पटना : बुधवार को इंडिया गठबंधन के घटक दलों की वर्चुअल मीटिंग है. इससे पहले बिहार में सीएम नीतीश को संयोजक बनाने की चर्चा उठ रही है. इसी पर बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने नीतीश पर तंज कसा है. उन्होंने कहा कि भाजपा का डर दिखाकर नीतीश संयोजक का पद पाने के लिए सौदेबाजी कर रहे हैं. संयोजक का पद मुंशी जैसा होता है. उसके लिए वो संयोजक बनकर वे राज्यों में परस्पर विरोधी दलों में समझौता नहीं करा सकते.
'संयोजक पद से प्रतिष्ठा बचाना चाहते हैं नीतीश' : सुशील मोदी ने कहा कि प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाये जाने की सारी सम्भावनाएँ समाप्त होने पर अब वे संयोजक पद के लॉली पॉप से प्रतिष्ठा बचाना चाहते हैं. संयोजक का काम बैठकों की सूचना देना और आंकड़े जुटाना भर होता है. नीतीश कुमार यदि संयोजक बन ही गए तो क्या वे पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी और माकपा के बीच समझौता करा सकते हैं? क्या वे दिल्ली और पंजाब में कांग्रेस और केजरीवाल के बीच की दूरी पाट सकते हैं?
''उत्तर प्रदेश में सपा, बसपा और कांग्रेस को साझा प्रत्याशी के लिए सहमत करना और केरल में कांग्रेस और वाममोर्चा के बीच तालमेल बनाना क्या नीतीश कुमार के संयोजक बनने से सम्भव हो जाएगा? दो राज्यों में सरकार चलाने वाली केजरीवाल की पार्टी और 200 विधायकों की पार्टी टीएमसी से 44 विधायकों वाले जदयू के नेता नीतीश कुमार का क्या मुकाबला है?''- सुशील कुमार मोदी, राज्यसभा सांसद, बीजेपी
'इंडिया गठबंधन में लोकहित और देशहित की भावना नहीं' : उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय दल के किसी नेता को दूसरी क्षेत्रीय पार्टी या राष्ट्रीय पार्टी नहीं स्वीकार करेगी. फिर भी नीतीश कुमार भागते भूत की लगोटी झपट लेना चाहते हैं. इस पूरी राजनीति में देशहित और लोकहित का भाव कहीं नहीं है. बता दें कि जेडीयू में जब से ललन सिंह को हटाकर नीतीश ने पार्टी की कमान संभाली है, नीतीश को गठबंधन का संयोजक बनाने की चर्चा शुरू हो गई है.
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