पटना: अगले साल 2020 में बिहार विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में सियासी गुणा भाग अभी से ही तेज हो गया है. सूबे के नए राज्यपाल फागू चौहान की नियुक्ति भी सियासी पार्टियां और राजनीतिक विश्लेषक बीजेपी के अतिपिछड़ा कार्ड के तौर पर देख रहे हैं.
नए राज्यपाल फागू चौहान उत्तर प्रदेश के अति पिछड़ों के बड़े नेता के रूप में स्थापित हैं. बिहार में भले ही नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए की सरकार चल रही है. लेकिन कई मुद्दों पर बीजेपी और जदयू में लगातार तकरार है. सियासी गलियारों में चर्चा इस बात की है कि नीतीश कुमार के अति पिछड़ा वोट बैंक पर बीजेपी की नजर है. राज्यपाल की नियुक्ति भी बीजेपी का मिशन 2020 से जोड़कर देखा जा रहा है.
अतिपिछड़ा वोट बैंक पर BJP-JDU में मारामारी
बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर तमाम दल तैयारियां शुरू कर दी है. जेडीयू 50 लाख सदस्य बनाने के लिए सदस्यता अभियान चला रही है. पार्टी का फोकस पिछड़ा, अतिपिछड़ा वोट बैंक पर पकड़ मजबूत करना है. लोकसभा चुनाव में जेडीयू ने इस समुदाय को सबसे ज्यादा टिकट देकर एनडीए को जीत दिलाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया था. नीतीश कुमार के एनडीए में वापसी के बाद से अति पिछड़ा और पिछड़ा वोट बैंक पूरी तरह से एनडीए के साथ जुड़ता दिख रहा है. अतिपिछड़ा वर्ग से संबंध रखने वाले राज्यपाल फागू चौहान की नियुक्ति बीजेपी के तरफ से एक मैसेज देने की कोशिश की गई है.
बीजेपी का प्लान नीतीश के आगे होगा असफल
विशेषज्ञ ए एन सिन्हा इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर डीएम दिवाकर ने ईटीवी को बताया कि पिछले सभी राज्यपालों का नीतीश कुमार के साथ बहुत अच्छा संबंध रहा है. नीतीश कुमार सोशल इंजीनियरिंग में माहिर राजनीतिज्ञ हैं. उनके आगे बीजेपी का अति पिछड़ा वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश सफल नहीं होगी.
सियासत में कुछ भी हो सकता है
राजनीतिक विशेषज्ञ प्रोफेसर अजय झा ने ईटीवी भारत को बताया कि प्रधानमंत्री खुद पिछड़े वर्ग से आते हैं. बीजेपी ने दलित को राष्ट्रपति बनाया है. ऐसे में इसकी बहुत जरूरत नहीं है. लेकिन राजनीति में कुछ भी हो सकता है.
राज्यपालों से नीतीश के अच्छे संबंध
गौरतलब है कि लालजी टंडन को 1 साल के अंदर ही बिहार से तबादला कर मध्य प्रदेश का राज्यपाल बनाया गया है. लालजी टंडन उच्च शिक्षा में सुधार कार्य कर रहे थे. सीएम नीतीश कुमार के साथ भी उनकी अच्छी ट्यूनिंग थी.
अपने मिशन में जुटी JDU!
राजनीतिक हलकों में इस बात की चर्चा है कि बीजेपी भविष्य की सियासत कर रही है. दोनों पार्टी के बीच सीट बंटवारे में बात बिगड़ने पर बीजेपी खुद को तैयार कर रही है. वहीं, दूसरी तरफ पिछड़ों, अतिपिछड़ों के साथ जेडीयू अल्पसंख्यकों को रिझाने में जुटी है. इसी क्रम में आरजेडी के कद्दावर नेता अली अशरफ फातमी को पार्टी में शामिल कराया गया है. इसके अलावे कई अन्य नेताओं पर नीतीश कुमार की नजर है. गौरतलब है कि पिछला विधानसभा चुनाव जेडीयू ने बीजेपी के खिलाफ लड़ा था. महागठबंधन बनाकर एनडीए गठबंधन को करारी शिकस्त देने में सफलता हासिल की थी.