पटनाः प्रदेश में ब्लैक फंगस (Black Fungus) का संकट गहराता जा रहा है. इससे मरने वाले मरीजों की संख्या भी बढ़ने लगी है. रविवार को ब्लैक फंगस से संक्रमित 5 मरीजों की मौत हो गई. सभी का आईजीआईएमएस में इलाज चल रहा था. इलाज के क्रम में हालत बिगड़ गई इसके बाद उन्हें बचाया नहीं जा सका. बता दें कि पटना के विभिन्न सरकारी अस्पतालों में 272 संक्रमित भर्ती हैं.
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इलाज के लिए जरुरी दवाओं की कमी
ब्लैक फंगस के इलाज में में अब जरुरी दवाओं की कमी हो रही है. लाइपोसोमेल एंफोटेरेसिन-बी इंजेक्शन की कमी के बाद अब पोशाकोनाजोल टेबलेट की भी कमी होने लगी है. बता दें कि इसकी एक टैबलेट की कीमत 500 रुपये हैं. मरीजों को एक दिन में इसकी तीन खुराक देना पड़ता है. इस स्थिति में सरकार को समय रहते दवाएं कदम उठाने की जरुरत है.
आईजीआईएमएस में ब्लैक फंगस के 125 मरीज
आईजीआईएमएस में ब्लैक फंगस के संक्रमित मरीजों की संख्या 125 है. जिनमें से 91 कोरोना से ठीक होने के बाद ब्लैक फंगस का शिकार बने हैं. 8 मरीज ऐसे हैं, जिन्हें कोरोना के साथ-साथ ब्लैक फंगस का भी संक्रमण हो गया है. आईजीआईएमएस में 14 मरीज ऐसे हैं जिनका ब्लैक फंगस का सर्जरी किया गया है. वहीं दो मरीजों की जांच रिपोर्ट आना बाकी है.
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पटना एम्स में बढ़ रही मरीजों की संख्या
पटना एम्स में ब्लैक फंगस से संक्रमित मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. रविवार को यहां 2 नए मरीज भर्ती हुए हैं. इसके बाद यहां 108 संक्रमित मरीजों का इलाज चल रहा है. डॉक्टरों का कहना है कि जिन मरीजों को ऑपरेशन की जरूरत है, उनका ऑपरेशन किया जा रहा है. वहीं अन्य को दवा और इंजेक्शन का डोज दिया जा रहा है. वहीं पीएमसीएच में 28 और एनएमसीएच में 11 ब्लैक फंगस के मरीजों का इलाज चल रहा है. जबकि पटना के विभिन्न निजी अस्पतालों में भी 100 से अधिक मरीज एडमिट हैं.
आईजीआईएमस के अधीक्षक मनीष मंडल ने बताया कि ब्लैक फंगस से संक्रमित सामान्य तौर पर तीन तरह के मरीज अस्पताल पहुंच रहे हैं.
- पहला: जिन्हें कोविड हुआ था और वे ठीक होकर घर चले गए लेकिन 15 से 20 दिन के अंदर उन्हें ब्लैक फंगस इंफेक्शन हो रहा है.
- दूसरा: वैसे मरीज होते हैं जो कोविड पॉजिटिव होते हैं. इलाज चल रहा है लेकिन अचानक मरीज को ब्लैक फंगस हो जाता है. ये वैसे मरीज होते है जो घर पर रहकर इलाज कर रहे हैं. और घर पर ही ऑक्सीजन की व्यवस्था किए हुए हैं. जो ऑक्सीजन और पाइप इस्तेमाल किया जाता है उसमें फंगस होने की संभावना ज्यादा होती है.
- तीसरा: वैसे मरीज होते हैं जो अन्य बीमारियों से पीड़ित हैं. जैसे ब्लड प्रेशर, शूगर, किडनी की बीमारी, टीबी या कैंसर. ऐसे मरीजों की इम्यूनिटी कम रहती है. ज्यादातर ऐसे लोगों में ब्लैक फंगस ब्रेन तक पहुंच जाता है.
एहतियात के लिए क्या करें...
'ज्यादा दिक्कत हो रही है क्योंकि ब्लैक फंगस की जो दवा है वो दो से तीन दिन में मरीज पर असर कर रहा है. लेकिन ब्रेन तक फंगस पहुंचने के कारण मरीजों के पास ज्यादा वक्त नहीं रहता, ऐसे ही मरीजों की मृत्यु हो रही है. लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है. ध्यान रखें हाथ धोकर ही मुंह नाक छुएं, पूरी तरह सतर्कता से ही इससे बचा जा सकता है.'- मनीष मंडल, अधीक्षक, आईजीआईएमएस पटना