पटना: बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राज्यसभा के बीजेपी सांसद सुशील कुमार मोदी (BJP MP Sushil Kumar Modi) ने नगर निकायों में पिछड़ा आरक्षण (Backward Reservation in Municipal Bodies) की मांग की है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार अविलम्ब विशेष पिछड़ा आयोग का गठन कर ट्रिपल टेस्ट के आधार पर पिछड़े वर्गों की सूची तैयार करना चाहिए. अन्यथा मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र की तरह बिना पिछड़ा आरक्षण के नगर निकाय चुनाव कराने की नौबत आ सकती है.
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नगर निकायों में पिछड़ा आरक्षण: सुशील मोदी ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा, "राज्य सरकार से अपील है कि अविलम्ब विशेष पिछड़ा आयोग का गठन कर ट्रिपल टेस्ट के आधार पर नगर निकायों में आरक्षण लागू करें ताकि ससमय चुनाव सम्पन्न हो सके. बिहार में इसी सूची को पंचायत और नगर निकाय में लागू किया गया है. कोर्ट के अनुसार राजनैतिक प्रतिनिधित्व की सूची नौकरी और शिक्षा की सूची से अलग होगी."
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राज्य सरकार से अपील है कि अविलम्ब विशेष पिछड़ा आयोग का गठन कर ट्रिपल टेस्ट के आधार पर नगर निकायों में आरक्षण लागू करें ताकि ससमय चुनाव सम्पन्न हो सके।
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विशेष पिछड़ा आयोग का गठन: बीजेपी सांसद ने अपने एक अन्य ट्वीट में लिखा, "राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार अविलम्ब विशेष पिछड़ा आयोग का गठन कर ट्रिपल टेस्ट के आधार पर पिछड़े वर्गों की सूची तैयार करना चाहिए अन्यथा मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र की तरह बिना पिछड़ा आरक्षण के नगर निकाय चुनाव कराने की नौबत आ सकती है."
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राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार अविलम्ब विशेष पिछड़ा आयोग का गठन कर ट्रिपल टेस्ट के आधार पर पिछड़े वर्गों की सूची तैयार करना चाहिए अन्यथा मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र की तरह बिना पिछड़ा आरक्षण के नगर निकाय चुनाव कराने की नौबत आ सकती है।
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जून माह में नगर निकायों का कार्यकाल पूरा: सुशील मोदी ने कहा कि जून माह में नगर निकायों का कार्यकाल पूरा हो रहा है. यदि जून के पहले चुनाव नहीं हुए तो नगर निकायों को भंग कर प्रशासक नियुक्त करना पड़ सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को निर्देश दिया है कि कार्यकाल पूरा होने के पूर्व चुनाव सम्पन्न कराएं तथा पिछड़ा आरक्षण के लिए ट्रिपल टेस्ट अनिवार्य है. नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण की सूची संविधान की धारा 15(4) एवं 16 (4) के तहत बनायी गयी है. बिहार में इसी सूची को पंचायत और नगर निकाय में लागू किया गया है. कोर्ट के अनुसार राजनैतिक प्रतिनिधित्व की सूची नौकरी और शिक्षा की सूची से अलग होगी.
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