पटना: बिहार में जहरीली शराबकांड (Bihar Hooch Tragedy) को लेकर बवाल मचा हुआ है. विपक्ष महागठबंधन की सरकार को घरने में (BJP Is Preparing For 2024 With Help Of Prohibition) लगा है. सबसे ज्यादा बुरा हाल बिहार सीएम नीतीश कुमार का हो रखा है. बीजेपी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर जमकर निशाना साध रही है. सीएम नीतीश कुमार ऐसे चारों तरफ से घिरे हैं कि वो शराबबंदी को लेकर बिहार में घूम-घूमकर उसका फायदा बताने जा रहे हैं. शराबबंदी का फायदा बताने मुख्यमंत्री बिहार घूमने वाले हैं. और उसकी भी तैयारी चल रही है. साथ ही मद्य निषेध विभाग के अधिकारियों को साफ निर्देश दिया गया है कि अब शराब पीने वालों की जगह शराब के धंधे में लगे लोगों पर कार्रवाई करें.
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BJP शराबबंदी के सहारे 2024 की तैयारी में जुटी : बिहार में शराब माफिया के सप्लाई चेन तोड़ने का निर्देश दिया गया है तो कई मोर्चे पर काम नए साल में शुरू हो जाएगा. कानून व्यवस्था और शराबबंदी को लेकर ही नीतीश कुमार ने आर एस भट्टी को डीजीपी बनाने का भी बड़ा फैसला लिया है. एक तरह से 2024 में सीएम नीतीश कुमार की तरफ से बीजेपी को जवाब देने की यह तैयारी मानी जा रही है. 6 साल पहले सर्वे करवाया गया था और उसके आधार पर मुख्यमंत्री लगातार दावा करते रहे हैं कि जो शराब पीते थे, उन्होंने शराब छोड़ कर अपना पैसा दूध, सब्जी, फल और कपड़ा में लगा रहे हैं.
बिहार में पूर्ण शराबबंदी : बच्चों की शिक्षा में खर्च कर रहे हैं. यह सर्वे किया गया था. सर्वे एक तरह से सरकार के पक्ष में ही था. अब एक बार फिर से नीतीश कुमार व्यापक स्तर पर सर्वे कराने की तैयारी कर रहे हैं. हालांकि इससे पहले इसी साल आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय और ए एन सिन्हा इंस्टीट्यूट की ओर से स्टडी किया गया था. जिसमें 80% लोगों ने शराबबंदी के पक्ष में अपना फैसला सुनाया था. लेकिन अब शराबबंदी से क्या फायदे हुए हैं, इसका व्यापक सर्वे होगा और लोगों का क्या सुझाव है, उस पर भी आगे रणनीति तैयार होगी. कानून व्यवस्था और शराबबंदी को लेकर ही मुख्यमंत्री ने आर एस भट्टी को डीजीपी पद की जिम्मेवारी दी है.
शराबबंदी को लेकर बिहार में संग्राम : मुख्यमंत्री नए साल में ग्रामीण इलाकों का भ्रमण करने वाले भी हैं और उसमें शराबबंदी बड़ा मुद्दा होगा. इसके अलावा मुख्यमंत्री ने विभाग को भी निर्देश दिया है कि शराब के अवैध धंधे में लगे लोगों को पकड़े न की पीने वालों को. राजनीतिक विशेषज्ञ रवि उपाध्याय का भी कहना है कि सबकुछ 2024 की तैयारी है. क्योंकि नीतीश कुमार का यूएसपी कानून व्यवस्था है. और शराबबंदी को लेकर भी नीतीश कुमार अडिग है. अब बड़ी जिम्मेदारी उन्होंने आर एस भट्टी को दे दी है. क्योंकि बीजेपी इसी दोनों मुद्दे को भुनाने में लगी है और आगे भी इसको मुद्दा बनाने की तैयारी है.
'सरकार ने व्यापक स्तर पर सर्वे कराने का निर्णय ले लिया है हालांकि अभी एजेंसी का चयन नहीं हुआ है, जल्द ही एजेंसी का चयन भी हो जाएगा. पहले भी व्यापक स्तर पर सर्वे हुआ था और इस बार भी हम लोग सर्वे करवा रहे हैं. सर्वे इसलिए करवा रहे हैं कि क्या फायदे हुए हैं और आगे क्या कुछ लोग चाहते हैं?. उस फीडबैक के आधार पर काम करेंगे.' - सुनील कुमार, मंत्री, मद्य निषेध एवं उत्पाद विभाग
'नीतीश कुमार अब कुछ भी कर लें, लेकिन उनका चेहरा सबने देख लिया. इतनी बदनामी हो चुकी है तो अपने चेहरे पर से कालिख हटाने की कोशिश में लगे हैं. लेकिन उनके लिए चुनौती 2024 से पहले ही पार्टी को बचाने और मुख्यमंत्री की कुर्सी बचाने की है.' - विनोद शर्मा, प्रवक्ता बीजेपी
'पूरे देश में बीजेपी को शराबबंदी लागू करनी चाहिए. हम लोग तो इसे मुद्दा बनाएंगे.' - एजाज अहमद, प्रवक्ता, आरजेडी
बीजेपी के लगातार हो रहे हमले के बाद नीतीश कुमार ने जो फैसले लिए हैं, वह 2024 को ध्यान में रख कर ही लिया गया है. जिसमें ---
1.आर एस भट्टी को बिहार का डीजीपी बनाया है और 2025 तक रहेंगे .
2.मुख्यमंत्री शराबबंदी के फायदे का व्यापक सर्वे कराएंगे और उसका प्रचार करेंगे.
3. मुख्यमंत्री खुद पूरे बिहार का भ्रमण करेंगे और शराबबंदी पर अपनी बात रखेंगे.
4.मद्य निषेध एवं उत्पाद विभाग और पुलिस प्रशासन को पीने वालों की जगह धंधेबाज के ऊपर नकेल कसने का निर्देश दिया है और सप्लाई चेन तोड़ने के लिए कहा है.
JDU को RJD का मिल रहा साथ : सीएम नीतीश कुमार की रणनीति के साथ आरजेडी फिलहाल खड़ी दिख रही है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के NDA से अलग होने के बाद बीजेपी लगातार विभिन्न मुद्दों पर राज्य सरकार के साथ-साथ बिहार के मुख्यमंत्री को घेर रही है. कानून व्यवस्था से लेकर शराबबंदी तक बड़ा मुद्दा बना रही है. सारण जहरीली शराब से मौत मामले के बाद बीजेपी को एक और बड़ा मुद्दा मिल गया है. जिसे 2024 में भी भुनाने की तैयारी बीजेपी की तरफ से होगी और 2025 में भी और इसी का जवाब देने के लिए नीतीश कुमार कई मोर्चे पर काम कर रहे हैं. जिसमें सर्वे तो करायेंगे ही साथ ही खुद लोगों के बीच जाकर शराबबंदी के फायदे गिनाएंगे. वहीं, विभाग को भी कई टास्क दिया गया है.
छपरा जहरीली शराब कांड : गौरतलब है कि बिहार के छपरा में जहरीली शराब से मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही (Suspected death in Chhapra due to poisonous liquor) है. अब तक 73 लोगों की मौत संदिग्ध जहरीला पदार्थ पीने से हुई है. सारण के मशरक, मढ़ौरा, इसुआपुर और अमनौर प्रखंड में ही ये मौतें हुईं हैं. इस मामले में पुलिस ने कार्रवाई करते हुए तस्करी करने वाले 153 धंधेबाजों को गिरफ्तार किया है. ऐसी आशंका जताई जा रही है मृतकों की संख्या बढ़ सकती है. क्योंकि कई लोगों की हालत गंभीर बनी हुई है. छपरा सदर अस्पताल, पीएमसीएच और एनएमसीएच में मरीजों का इलाज चल रहा है.