पटना: गांधी मैदान में चल रहे 27वें पटना पुस्तक मेले में 'वो मेरी पगली दीवानी थी' नाम से आई काव्य संग्रह काफी सुर्खियां बटोर रही हैं. नोवेल्टी प्रकाशन से प्रकाशित इस पुस्तक को 2019 बैच के बीपीएससी अधिकारी मनोज कुमार सौमित्र ने लिखा है. फिलहाल मनोज कुमार सौमित्र कैमूर में डिस्ट्रिक्ट प्रोबेशन ऑफीसर के पद पर कार्यरत हैं. मनोज की यह पहली काव्य श्रृंखला है, जिसमें 75 कविताओं का संग्रह है.
काफी सुर्खियां बटोर रही ये काव्य संग्रहः ईटीवी भारत से खास बातचीत में मनोज कुमार ने बताया कि यह एक ऐसी काव्य संग्रह है, जिसमें प्रेम, श्रृंगार और विरह रस की कविताएं हैं. पुस्तक की एक नज़्म है- 'बेदाग मोहब्बत में तोहमत लगाया ना करो, है मोहब्बत अगर तो छुपाया ना करो, सामने मेरी नज़रें झुकाना, फिर बाद में मुस्कुराना, मोहब्बत में जान इतना भी सताया ना करो..'
"किताब का नाम 'वो मेरी पगली दीवानी थी' है. पागल शब्द को लोग नेगेटिव सेंस में लेते हैं लेकिन इसमें उन्होंने पॉजिटिव सेंस में इस्तेमाल किया है. जब हमारे लिए कोई हमारी उम्मीदों से अधिक खरा उतरता है, उसके लिए हम प्रेम से, आह्लादित मन से यह कह देते हैं की अरे वह पागल है"- मनोज कुमार सौमित्र, अधिकारी, बीपीएससी
'युवा दिलों के लिए है पुस्तक': मनोज ने बताया कि चाहे आपका कोई मित्र हो, प्रेमिका हो, भाई, बहन या परिवार की कोई सदस्य हो जो आपके लिए काफी त्याग करते हैं और आपकी हर उम्मीद पर खरा उतरते हैं. उनके लिए हमारे पास कोई शब्द नहीं होते हैं इसलिए हम प्यार से उन्हें कह देते हैं कि वह हमारे लिए पागल है. यह वह पागल होते हैं जो हमें जीवन में सफल बनने के लिए प्रेरित करते हैं. यह पुस्तक युवा दिलों के लिए है. चाहे व्यक्ति उम्र के किसी पड़ाव पर है, लेकिन यदि दिल उसका युवा है तो उसके लिए यह पुस्तक है.
पुस्तक की एक नज़्म कुछ इस तरह हैं. 'नजर उठाकर नजर गिराना, हर अदा में जादू थी.. सांसों में था नशा घुला, ना जाने कैसी खुशबू थी.. बेतकल्लुफ़ बातों में भी, तहजीब हया की नरमी थी, क्या बतलाऊं यारों, वो एक पगली दीवानी थी.'
ड्यूटी के बाद कविता के लिए निकालते हैं समयः मनोज ने बताया कि जिस चीज में आपकी रुचि होती है और कोई कार्य करने का आपकी भीतर जुनून होता है तो उसके लिए समय अपने आप निकल जाते हैं. उन्होंने भी प्रशासनिक सेवा में अपनी ड्यूटी के बाद शाम को पुस्तक के लिए समय निकाला, जो उन्होंने महसूस किया है उसे काव्य रूप में लिखा और प्रकाशित कराया. मनोज ने कहा कि इस पुस्तक में कविताएं हैं, गजलें हैं, गीत हैं, कई नज़्म हैं जो युवा दिलों को जरूर टच करेगी.
पुस्तक की एक और नज़्म के कुछ अंशः 'तुम अगर देखो चिलमन से हंस के प्रिये, मैं तो खुशी से ही मर जाऊंगा. एक तेरा नाम ले ले के लब पे प्रिये, अलविदा इस जमाने को कह जाऊंगा…' मनोज ने बताया कि 75 कविताओं की यह काव्य संग्रह है. इसके अलावा इन दिनों वह वामपंथी विचारधारा से प्रेरित एक काव्य श्रृंखला 'तल्ख़ियां हवाओं से' लिख रहे हैं. इसके साथ ही प्रेम और विरह पर एक काव्य श्रृंखला सिसकियां लिख रहे हैं.
'दिल्ली में कवियों और कविता को समझा': मनोज की शुरुआती शिक्षा दीक्षा औरंगाबाद अपने गृह जिला से हुई. बाद में पटना यूनिवर्सिटी से बीएड किया. फिर वह सिविल सर्विसेज की तैयारी के लिए दिल्ली के मुखर्जी नगर चले गए. वहां वह कई कवि सम्मेलन में शामिल हुए और बड़े कवियों को नजदीक से सुना और कविता को बेहतर तरीके से समझा और जाना. मनोज कुमार सुमित्रा ने इस मौके पर पुस्तक के एक गीत के नज्म भी गुनगुनाए.
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