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मिशन 2020 पर बीजेपी, नए राज्यपाल की नियुक्ति के बहाने नीतीश के वोट बैंक पर नजर

बीजेपी की नजर नीतीश कुमार के अतिपिछड़ा वोट बैंक पर है. इस वोट बैंक को अपने पाले में करने के लिए बीजेपी मिशन 2020 पर काम शुरू कर चुकी है. अतिपिछड़ा से आने वाले फागू चौहान को सूबे का राज्यपाल बनाना, इसी प्लान का हिस्सा माना जा रहा है.

नव नियुक्त राज्यपाल फागू चौहान
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Published : Jul 31, 2019, 12:29 PM IST

पटना: अगले साल 2020 में बिहार विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में सियासी गुणा भाग अभी से ही तेज हो गया है. सूबे के नए राज्यपाल फागू चौहान की नियुक्ति भी सियासी पार्टियां और राजनीतिक विश्लेषक बीजेपी के अतिपिछड़ा कार्ड के तौर पर देख रहे हैं.

phagu chauhan
राज्यपाल फागू चौहान

नए राज्यपाल फागू चौहान उत्तर प्रदेश के अति पिछड़ों के बड़े नेता के रूप में स्थापित हैं. बिहार में भले ही नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए की सरकार चल रही है. लेकिन कई मुद्दों पर बीजेपी और जदयू में लगातार तकरार है. सियासी गलियारों में चर्चा इस बात की है कि नीतीश कुमार के अति पिछड़ा वोट बैंक पर बीजेपी की नजर है. राज्यपाल की नियुक्ति भी बीजेपी का मिशन 2020 से जोड़कर देखा जा रहा है.

ali ashraf fatmi
जेडीयू में शामिल हुए अली अशरफ फातमी

अतिपिछड़ा वोट बैंक पर BJP-JDU में मारामारी
बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर तमाम दल तैयारियां शुरू कर दी है. जेडीयू 50 लाख सदस्य बनाने के लिए सदस्यता अभियान चला रही है. पार्टी का फोकस पिछड़ा, अतिपिछड़ा वोट बैंक पर पकड़ मजबूत करना है. लोकसभा चुनाव में जेडीयू ने इस समुदाय को सबसे ज्यादा टिकट देकर एनडीए को जीत दिलाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया था. नीतीश कुमार के एनडीए में वापसी के बाद से अति पिछड़ा और पिछड़ा वोट बैंक पूरी तरह से एनडीए के साथ जुड़ता दिख रहा है. अतिपिछड़ा वर्ग से संबंध रखने वाले राज्यपाल फागू चौहान की नियुक्ति बीजेपी के तरफ से एक मैसेज देने की कोशिश की गई है.

professor dm diwakar
प्रोफेसर डीएम दिवाकर

बीजेपी का प्लान नीतीश के आगे होगा असफल
विशेषज्ञ ए एन सिन्हा इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर डीएम दिवाकर ने ईटीवी को बताया कि पिछले सभी राज्यपालों का नीतीश कुमार के साथ बहुत अच्छा संबंध रहा है. नीतीश कुमार सोशल इंजीनियरिंग में माहिर राजनीतिज्ञ हैं. उनके आगे बीजेपी का अति पिछड़ा वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश सफल नहीं होगी.

political annalist ajaya jha
राजनीतिक विशेषज्ञ प्रोफेसर अजय झा

सियासत में कुछ भी हो सकता है
राजनीतिक विशेषज्ञ प्रोफेसर अजय झा ने ईटीवी भारत को बताया कि प्रधानमंत्री खुद पिछड़े वर्ग से आते हैं. बीजेपी ने दलित को राष्ट्रपति बनाया है. ऐसे में इसकी बहुत जरूरत नहीं है. लेकिन राजनीति में कुछ भी हो सकता है.

फागू चौहान की नियुक्ति से नीतीश के वोट बैंक में सेंध लगाने की तैयारी

राज्यपालों से नीतीश के अच्छे संबंध
गौरतलब है कि लालजी टंडन को 1 साल के अंदर ही बिहार से तबादला कर मध्य प्रदेश का राज्यपाल बनाया गया है. लालजी टंडन उच्च शिक्षा में सुधार कार्य कर रहे थे. सीएम नीतीश कुमार के साथ भी उनकी अच्छी ट्यूनिंग थी.

अपने मिशन में जुटी JDU!
राजनीतिक हलकों में इस बात की चर्चा है कि बीजेपी भविष्य की सियासत कर रही है. दोनों पार्टी के बीच सीट बंटवारे में बात बिगड़ने पर बीजेपी खुद को तैयार कर रही है. वहीं, दूसरी तरफ पिछड़ों, अतिपिछड़ों के साथ जेडीयू अल्पसंख्यकों को रिझाने में जुटी है. इसी क्रम में आरजेडी के कद्दावर नेता अली अशरफ फातमी को पार्टी में शामिल कराया गया है. इसके अलावे कई अन्य नेताओं पर नीतीश कुमार की नजर है. गौरतलब है कि पिछला विधानसभा चुनाव जेडीयू ने बीजेपी के खिलाफ लड़ा था. महागठबंधन बनाकर एनडीए गठबंधन को करारी शिकस्त देने में सफलता हासिल की थी.

पटना: अगले साल 2020 में बिहार विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में सियासी गुणा भाग अभी से ही तेज हो गया है. सूबे के नए राज्यपाल फागू चौहान की नियुक्ति भी सियासी पार्टियां और राजनीतिक विश्लेषक बीजेपी के अतिपिछड़ा कार्ड के तौर पर देख रहे हैं.

phagu chauhan
राज्यपाल फागू चौहान

नए राज्यपाल फागू चौहान उत्तर प्रदेश के अति पिछड़ों के बड़े नेता के रूप में स्थापित हैं. बिहार में भले ही नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए की सरकार चल रही है. लेकिन कई मुद्दों पर बीजेपी और जदयू में लगातार तकरार है. सियासी गलियारों में चर्चा इस बात की है कि नीतीश कुमार के अति पिछड़ा वोट बैंक पर बीजेपी की नजर है. राज्यपाल की नियुक्ति भी बीजेपी का मिशन 2020 से जोड़कर देखा जा रहा है.

ali ashraf fatmi
जेडीयू में शामिल हुए अली अशरफ फातमी

अतिपिछड़ा वोट बैंक पर BJP-JDU में मारामारी
बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर तमाम दल तैयारियां शुरू कर दी है. जेडीयू 50 लाख सदस्य बनाने के लिए सदस्यता अभियान चला रही है. पार्टी का फोकस पिछड़ा, अतिपिछड़ा वोट बैंक पर पकड़ मजबूत करना है. लोकसभा चुनाव में जेडीयू ने इस समुदाय को सबसे ज्यादा टिकट देकर एनडीए को जीत दिलाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया था. नीतीश कुमार के एनडीए में वापसी के बाद से अति पिछड़ा और पिछड़ा वोट बैंक पूरी तरह से एनडीए के साथ जुड़ता दिख रहा है. अतिपिछड़ा वर्ग से संबंध रखने वाले राज्यपाल फागू चौहान की नियुक्ति बीजेपी के तरफ से एक मैसेज देने की कोशिश की गई है.

professor dm diwakar
प्रोफेसर डीएम दिवाकर

बीजेपी का प्लान नीतीश के आगे होगा असफल
विशेषज्ञ ए एन सिन्हा इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर डीएम दिवाकर ने ईटीवी को बताया कि पिछले सभी राज्यपालों का नीतीश कुमार के साथ बहुत अच्छा संबंध रहा है. नीतीश कुमार सोशल इंजीनियरिंग में माहिर राजनीतिज्ञ हैं. उनके आगे बीजेपी का अति पिछड़ा वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश सफल नहीं होगी.

political annalist ajaya jha
राजनीतिक विशेषज्ञ प्रोफेसर अजय झा

सियासत में कुछ भी हो सकता है
राजनीतिक विशेषज्ञ प्रोफेसर अजय झा ने ईटीवी भारत को बताया कि प्रधानमंत्री खुद पिछड़े वर्ग से आते हैं. बीजेपी ने दलित को राष्ट्रपति बनाया है. ऐसे में इसकी बहुत जरूरत नहीं है. लेकिन राजनीति में कुछ भी हो सकता है.

फागू चौहान की नियुक्ति से नीतीश के वोट बैंक में सेंध लगाने की तैयारी

राज्यपालों से नीतीश के अच्छे संबंध
गौरतलब है कि लालजी टंडन को 1 साल के अंदर ही बिहार से तबादला कर मध्य प्रदेश का राज्यपाल बनाया गया है. लालजी टंडन उच्च शिक्षा में सुधार कार्य कर रहे थे. सीएम नीतीश कुमार के साथ भी उनकी अच्छी ट्यूनिंग थी.

अपने मिशन में जुटी JDU!
राजनीतिक हलकों में इस बात की चर्चा है कि बीजेपी भविष्य की सियासत कर रही है. दोनों पार्टी के बीच सीट बंटवारे में बात बिगड़ने पर बीजेपी खुद को तैयार कर रही है. वहीं, दूसरी तरफ पिछड़ों, अतिपिछड़ों के साथ जेडीयू अल्पसंख्यकों को रिझाने में जुटी है. इसी क्रम में आरजेडी के कद्दावर नेता अली अशरफ फातमी को पार्टी में शामिल कराया गया है. इसके अलावे कई अन्य नेताओं पर नीतीश कुमार की नजर है. गौरतलब है कि पिछला विधानसभा चुनाव जेडीयू ने बीजेपी के खिलाफ लड़ा था. महागठबंधन बनाकर एनडीए गठबंधन को करारी शिकस्त देने में सफलता हासिल की थी.

Intro:पटना-- बिहार विधानसभा का चुनाव अगले साल होना है और बिहार चुनाव पर जदयू बीजेपी के साथ सभी पार्टियों की नजर है। नए राज्यपाल फागू चौहान उत्तर प्रदेश के अति पिछड़ों के बड़े नेता माने जाते हैं । बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए की सरकार चल रही है लेकिन कई मुद्दों पर बीजेपी और जदयू में लगातार विरोध है चर्चा यह है कि नीतीश कुमार के अति पिछड़ा वोट बैंक पर बीजेपी की नजर है और राजपाल की नियुक्ति बीजेपी की केंद्र सरकार ने इसी को सोचकर किया है।
पेश है रिपोर्ट--


Body: बिहार विधानसभा की चुनाव की तैयारी बिहार के सभी बड़े दल अपने-अपने ढंग से शुरू कर दी है जदयू लगातार सदस्यता अभियान चला रहा है । 50 लाख सदस्य बनाने का लक्ष्य पार्टी की ओर से रखा गया है तो वही बीजेपी ने भी सदस्यता अभियान की गति तेज कर दी है । आरजेडी जैसी पार्टियां भी सदस्यता अभियान चला रही है लोकसभा चुनाव में अति पिछड़ा वोट बैंक ने एनडीए को जबरदस्त जीत दिलाने में मदद की है और ऐसी चर्चा है नीतीश कुमार के एन डी ए में आने के बाद से अति पिछड़ा और पिछड़ा वोट बैंक पूरी तरह से एनडीए के साथ जुड़ गया है। लेकिन बिहार में नए राज्यपाल की नियुक्ति भी अति पिछड़ा वर्ग से किया गया है राज्यपाल फागू चौहान यूपी से आते हैं और अति पिछड़ा वर्ग के बड़े नेताओं में गिनती होती है। राज्यपाल की नियुक्ति के बहाने बीजेपी की ओर से अति पिछड़ा वर्ग में एक सोची-समझी रणनीति के तहत मैसेज देने की कोशिश की गई है । ऐसे विशेषज्ञ प्रो डीएम दिवाकर कहते हैं कि बिहार में पिछले राज्यपालों का नीतीश कुमार के साथ बहुत अच्छा संबंध रहा है और नीतीश कुमार सोशल इंजीनियरिंग के माहिर राजनीतिज्ञ हैं यदि बीजेपी अति पिछड़ा वोट बैंक को अपने पक्ष में करने के लिए कोशिश भी कर रही होगी तो नीतीश कुमार के रहते वह सफलता नहीं होगी।
बाईट--डी एम दिवाकर, प्रो ए एन सिन्हा इंस्टीट्यूट
प्रोफेसर अजय झा का कहना है प्रधानमंत्री खुद पिछड़े वर्ग से आते हैं और राष्ट्रपति को भी बीजेपी ने दलित वर्ग से बनाया है तो ऐसे में इसकी बहुत जरूरत तो है नहीं लेकिन राजनीति में कुछ भी हो सकता है।
बाईट--प्रो अजय झा, राजनीतिक विशेषज्ञ।



Conclusion: लालजी टंडन को 1 साल के अंदर ही बिहार से हटाकर मध्य प्रदेश का राज्यपाल बना दिया गया है लालजी टंडन उच्च शिक्षा में लगातार सुधार के काम कर रहे थे और नीतीश कुमार के साथ भी अच्छी ट्यूनिंग बन गई थी ऐसे में एक बड़ा सवाल तो यह है कि यूपी के एक अति पिछड़े वर्ग से आने वाले विधायक को बिहार जैसे प्रदेश में जहां अगले साल चुनाव होना है राज्यपाल की कुर्सी पर बैठाया गया है बीजेपी की केंद्रीय सरकार बिना सोचे समझे तो फैसला नहीं ही ली होगी। राजनीतिक हलकों में यह चर्चा है कि यदि बीजेपी और जदयू के साथ सीट बंटवारे पर बात बिगड़ती है तो ऐसी परिस्थिति का सामना करने के लिए बीजेपी अपने आप को तैयार कर रही है हालांकि जदयू की तरफ से भी लगातार नीतीश कुमार अल्पसंख्यकों को रिझाने में लगे हैं अभी हाल ही में आरजेडी के कद्दावर नेता अली अशरफ फातमी जदयू में शामिल हुए हैं और कई नेताओं पर नीतीश कुमार की नजर है। केंद्रीय मंत्रिमंडल में जदयू को पर्याप्त जगह नहीं दी जाने से भी नीतीश कुमार में कहीं न कहीं नाराजगी है। ऐसे में तय माना जा रहा है कि बिहार में बिहार विधानसभा चुनाव के समय कोई नया समीकरण किसी कारणवश तैयार होता है तो cast वोट बैंक की पॉलिटिक्स में जो सफल होगा उसकी ही सरकार बनेगी।
अविनाश, पटना।
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