पटना: BSSC PAPER LEAK मामले में आर्थिक अपराध इकाई को 2 दिन बाद ही बड़ी सफलता मिली है. EOU ने सुपौल में छापेमारी कर मुख्य अभियुक्त परीक्षार्थी अजय कुमार और कांड में सहयोगी उसके भाई विजय को गिरफ्तार कर लिया है. अजय के पिता दारोगा हैं और बेतिया थाने में पदस्थापित (Bettiah sub inspector son ajay) हैं. बता दें कि बीएसएससी परीक्षा के प्रश्नपत्र प्रसारित होने के मामले की जांच मिलने के बाद ईओयू ने शुक्रवार को ही प्राथमिकी दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी थी. इस मामले में अबतक पांच गिरफ्तारी हो चुकी है. अजय के कमरे में वीक्षण का कार्य करने वाले शिक्षक एसएन ज्योति भी हिरासत में हैं.
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''अजय कुमार मेरा बेटा है. मैं बाहर नौकरी करता हूं. उसे बाहर मैंने पढ़ाई के लिए भेजा था. बाहर में वह क्या करता है और क्या नहीं करता, मुझे नहीं पता. मुझे पता चला है कि उसने कुछ गलत किया है. पुलिस इस पूरे मामले की जांच कर रही है. जांच में जो भी सत्य सामने आएगा उसके अनुसार पुलिस कार्रवाई करेगी'' - अशोक कुमार, एएसआई, बेतिया
EOU कैसे पहुंची मुख्य आरोपी तकः इस पूरे मामले के खुलासे में बिहार कर्मचारी चयन आयोग के द्वारा अपनाई गई एडवांस कोडिंग सिस्टम की भूमिक अहम रही. जानकारी के अनुसार इस बार सभी प्रश्न पत्रों की कोडिंग इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम से खास तरीके से की गई थी. इससे जब प्रश्नपत्र व्हाट्सएप पर सामने आया तो बीएसएससी के अधिकारियों ने चंद घंटे में पता कर लिया कि इस प्रश्न पत्र को किस शहर के किस सेंटर पर बांटा गया था. जांच के क्रम में पता चला कि मोतिहारी स्थित परीक्षा केंद्र शांति निकेतन जुबली स्कूल के कमरा नंबर 42 में इस प्रश्न पत्र का वितरण किया गया था.
मोबाइल नंबर से पकड़ाया आरोपी: प्राप्त जानकारी के अनुसार इओयू की एडवांस तकनीकी टीम ने इस बात को भी पता लगा लिया था कि परीक्षा के समय इस सेंटर में कितने मोबाइल नंबर उपयोग हो रहे थे. जांच में करीब 70 नंबर सामने आए. इसके बाद टीम ने यह पता लगाया कि इसमें वीक्षक, मजिस्ट्रेट, पुलिसकर्मी समेत परीक्षा कार्य में तैनात अन्य कर्मियों को छोड़कर किसके किसके पास मोबाइल है. जांच के क्रम में कमरा नंबर 42 से एक परीक्षार्थी के पास मोबाइल होने की बात सामने आई. इसके बाद जांच में अजय के पास से ही पेपर लीक होने की पुष्टि हुई. अजय मूल रूप से सुपौल का रहनेवाला है.
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केंद्र के अंदर मोबाइल कैसे पहुंचा? : मामले की जांच कर रही आर्थिक अपराध इकाई की स्पेशल टीम ने जब अजय कुमार से गहन पूछताछ की तो इसके बाद कई सारी चीजें सामने आती चली गई. अजय ने खुद को पास करवाने के लिए प्रश्न को वायरल किया था. परीक्षा के दिन अजय जानबूझकर परीक्षा शुरू होने के केवल 10 मिनट पहले परीक्षा केंद्र पर पहुंचा था. हड़बड़ी का बहाना बनाकर जांच करने वालों को चकमा देकर मोबाइल लेकर अंदर चला गय. मिली जानकारी के अनुसार अजय इससे पहले भी वन एवं पर्यावरण विभाग की परीक्षा में भी केंद्र के अंदर मोबाइल फोन ले जाने की कोशिश करते समय पकड़ा गया था. अबतक की जांच में अजय का किसी गैंग या अन्य स्थानों से चोरी करते पकड़े गए अभ्यर्थियों से कोई सीधा कनेक्शन सामने नहीं आया है.
पेपर परीक्षा कक्ष के अंदर से बाहर कैसे आया? : इसी मामले में गिरफ्तार हुए अभ्यर्थियों से भी अलग-अलग पूछताछ की गयी. पटना के खेमनीचक से गिरफ्तार एक अभ्यर्थी का परीक्षा केंद्र पूर्णिया में था. उसके पास से हाथ में चिपकाया हुआ हाईटेक ब्लूटूथ डिवाइस मिला था. उसे किसी दूसरे गैंग ने इस डिवाइस को देकर भेजा था कि उसे उत्तर लिखवा दिया जाएगा. इसी तरह आरा समेत अन्य शहरों के परीक्षा केंद्र से गिरफ्तार अभ्यर्थियों को भी उत्तर उपलब्ध कराने की बात कही गयी थी.आशंका जतायी जा रही है कि अजय कुमार सल्वर गैंग का सदस्य होगा. हालांकि अजय ने कहा कि वह खुद को पास करवाने के लिए पेपर आउट किया था, लेकिन सवाल उठता है कि यह वायरल कैसे हुआ. इसकी जांच की जा रही है.
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कब हुआ था पेपर लीकः बिहार कर्मचारी चयन आयोग द्वारा तृतीय स्नातक स्तरीय संयुक्त परीक्षा प्रदेश के 38 जिले के 528 परीक्षा केंद्रों पर आयोजित की गयी है. शुक्रवार 23 दिसंबर को प्रथम शिफ्ट की परीक्षा के दौरान कुछ प्रश्न पेपर के फोटो व्हाट्सएप पर वायरल हुए. परीक्षा देकर बाहर निकलने के बाद जब इसका मिलान किया तो सभी छात्रों ने बताया कि प्रश्न हूबहू यही थे.