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Bihar Caste Survey Report के आकड़े पर BJP को आपत्ति, बोले सम्राट चौधरी- 'लालू के दबाव में तुष्टिकरण की कोशिश' - Bihar politics

बिहार में जाति आधारित सर्वे के आंकड़े जारी (Bihar Caste Survey Report) होने के साथ ही सियासत भी गरमा गई है. महागठबंधन के नेता जहां वाहवाही लेने में जुटे हैं. वहीं बिहार बीजेपी ने सवाल उठाए हैं. प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने कहा कि हम जातिगत सर्वे के हिमायती रहे हैं लेकिन जो डेटा जारी किया गया है, वह विश्वसनीय नहीं है.

बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Oct 3, 2023, 5:44 PM IST

जाति आधारित सर्वे के आंकड़े पर बिहार बीजेपी की PC

पटना: गांधी जयंती पर बिहार में जाति आधारित गणना का आंकड़ा जारी होने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 9 दलों की बैठक बुला ली, ताकि इस पर सभी दलों के नेताओं से चर्चा के बाद आगे का कदम उठाया जाए. मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी भी इसमें शामिल हो रही है. हालांकि उससे पहले बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी की अगुवाई में प्रेस कॉन्फ्रेंस की गई. जहां विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा और विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष हरि साहनी भी मौजूद थे. नेताओं ने कहा कि आंकड़े में कई प्रकार की खामियां है, जिस पर सरकार को जवाब देना होगा.

ये भी पढ़ें: Bihar Caste Survey Report : बिहार में जातीय गणना की रिपोर्ट पर नीतीश की 9 दलों के साथ बैठक, मीटिंग में पहुंचे ये दल

तुष्टिकरण के लिए जाति की संख्या में घालमेल: सम्राट चौधरी ने कहा कि जाति आधारित गणना की रिपोर्ट में कई तरह की खामियां है. धार्मिक समुदाय के लोगों ने हमसे शिकायत की है कि उनकी संख्या को कम करके दर्शाया गया है. इसके अलावा जनगणना के दौरान काफी लोगों की गणना नहीं की जा सकी है. जातिगत जनगणना को सरकार ने तुष्टिकरण का जरिया बनाया है. ऐसा लगता है कि यह रिपोर्ट लालू प्रसाद यादव के दबाव में तैयार की गई है.

"बिहार बीजेपी इसका समर्थन करती है लेकिन कई प्रश्न भी खड़े होते हैं. कई संगठन अपनी बात रख रहे हैं. थर्ड जेंडर ने भी आपत्ति जताई है. धानुक और मल्लाह समाज की संख्या को लेकर भी आपत्ति है. नीतीश बाबू कहीं तुष्टिकरण तो नहीं किया गया है. कहीं लालू यादव के प्रेशर में तो नहीं रिपोर्ट बनाई गई है?"- सम्राट चौधरी, अध्यक्ष, बिहार बीजेपी

नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा ने क्या कहा?: वहीं, बीजेपी विधान मंडल दल के नेता विजय कुमार सिन्हा ने कहा है कि जातिगत जनगणना के पक्ष में हमारी पार्टी रही है लेकिन जो रिपोर्ट सामने आई है, उसमें कई तरह की त्रुटियां हैं. सर्वदलीय बैठक में हम अपनी बात रखेंगे और सरकार से जवाब मांगेंगे.

साहनी जाति की संख्या पर सवाल: इस दौरान विधान परिषद में बीजेपी विधायक दल के नेता हरि साहनी ने कहा है कि मल्लाह जाति की संख्या को कम करके दिखाया गया है. ऐसा लगता है कि हड़बड़ी में जातिगत जनगणना की रिपोर्ट को प्रकाशित की गई है. कई जाति ऐसी भी है, जिनकी संख्या को बढ़ाकर दिखाया गया है तो कई जाति की संख्या को कम करके दिखाया गया है. साहनी जाति के साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ है.

जाति आधारित सर्वे के आंकड़े जारी: सोमवार को जारी जाति आधारित सर्वे के मुताबिक बिहार की कुल आबादी 13 करोड़ से अधिक है. इनमें अनारक्षित वर्ग (भूमिहार जाति- 2.89, राजपूत जाति- 3.45, ब्राह्मण जाति- 3.66 और कायस्थ जाति-0.60%) की आबादी 15.52 प्रतिशत है. 63 फीसदी ओबीसी (24 फीसदी पिछड़ा वर्ग और 36 फीसदी अत्यंत पिछड़ा वर्ग ) हैं. वहीं अनुसूचित जाति की आबादी 19 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति की आबादी 1.68 फीसदी है. बिहार में सबसे अधिक यादव जाति हैं, जिनकी आबादी 14 फीसदी से अधिक है. वहीं, कुर्मी 2.8 और कुशवाहा 4.2 प्रतिशत हैं, जबकि मुसलमानों की आबादी 17.7 फीसदी है.

जाति आधारित सर्वे के आंकड़े पर बिहार बीजेपी की PC

पटना: गांधी जयंती पर बिहार में जाति आधारित गणना का आंकड़ा जारी होने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 9 दलों की बैठक बुला ली, ताकि इस पर सभी दलों के नेताओं से चर्चा के बाद आगे का कदम उठाया जाए. मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी भी इसमें शामिल हो रही है. हालांकि उससे पहले बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी की अगुवाई में प्रेस कॉन्फ्रेंस की गई. जहां विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा और विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष हरि साहनी भी मौजूद थे. नेताओं ने कहा कि आंकड़े में कई प्रकार की खामियां है, जिस पर सरकार को जवाब देना होगा.

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तुष्टिकरण के लिए जाति की संख्या में घालमेल: सम्राट चौधरी ने कहा कि जाति आधारित गणना की रिपोर्ट में कई तरह की खामियां है. धार्मिक समुदाय के लोगों ने हमसे शिकायत की है कि उनकी संख्या को कम करके दर्शाया गया है. इसके अलावा जनगणना के दौरान काफी लोगों की गणना नहीं की जा सकी है. जातिगत जनगणना को सरकार ने तुष्टिकरण का जरिया बनाया है. ऐसा लगता है कि यह रिपोर्ट लालू प्रसाद यादव के दबाव में तैयार की गई है.

"बिहार बीजेपी इसका समर्थन करती है लेकिन कई प्रश्न भी खड़े होते हैं. कई संगठन अपनी बात रख रहे हैं. थर्ड जेंडर ने भी आपत्ति जताई है. धानुक और मल्लाह समाज की संख्या को लेकर भी आपत्ति है. नीतीश बाबू कहीं तुष्टिकरण तो नहीं किया गया है. कहीं लालू यादव के प्रेशर में तो नहीं रिपोर्ट बनाई गई है?"- सम्राट चौधरी, अध्यक्ष, बिहार बीजेपी

नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा ने क्या कहा?: वहीं, बीजेपी विधान मंडल दल के नेता विजय कुमार सिन्हा ने कहा है कि जातिगत जनगणना के पक्ष में हमारी पार्टी रही है लेकिन जो रिपोर्ट सामने आई है, उसमें कई तरह की त्रुटियां हैं. सर्वदलीय बैठक में हम अपनी बात रखेंगे और सरकार से जवाब मांगेंगे.

साहनी जाति की संख्या पर सवाल: इस दौरान विधान परिषद में बीजेपी विधायक दल के नेता हरि साहनी ने कहा है कि मल्लाह जाति की संख्या को कम करके दिखाया गया है. ऐसा लगता है कि हड़बड़ी में जातिगत जनगणना की रिपोर्ट को प्रकाशित की गई है. कई जाति ऐसी भी है, जिनकी संख्या को बढ़ाकर दिखाया गया है तो कई जाति की संख्या को कम करके दिखाया गया है. साहनी जाति के साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ है.

जाति आधारित सर्वे के आंकड़े जारी: सोमवार को जारी जाति आधारित सर्वे के मुताबिक बिहार की कुल आबादी 13 करोड़ से अधिक है. इनमें अनारक्षित वर्ग (भूमिहार जाति- 2.89, राजपूत जाति- 3.45, ब्राह्मण जाति- 3.66 और कायस्थ जाति-0.60%) की आबादी 15.52 प्रतिशत है. 63 फीसदी ओबीसी (24 फीसदी पिछड़ा वर्ग और 36 फीसदी अत्यंत पिछड़ा वर्ग ) हैं. वहीं अनुसूचित जाति की आबादी 19 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति की आबादी 1.68 फीसदी है. बिहार में सबसे अधिक यादव जाति हैं, जिनकी आबादी 14 फीसदी से अधिक है. वहीं, कुर्मी 2.8 और कुशवाहा 4.2 प्रतिशत हैं, जबकि मुसलमानों की आबादी 17.7 फीसदी है.

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