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बिहार में ब्लैक फंगस का कहर, जानिए डॉक्टर से बचाव के सलाह - black fungus symptoms

कोरोना महामारी के दौर में ब्लैक फंगस का खतरा भी तेजी से बढ़ रहा है. इसके चलते बिहार सरकार ने ब्लैक फंगस को महामारी घोषित कर दिया है. बिहार में इस बीमारी से कई लोग ग्रसित हो चुके हैं और रोज इसके मामले सामने आ रहे हैं. पढ़ें रिपोर्ट...

PATNA
बिहार में ब्लैक फंगस का कहर
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Published : May 25, 2021, 7:54 PM IST

पटना: ब्लैक फंगस (म्यूकोरमाइकोसिस) के मामले आए दिन बढ़ते जा रहे हैं. निजी और सरकारी अस्पतालों में इन मरीजों की संख्या चिंताजनक रूप से बढ़ रही है. ब्लैक फंगस के कारण मरीजों की गंभीर हो रही हालत में डॉक्टरों को उनकी आंखें तक निकालनी पड़ रही हैं. इस घातक बीमारी के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए ईटीवी भारत ने नालन्दा मेडिकल कॉलेज अस्पताल के अधीक्षक डॉ विनोद कुमार सिंह से बात की.

ये भी पढ़ें...बिहार में ब्लैक फंगस का कहर, आज सरकार ले सकती है बड़ा फैसला

ब्लैक फंगस से घबराये नहीं
ईटीवी भारत से बातचीत में नालन्दा मेडिकल कॉलेज अस्पताल के अधीक्षक डॉ विनोद कुमार सिंह ने कहा कि ब्लैक फंगस से घबराये नहीं. अगर कोई मरीज ब्लैक फंगस से ग्रषित है तो उन्हें इस अस्पताल में भेज दीजिये. अस्पताल प्रबंधन उन्हें कुछ दिनों में ठीक कर देगा. ब्लैक फंगस से डरने या घबराने की जरूरत नहीं है. सूबे में इस बीमारी से निपटने के लिए पूरी इलाज की व्यवस्था है. यह बीमारी आसानी से ठीक हो जायेगी.

ये भी पढ़ें..पटना में तेजी से फैल रहा 'ब्लैक फंगस', IGIMS में हो रहा 43 मरीजों का इलाज

नालन्दा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में डॉक्टरों की टीम है. जो लगातार ब्लैक फंगस के मरीजों का इलाज कर रही है. यहां इस बीमारी की दवा भी उपलब्ध है. ऑक्सीजन बेड के साथ-साथ आईसीयू बेड भी हमारे यहां उपलब्ध है. कहीं ना कहीं सारी सुविधा हमारे यहां उपलब्ध है. साथ ही इस बीमारी के इलाज में जिस दवा की जरूरत होती है, वो भी उपलब्ध है."-डॉ विनोद कुमार, अधीक्षक NMCH

बिहार में ब्लैक फंगस का कहर

क्या है ब्लैक फंगस?
म्यूकरमाइकोसिस (एमएम) को ब्लैक फंगस के नाम से जानते हैं. म्यूकरमाइकोसिस एक बेहद दुर्लभ संक्रमण है. यह म्यूकर फफूंद के कारण होता है, जो आमतौर पर मिट्टी, पौधों में खाद, सड़े हुए फल और सब्जियों में पनपता है. यह फंगस साइनस दिमाग और फेफड़ों को प्रभावित करती है और डायबिटीज के मरीजों या बेहद कमजोर यूनिटी रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों (कैंसर या एचआईवी एड्स ग्रसित) के लिए यह जानलेवा भी हो सकती है. अभी के दौर में कोरोना से उबर चुके मरीजों पर इसका असर देखा जा रहा है.

कैसे होता है ब्लैक या व्हाइट फंगस?
उदाहरण के लिए बताया गया कि यदि किसी खाद्य पदार्थ को अधिक देर तक वातावरण में छोड़ देते हैं, तो उसके उपर बनने वाला काला अथवा उजला स्तर फंगस कहलाता है. सामान्य मनुष्य के शरीर में इसका संक्रमण नहीं हो पाता है. यदि शरीर की प्रतिरोधक क्षमता घट जाती है. जैसे अनियंत्रित मधुमेह, अधिक मात्रा में दवा के रूप में स्टॉयराईड (डेक्सामेथासीन/प्रेडनीसोलोन) या कैंसर चिकित्सा के रूप में केमोथेरेपी के बाद जब शरीर का रोग प्रतिरोधक क्षमता घट जाती है तो यह शरीर को संक्रमित कर सकता है.

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ब्लैक फंगस से कैसे बचे

खतरनाक है ब्लैक फंगस!
इस बीमारी से मस्तिष्क, फेफड़े और त्वचा पर भी असर देखने को मिलता है. इसके कारण आंखों की रोशनी भी चली जाती है. वहीं कुछ मरीजों के जबड़े और नाक की हड्डी तक गल जाती है. अगर समय रहते इसका उपचार नहीं किया गया तो तो मरीज की मौत हो जाती है.

नाक के द्वारा करता है प्रवेश
फंगस हमारे शरीर में नाक के द्वारा प्रवेश करता है. यदि नाक अथवा गले में काले रंग के धब्बे दिखे और नाक बंद होने जैसा आभास हो तो यह प्रारंभिक लक्षण है. नाक से यह " साइनस " फेफड़ा और मस्तिष्क में जाकर संक्रमण कर सकता है. आंखों के नीचे सूजन एवं काला धब्बा हो जाता है. एक वस्तु दो दिखने लगती है, कोविड के इलाज में स्टॉराइड का व्यवहार होता है, और अक्सर कोविड मरीज में मधुमेह भी अनियंत्रित रहता है, जिसके कारण प्रतिरोधक क्षमता घटती है. और ब्लैक फंगस के संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है. यह बीमारी संक्रमक बीमारी नहीं है.

क्या है लक्षण?
यह संक्रमण ज्यादातर उन्हीं मरीजों में देखने को मिला है जो कि डायबिटीज से पीड़ित हैं. ऐसे मरीजों को डायबिटीज पर कंट्रोल रखना चाहिए. विशेषज्ञों के मुताबिक ब्लैक फंगस के कारण सिर दर्द, बुखार, आंखों में दर्द, नाक बंद या साइनस के अलावा देखने की क्षमता पर भी असर पड़ता है.

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ब्लैक फंगस के लक्षण

यह भी पढ़ें: संक्रमण का डबल अटैक: IGIMS में मिला जानलेवा बीमारी 'ब्लैक फंगस' का मरीज

खतरनाक है ब्लैक फंगस!
इस बीमारी से मस्तिष्क, फेफड़े और त्वचा पर भी असर देखने को मिलता है. इसके कारण आंखों की रोशनी भी चली जाती है. वहीं कुछ मरीजों के जबड़े और नाक की हड्डी तक गल जाती है. अगर समय रहते इसका उपचार नहीं किया गया तो तो मरीज की मौत हो जाती है.

किन मरीजों को है अधिक खतरा

  • अनियंत्रित मधुमेह, मधुमेह कीटोएसिडोसिस, स्टेरॉयड पर मधुमेह रोगियों या टोसीलिज़ुमैब के रोगियों में म्यूकोर्मिकोसिस होने का खतरा अधिक है.
  • इम्यूनोसप्रेसेन्ट या कैंसर रोधी उपचार, पुरानी बीमारी के रोगियों को भी ब्लैक फंगस का खतरा ज्यादा है.
  • स्टेरॉयड की ज्यादा खुराक लेने वाले मरीज या लंबे समय से स्टेरॉयड और टोसीलिज़ुमैब की खुराक लेने वाले मरीजों के लिए ब्लैक फंगस का खतरा अधिक है.
  • जो कोरोना से गंभीर रूप से संक्रमित हैं और जो वेंटिलेटर के जरिए ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं.

म्यूकरमाइकोसिस से ग्रसित मरीजों में सामान्य तौर पर ये लक्षण देखे जा रहे हैं.

  • तेज सिर दर्द
  • नाक और साइनस ब्लॉक होने की समस्या
  • तालू के पास काले रंग के घाव
  • आंखों में दर्द और दृष्टि जाने का खतरा

ये भी पढ़ें- संक्रमण का डबल अटैक: IGIMS में मिला जानलेवा बीमारी 'ब्लैक फंगस' का मरीज

ये भी पढ़ें- घबराएं नहीं, IGIMS में हो रहा ब्लैक फंगस का इलाज: अधीक्षक

ये भी पढ़ें- बिहार में ब्लैक फंगस के बाद अब व्हाइट फंगस का कहर, एक्सपर्ट से जानिए कैसे करें बचाव

ये भी पढ़ें...बिहार के इन चार अस्पतालों में होगा ब्लैक फंगस का इलाज

पटना: ब्लैक फंगस (म्यूकोरमाइकोसिस) के मामले आए दिन बढ़ते जा रहे हैं. निजी और सरकारी अस्पतालों में इन मरीजों की संख्या चिंताजनक रूप से बढ़ रही है. ब्लैक फंगस के कारण मरीजों की गंभीर हो रही हालत में डॉक्टरों को उनकी आंखें तक निकालनी पड़ रही हैं. इस घातक बीमारी के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए ईटीवी भारत ने नालन्दा मेडिकल कॉलेज अस्पताल के अधीक्षक डॉ विनोद कुमार सिंह से बात की.

ये भी पढ़ें...बिहार में ब्लैक फंगस का कहर, आज सरकार ले सकती है बड़ा फैसला

ब्लैक फंगस से घबराये नहीं
ईटीवी भारत से बातचीत में नालन्दा मेडिकल कॉलेज अस्पताल के अधीक्षक डॉ विनोद कुमार सिंह ने कहा कि ब्लैक फंगस से घबराये नहीं. अगर कोई मरीज ब्लैक फंगस से ग्रषित है तो उन्हें इस अस्पताल में भेज दीजिये. अस्पताल प्रबंधन उन्हें कुछ दिनों में ठीक कर देगा. ब्लैक फंगस से डरने या घबराने की जरूरत नहीं है. सूबे में इस बीमारी से निपटने के लिए पूरी इलाज की व्यवस्था है. यह बीमारी आसानी से ठीक हो जायेगी.

ये भी पढ़ें..पटना में तेजी से फैल रहा 'ब्लैक फंगस', IGIMS में हो रहा 43 मरीजों का इलाज

नालन्दा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में डॉक्टरों की टीम है. जो लगातार ब्लैक फंगस के मरीजों का इलाज कर रही है. यहां इस बीमारी की दवा भी उपलब्ध है. ऑक्सीजन बेड के साथ-साथ आईसीयू बेड भी हमारे यहां उपलब्ध है. कहीं ना कहीं सारी सुविधा हमारे यहां उपलब्ध है. साथ ही इस बीमारी के इलाज में जिस दवा की जरूरत होती है, वो भी उपलब्ध है."-डॉ विनोद कुमार, अधीक्षक NMCH

बिहार में ब्लैक फंगस का कहर

क्या है ब्लैक फंगस?
म्यूकरमाइकोसिस (एमएम) को ब्लैक फंगस के नाम से जानते हैं. म्यूकरमाइकोसिस एक बेहद दुर्लभ संक्रमण है. यह म्यूकर फफूंद के कारण होता है, जो आमतौर पर मिट्टी, पौधों में खाद, सड़े हुए फल और सब्जियों में पनपता है. यह फंगस साइनस दिमाग और फेफड़ों को प्रभावित करती है और डायबिटीज के मरीजों या बेहद कमजोर यूनिटी रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों (कैंसर या एचआईवी एड्स ग्रसित) के लिए यह जानलेवा भी हो सकती है. अभी के दौर में कोरोना से उबर चुके मरीजों पर इसका असर देखा जा रहा है.

कैसे होता है ब्लैक या व्हाइट फंगस?
उदाहरण के लिए बताया गया कि यदि किसी खाद्य पदार्थ को अधिक देर तक वातावरण में छोड़ देते हैं, तो उसके उपर बनने वाला काला अथवा उजला स्तर फंगस कहलाता है. सामान्य मनुष्य के शरीर में इसका संक्रमण नहीं हो पाता है. यदि शरीर की प्रतिरोधक क्षमता घट जाती है. जैसे अनियंत्रित मधुमेह, अधिक मात्रा में दवा के रूप में स्टॉयराईड (डेक्सामेथासीन/प्रेडनीसोलोन) या कैंसर चिकित्सा के रूप में केमोथेरेपी के बाद जब शरीर का रोग प्रतिरोधक क्षमता घट जाती है तो यह शरीर को संक्रमित कर सकता है.

PATNA
ब्लैक फंगस से कैसे बचे

खतरनाक है ब्लैक फंगस!
इस बीमारी से मस्तिष्क, फेफड़े और त्वचा पर भी असर देखने को मिलता है. इसके कारण आंखों की रोशनी भी चली जाती है. वहीं कुछ मरीजों के जबड़े और नाक की हड्डी तक गल जाती है. अगर समय रहते इसका उपचार नहीं किया गया तो तो मरीज की मौत हो जाती है.

नाक के द्वारा करता है प्रवेश
फंगस हमारे शरीर में नाक के द्वारा प्रवेश करता है. यदि नाक अथवा गले में काले रंग के धब्बे दिखे और नाक बंद होने जैसा आभास हो तो यह प्रारंभिक लक्षण है. नाक से यह " साइनस " फेफड़ा और मस्तिष्क में जाकर संक्रमण कर सकता है. आंखों के नीचे सूजन एवं काला धब्बा हो जाता है. एक वस्तु दो दिखने लगती है, कोविड के इलाज में स्टॉराइड का व्यवहार होता है, और अक्सर कोविड मरीज में मधुमेह भी अनियंत्रित रहता है, जिसके कारण प्रतिरोधक क्षमता घटती है. और ब्लैक फंगस के संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है. यह बीमारी संक्रमक बीमारी नहीं है.

क्या है लक्षण?
यह संक्रमण ज्यादातर उन्हीं मरीजों में देखने को मिला है जो कि डायबिटीज से पीड़ित हैं. ऐसे मरीजों को डायबिटीज पर कंट्रोल रखना चाहिए. विशेषज्ञों के मुताबिक ब्लैक फंगस के कारण सिर दर्द, बुखार, आंखों में दर्द, नाक बंद या साइनस के अलावा देखने की क्षमता पर भी असर पड़ता है.

PATNA
ब्लैक फंगस के लक्षण

यह भी पढ़ें: संक्रमण का डबल अटैक: IGIMS में मिला जानलेवा बीमारी 'ब्लैक फंगस' का मरीज

खतरनाक है ब्लैक फंगस!
इस बीमारी से मस्तिष्क, फेफड़े और त्वचा पर भी असर देखने को मिलता है. इसके कारण आंखों की रोशनी भी चली जाती है. वहीं कुछ मरीजों के जबड़े और नाक की हड्डी तक गल जाती है. अगर समय रहते इसका उपचार नहीं किया गया तो तो मरीज की मौत हो जाती है.

किन मरीजों को है अधिक खतरा

  • अनियंत्रित मधुमेह, मधुमेह कीटोएसिडोसिस, स्टेरॉयड पर मधुमेह रोगियों या टोसीलिज़ुमैब के रोगियों में म्यूकोर्मिकोसिस होने का खतरा अधिक है.
  • इम्यूनोसप्रेसेन्ट या कैंसर रोधी उपचार, पुरानी बीमारी के रोगियों को भी ब्लैक फंगस का खतरा ज्यादा है.
  • स्टेरॉयड की ज्यादा खुराक लेने वाले मरीज या लंबे समय से स्टेरॉयड और टोसीलिज़ुमैब की खुराक लेने वाले मरीजों के लिए ब्लैक फंगस का खतरा अधिक है.
  • जो कोरोना से गंभीर रूप से संक्रमित हैं और जो वेंटिलेटर के जरिए ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं.

म्यूकरमाइकोसिस से ग्रसित मरीजों में सामान्य तौर पर ये लक्षण देखे जा रहे हैं.

  • तेज सिर दर्द
  • नाक और साइनस ब्लॉक होने की समस्या
  • तालू के पास काले रंग के घाव
  • आंखों में दर्द और दृष्टि जाने का खतरा

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