्मियों से कही थी. अब इस पर काम होना शुरू हो गया है. दरअसल अगले महीने बिहार में वित्तीय वर्ष 2021 -22 को लेकर सभी विभागों का बजट तैयार किया जा रहा है.
आधुनिकीकरण को लेकर हो रहा बजट तैयार
इसी क्रम में पुलिस महकमे के आधुनिकीकरण को लेकर भी बजट तैयार किया जा रहा है. पिछले वित्तीय वर्ष में बिहार पुलिस का बजट तक तकरीबन 9000 करोड़ की रही थी. वहीं, इस बार भी आशंका जताई जा रही है कि उससे कई गुना ज्यादा रहेगा. पुलिस मुख्यालय की ओर से बनाए जा रहे वित्तीय वर्ष 2021-22 को लेकर स्वरूप तैयार कर लिया गया है. अब बिहार विधान मंडल की ओर से स्वीकृति मिलने के बाद ही यह तय हो पाएगा कि बिहार पुलिस आधुनिकीकरण को लेकर कितना बजट मिला है. एडीजी लॉ एंड ऑर्डर अमित कुमार के मुताबिक इस बार का पुलिस बजट पिछले वर्षों की तुलना में कई गुना अधिक होगा. ऐसे में बात पुलिस आधुनिकरण की करें तो इसको लेकर 500 करोड़ से अधिक की राशि खर्च की जाएगी. जिसमें थाना के जर्जर भवन की जगह आधुनिक भवन से लेकर अत्याधुनिक हथियारों से लेकर नई तकनीकों से पुलिस महकमे को लैस किया जाएगा.
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केंद्र सरकार की तरफ से आता है बजट
जानकारी के मुताबिक पुलिस आधुनिकीकरण के लिए केंद्र सरकार की तरफ से भी राज्य सरकार को बजट आता है. पुलिस मुख्यालय के एडीजी लॉ एंड ऑर्डर अमित कुमार की माने तो अलग अलग स्वरूप के लिए अलग-अलग तरह से बजट मिलता है. जैसे जमीन अधिग्रहण और भवन के निर्माण के लिए 300 करोड़ का बजट होता है. पुलिस के उपयोगके लिए सामग्रियों के लिए लगभग 700 करोड़ का बजट होता है. इसके अलावा नई टेक्नोलॉजी के अपग्रेडेशन के लिए लगभग 100 करोड़ का बजट होता है. साथ ही साथ वाहनों की खरीदारी के लिए अलग से बजट मिलता है. कुल मिलाकर जो बजट होता है वह पुलिस के लिए पर्याप्त होता है. राज्य में कुल 1064 थाने और 225 ओपी मौजूद है. इनमें से लगभग 200 थाने और 50 ओपी ऐसे हैं जिनकी खुद की बिल्डिंग नहीं है.
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भूमि अधिग्रहण में समस्या
वहीं, 250 थाने की अपनी बिल्डिंग नहीं होने का कारण है कि यह नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में होते हैं या दियारा क्षेत्रों में नदी थाने और यातायात थाना का प्रकार ऐसा होता है कि उनके लिए जमीन तलाशने या भूमि अधिग्रहण में समस्या उत्पन्न होती है. जिस वजह से अब तक ऐसे थानों का खुद का भवन निर्माण नहीं हो पाया है. उम्मीद है कि अगले 2 साल में बिहार के सभी थाने का अपना भवन होगा. एडीजी अमित कुमार के मुताबिक 200 ऐसे थाने हैं जिनकी स्थिति जर्जर हो चुकी थी. उनके भवन निर्माण अधीन है जल्दी उन्हें नए भवन में शिफ्ट किया जाएगा. एडीजी के मुताबिक पिछले 10 सालों में 600 लगभग नए थाने की बिल्डिंग बिहार के विभिन्न जिलों में बनाई गई है.