पटना: बिहार विधानसभा का विशेष सत्र (Bihar Assembly Special Session) हंगामेदार रहा. तीसरे दिन सत्र की शुरूआत होने से पहले ही बीजेपी ने अपने तेवर दिखा दिए थे. बता दें कि पिछले वर्ष बजट सत्र में विधानसभा में हुए भारी हंगामे और विपक्षी विधायकों द्वारा तत्कालीन स्पीकर व नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा के साथ किये गये दुर्व्यवहार मामले में विधानसभा की आचार समिति की सिफारिश पर बीजेपी ने नीतीश-तेजस्वी सरकार पर निशाना साधा (Vijay Sinha attack on Nitish Government) है. बीजेपी ने कहा था कि ''जनादेश का अपमान किया जा रहा है. आचार समिति की रिपोर्ट आ गई है, जिसे सदन के पटल पर रखने की जरूरत है.'' विधानसभा के पोर्टिको में बीजेपी नेताओं ने शुक्रवार को इस रिपोर्ट को सदन में रखने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया. हालांकि बिहार विधानसभा की कार्यवाही अनिश्चित काल के लिए स्थगित हो गई.
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इससे पहले नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा (Leader of Opposition Vijay Sinha) ने कहा है कि, रिपोर्ट में डीप्टी सीएम और मंत्री पर कार्रवाई की अनुशंसा है. ऐसे में हम रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की मांग करते है. ''शुक्रवार के कार्यसूची में इसे जोड़ा जाए, क्योंकि ये मामला विधानसभा के अंदर आया था. इसके लिए स्पेशल कमिटी बनी थी. इस रिपोर्ट को सदन के पटल पर रखा जाना चाहिए. आप जीरो टोलरेंस की बात करते हैं तो सभा के पटल पर रखने में क्या परेशानी है.
''शालीनता के साथ भी अपनी बात कही जा सकती है. मेरे मन के अंदर भी कई चोट लगे. सदन के अंदर संविधान के ज्ञाताओं ने पाठ पढ़ाने का काम किया गया. हमने भी सब्र रखा. बिहार के माननीय मुख्यमंत्री जी थे उनके सम्मान में कमी नहीं रखा. यह व्यवस्था चलनी चाहिए. चाहे नेता प्रतिपक्ष हो या नेता सदन या हमारे मंत्री या विधायक हो हर किसी का सम्मान मर्यादा के तहत हो. सदन में सब बराबर हैं. अगर कोई भेद करेगा तो आप समझ सकते है वे कितने ज्ञानवान है. आप जीरो टोलरेंस की बात करते है तो इस रिपोर्ट पर शुक्रवार को सभा के पटल पर रखें.'' - विजय सिन्हा, नेता प्रतिपक्ष
विजय सिन्हा ने कहा था कि 24 अगस्त 2022 को सप्तदश विधानसभा के षष्टम सत्र में निर्धारित कार्यसूची में बदलाव निर्धारित नियम एवं प्रावधानों के विरुद्ध अलोकतांत्रिक तरीके से किया गया, जो खेदजनक है. मेरे द्वारा सदन संचालन हेतु कार्य सूची निर्धारित की गई थी, जिसमें अध्यक्ष के प्रारंभिक संबोधन के पश्चात् बिहार विधानसभा की समितियों के प्रतिवेदन को सभा के समक्ष रखा जाना था, परंतु सभा सचिवालय द्वारा रात्रि में इस क्रम को बिना किसी आदेश के बदलकर नियमों को गलत तरीके से स्व- व्याख्या करते हुए गैर सरकारी कार्य को भी सरकारी बताकर कार्य सूची में फेरबदल कर दिया गया. यह सदन के स्थापित परंपरा के साथ-साथ नियम विरुद्ध कार्रवाई थी एवं आसन का अपमान भी था.