पटना: बिहार विधानसभा का बजट सत्र चल रहा है. इस दौरान सत्ता पक्ष के विधायक की कई ऐसे घोटालों की परत खोलने में लगे हैं. जिसके चलते सत्ताधारी दल के माथे पर बल पड़ गया है. अब तो संबंधित विभाग के मंत्री भी कबूलनामा कर चुके हैं कि कछ तो गड़बड़ी हुई है. यही नहीं सत्ताधारी दल के विधायक के सदन में ध्यानाकर्षण में पूछे गए सवाल पर अब तो स्पीकर विजय सिन्हा ने कमिटी भी गठित कर दी है.
बहरहाल, मामला यह है कि ध्यानाकर्षण के माध्यम से बीजेपी विधायक कुमार शैलेंद्र ने सरकार से जानना चाहा की महाराष्ट्र की कंपनी को 2016 में ही रजिस्ट्रेशन के लिए पोर्टल बनाना था. लेकिन उक्त कंपनी ने 2020 में पोर्टल तैयार किया और इस 3 साल के दौरान कंपनी को बड़ी राशि भुगतान की गई. मामले पर कुमार शैलेंद्र का कहना है कि मंत्री जिवेश मिश्रा ने भी गड़बड़ी मानी है, और अब तो विधानसभा अध्यक्ष ने विधानसभा की समिति बना दी है तो दूध का दूध और पानी का पानी जल्द हो जाएगा.
सत्ता पक्ष के विधायक बढ़ा रहे हैं सरकार की मुश्किल
बजट सत्र में सत्ता पक्ष के कई विधायक ही सरकार की मुश्किलें बढ़ा रहे हैं. बीजेपी के विधायक कुमार शैलेंद्र ने ध्यानाकर्षण के माध्यम से प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट कुशल युवा कार्यक्रम में बिहार में हो रही गड़बड़ी का खुलासा किया. बीजेपी विधायक ने कहा कि अधिकारियों और महाराष्ट्र की कंपनी ने मिलीभगत कर करोड़ों का गबन किया है.
कुमार शैलेंद्र के अनुसार 2016 में ही कंपनी को पोर्टल बनाना था. जिसके माध्यम से रजिस्ट्रेशन होता लेकिन कंपनी ने 2020 में पोर्टल तैयार किया और अब तक उसका रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ. जिसके चलते युवाओं की ट्रेनिंग अधूरी रह गई और उन्हें रोजगार से वंचित रहना पड़ा. कुमार ने कहा कि उन्होंने सरकार के संज्ञान में लाया है और विधानसभा अध्यक्ष ने समिति बना दी है. अब जांच के बाद साफ हो जाएगा कि कौन दोषी है.
गड़बड़ी को श्रम संसाधन मंत्री ने भी माना
कुशल युवा कार्यक्रम के तहत एक करोड़ युवाओं को ट्रेनिंग देना है. इसके लिए पोर्टल के माध्यम से रजिस्ट्रेशन कराना है. प्रति उम्मीदवार के हिसाब से महाराष्ट्र की कंपनी को भुगतान राज्य सरकार भुगतान करेगी. इसी में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की गई है और इस गड़बड़ी को सदन में श्रम संसाधन मंत्री जीवेश कुमार ने भी माना. उन्होंने कहा कि श्रम विभाग अपने स्तर पर इसकी जांच भी करा रहा है.
मंत्री जीवेश कुमार ने कहा "हम विधानसभा अध्यक्ष के फैसले का स्वागत करते हैं, लेकिन हम जांच कर रहे थे. एक करोड़ लोगों को कुशल युवा कार्यक्रम के माध्यम से ट्रेनिंग देना था. मामला पोर्टल बनाने को लेकर है. यह 2016-17 में बनाना था, लेकिन 2017 में नहीं बनाकर 2020 में बनाया गया, लेकिन भुगतान उस दौरान का भी लिया गया है.
"एग्रीमेंट के अनुसार काम नहीं करने पर हम पहले से इसकी जांच कर रहे थे. अब तो विधानसभा अध्यक्ष ने कमेटी बनाने का फैसला किया है तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा."- जीवेश कुमार, श्रम संसाधन मंत्री