पटना: बिहार का सियासी पारा इस वक्त मौसमी तापमान से ज्यादा चढ़ा हुआ है. सुल्तानगंज-अगुवानी घाट को जोड़ने वाला पुल ध्वस्त होने के बाद विपक्षी दल बीजेपी ने सरकार को आड़े हाथो लिया है. बीजेपी ने इस मामले में निष्पक्ष जांच की मांग की है. बीजेपी प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने कहा है कि हम सरकार को बेनकाब करेंगे. 1710 करोड़ के नुकसान के लिए जिम्मेदार कौन है? पूरे घटनाक्रम की जांच अगर सीबीआई या अवकाश प्राप्त न्यायाधीश से नहीं कराई गई तो बीजेपी आंदोलन करेगी.
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9 जून को बीजेपी का आंदोलन: प्रेम रंजन पटेल ने कहा कि 9 जून को हम पूरे बिहार में सरकार का पुतला दहन कर सरकार के भ्रष्ट नीतियों का विरोध करेंगे. 12 जून को भाजपा का प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल से मिलेगा और निष्पक्ष जांच के लिए हम महामहिम से अनुरोध भी करेंगे. उन्होंने कहा कि यह सिर्फ एक पुल ध्वस्त नहीं हुआ, बल्कि सरकार के ऊपर से जनता का विश्वास टूटा. एक बार पहले भी पुल टूटने के बाद आईआईटी रुड़की से जांच में यह बात सामने आई की स्ट्रक्चर में दोष है.
"हम सरकार को बेनकाब करेंगे. 1710 करोड़ के नुकसान के लिए जिम्मेदार कौन है? पूरे घटनाक्रम की जांच अगर सीबीआई या अवकाश प्राप्त न्यायाधीश से नहीं कराई गई तो बीजेपी आंदोलन करेगी. 9 जून को हम पूरे बिहार में सरकार का पुतला दहन कर सरकार के भ्रष्ट नीतियों का विरोध करेंगे. 12 जून को भाजपा का प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल से मिलेगा और निष्पक्ष जांच के लिए हम महामहिम से अनुरोध भी करेंगे" - प्रेम रंजन पटेल, प्रवक्ता, बीजेपी
बीजेपी साध रही सीएम पर निशाना: बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि जांच के बाद स्ट्रक्चर में दोष सामने आने के बाद इसके लिए कौन जिम्मेदार है. मैं तो इसके लिए सिर्फ सीएम को दोषी ठहराउंगा. इंजीनियर मुख्यमंत्री रहते हुए स्ट्रक्चर में कैसे गड़बड़ी आ गई. जांच के बाद दोष की बात सामने आने पर दोबारा काम कैसे शुरू हो गया. सिर्फ काम ही शुरू नहीं हुआ, बिना जांच रिपोर्ट आए 300 करोड़ रुपये का भुगतान एजेंसी को करना, यह कौन सा खेल है, भ्रष्टाचार का.
70% प्रतिशत काम हो चुका था पूरा: अगुवानी पुल का निर्माण कार्य 2 मई 2015 से शुरू हुआ था. 3 किलोमीटर से अधिक लंबे पुल का 70% काम पूरा हो चुका था. पुल का निर्माण कार्य पूरी होने की अवधि 8 बार बढ़ाई जा चुकी थी. 1710 करोड़ की लागत से बनी पुल किसी फिल्म के सीन के तरह ध्वस्त हो गई. सरकार पूरे घटनाक्रम की लीपापोती में लग गई. सरकार का अजब गजब खेल भी देखने को मिल रहा है.
परियोजना के अभियंता को कर दिया ट्रांसफर: पुल निगम के वरीय परियोजना अभियंता योगेंद्र कुमार के खिलाफ 5 जून को कार्रवाई की गई और उन्हें सस्पेंड कर दिया गया और ठीक 1 दिन बाद यानी 4 जून को उनका ट्रांसफर कर दिया गया आपको बता दें कि 5 जून को पथ निर्माण विभाग की ओर से इंजीनियर योगेंद्र कुमार को सस्पेंड किया गया था. भारतीय जनता पार्टी पूरे घटनाक्रम पर हमलावर है और पार्टी की ओर से निष्पक्ष जांच की मांग की जा रही है.