वैशालीः केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस (Pashupati Kumar Paras) को अपने ही संसदीय क्षेत्र में जबरदस्त तरीके से विरोध का सामना करना पड़ा. पशुपति पारस पहली बार केंद्रीय मंत्री और एलजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में हाजीपुर पहुंचे हुए थे. बताया जा रहा है कि चिराग समर्थकों ने उनकी गाड़ी पर जला हुआ काला मोबिल फेंका और उन्हें काले झंडे भी दिखाए. यही नहीं पशुपति पारस के काफिले के सामने चिराग पासवान के समर्थन में नारे भी लगाए.
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दरअसल, हाजीपुर सांसद और केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस का काफिला चौरसिया चौक पर पहुंचते ही लोगों ने मंत्री जी की कार पर जला हुआ मोबिल फेंक दिया. इस बारे में कुछ लोगों ने यह दावा भी किया कि मोबिल का छींटा पशुपति पारस पर भी पड़ा. जिससे उन्हें कपड़े बदलने पड़े. हालांकि कार और कार के बाहर कई नेताओं पर काले छींटे जरूर पड़े. वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि कार के शीशे पर काला मोबिल दिख रहा है. जिस वक्त मोबिल फेंका गया, उस वक्त कार का शीशा भी खुला था.
इस घटना के बाद सुरक्षाकर्मी बौखला गए. पशुपति पारस को माला पहनाने गई एक महिला कार्यकर्ता लक्ष्मी देवी को जोर का धक्का दे दिया. जिससे वे घायल भी हो गईं. साथ ही कई लोगों को कार से दूर करने के लिए धक्का-मुक्की करने लगे. इससे वहां कुछ देर के लिए भगदड़ भी मच गई.
स्थानीय लोग चौरसिया चौक पर जमकर काला झंडा लेकर मंत्री के खिलाफ नारा लगाते हुए प्रदर्शन करने लगे. जिस कारण थोड़ी देर के लिए चौरसिया चौक के समीप सड़क भी जाम हो गई. हालांकि पुलिस की मुस्तैदी की वजह से विरोध करने वाले लोग तुरंत वहां से हटाये गए.
बता दें कि केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस मोदी मंत्रिमंडल में शामिल होने के बाद पहली बार अपने संसदीय क्षेत्र हाजीपुर पहुंचे केंद्रीय केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री पशुपति कुमार पारस का एलजेपी (LJP) के कार्यकर्ताओं ने जोरदार स्वागत किया. इस दौरान मीडिया से मुखातिब होते हुए उन्होंने अपने बड़े भाई और पूर्व केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान (Ram Vilas Paswan) को 'भारत रत्न' देने की मांग दोहराई.
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पारस ने कहा कि जब तक वे जिंदा रहेंगे हाजीपुर की जनता की सेवा करते रहेंगे और अपने बड़े भाई के अधूरे सपने को पूरा करेंगे. वे आज हाजीपुर की जनता का आभार प्रकट करते हैं, जिनके अपार प्यार व स्नेह के बल पर वे सांसद और भारत सरकार में मंत्री भी बने.
हालांकि इस दौरान पशुपति पारस ने लगातार क्षेत्र से दूर रहने के लिए जनता से सार्वजनिक तौर पर माफी भी मांगी. उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव के बाद उनके छोटे भाई रामचंद्र पासवान का निधन हो गया, जिस वजह से वे काफी दुखी रहे, फिर कोरोना और बाद में राम विलास पासवान के देहांत से 2 साल उनके और उनके परिवार के लिए बहुत दुखदायी रहा.
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वहीं, चिराग पासवान के असली उत्तराधिकारी होने के दावे पर पशुपति कुमार पारस ने कहा कि पिता की संपत्ति पर कानूनन पुत्र का ही अधिकार होता है. लिहाजा भैया की संपत्ति के असली उत्तराधिकारी भी चिराग पासवान ही हैं, लेकिन उनके असली राजनीतिक उत्तराधिकारी मैं हूं.
पारस ने चिराग पर एलजेपी को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाते हुए कहा कि उनकी जिद की वजह से 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में पार्टी की हार हुई. आज पासवान जी इस दुनिया में नहीं हैं, तो वे किस बात की आशीर्वाद यात्रा निकाल रहे हैं. उन्हें अपने संसदीय क्षेत्र जमुई में कार्य करना चाहिए. साथ ही कहा कि अगर चिराग हाजीपुर से चुनाव लड़ना चाहते हैं तो लड़ लें.
याद दिलाएं कि पिछले दिनों पशुपति पारस की अगुवाई में एलजेपी के 5 सांसदों ने चिराग पासवान के खिलाफ बगावत कर दी थी. बाद में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से पारस को पार्टी संसदीय दल के नए नेता के रूप में मान्यता भी मिल गई थी. वहीं पार्टी पर दोनों गुट अपना-अपना दावा जता रहा है.
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