पटना: बिहार विधानसभा कि 22 समितियों का गठन हो गया है. लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव को गैर सरकारी विधेयक और संकल्प समिति का सभापति बनाए जाने पर सत्ताधारी दल की ओर से निशाना साधा जा रहा है. बीजेपी ने कहा है कि तेजस्वी परिवार से बाहर सोच ही नहीं सकते. राजद की ओर से इसकी सफाई में कहा गया कि पार्टी के नेताओं के साथ विचार विमर्श के बाद ही फैसला हुआ है. कांग्रेस ने भी राजद का बचाव किया है.
विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा की ओर से सभी 22 कमेटियों का गठन कर दिया गया है. दलों को उनकी संख्या के हिसाब से समितियों में जगह दी गई है. तेजप्रताप यादव को गैर सरकारी विधेयक और संकल्प समिति में सभापति बनाए जाने पर विवाद हो रहा है.
राजद ने वरिष्ठ नेताओं को नहीं दिया मौका
बीजेपी प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने लालू परिवार पर निशाना साधा है. बीजेपी नेता ने कहा "तेजस्वी परिवार से बाहर सोच ही नहीं सकते. समिति में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को जगह देने के लिए विधानसभा अध्यक्ष की ओर से नाम मांगा जाता है. राजद ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को मौका नहीं दिया.
राजद नेता एजाज अहमद ने तेजप्रताप का बचाव करते हुए कहा कि सबकी सहमति से ही फैसला हुआ है. परंपरा का पालन किया गया है. बीजेपी यदि कोई गड़बड़ करेगी तो उसका खुलासा हम लोग करते रहेंगे. कांग्रेस विधायक दल के नेता अजीत शर्मा ने राजद का बचाव किया है. उन्होंने कहा कि तेज प्रताप यादव दूसरी बार विधायक बने हैं. पार्टी के वरिष्ठ नेता है और मंत्री भी रह चुके हैं.
सत्ताधारी दल को मिला हमला करने का मुद्दा
बिहार विधानसभा में 25 समितियां हैं. तीन समिति विधानसभा अध्यक्ष के पास रहती है, जबकि शेष 22 समितियों को सभी दलों के बीच बांटा जाता है. पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को समितियों में सभापति बनाया जाता रहा है, लेकिन तेज प्रताप यादव को जिस प्रकार से समिति में जगह दी गई है, इससे सत्ताधारी दल के नेताओं को आरजेडी और तेजस्वी यादव पर हमला करने का मौका मिल गया है.