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Bihar Education Department: विभागीय कार्रवाई के खिलाफ NHRC पहुंचा TET संघ, आदेश को बताया गैरकानूनी

शिक्षा विभाग के एक्शन के विरोध में बिहार टीईटी शिक्षक संघ ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का दरबाजा खटखटाया है. इस कार्रवाई को असंवैधानिक और गैर कानूनी बताते हुए ऐसे सभी आदेशों को रद्द करने की मांग की गई है. परिवाद पत्र में संघ ने लिखा कि विभिन्न जिलों के कार्रवाई पत्र में स्पष्टीकरण के साथ वेतन स्थगित करने का आदेश असंवैधानिक और गैर कानूनी है.

बिहार टीईटी शिक्षक संघ
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Published : Jul 13, 2023, 4:34 PM IST

पटना: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में दर्ज परिवाद में टीईटी शिक्षक संघ ने शिक्षा विभाग की ओर से शिक्षकों पर की जा रही कार्रवाई को असंवैधानिक और गैर कानूनी बताते हुए ऐसे सभी आदेशों को रद्द करने की मांग की है. इनका कहना है कि प्रथम स्पष्टीकरण के जवाब के बाद वेतन कटौती पर निर्णय लिया जाता है. हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट और मानवाधिकार आयोग द्वारा भी पूर्व के कई मामलों में यह आदेश निर्गत है.

ये भी पढ़ें: Bihar Shikshak Niyamawali: 'सरकार की ईंट से ईंट बजा देंगे'.. राज्यकर्मी का दर्जा की मांग को लेकर नियोजित शिक्षक

क्या लिखा है परिवाद पत्र में?: संघ का कहना है कि इस कार्य अवधि का वेतन किसी भी परिस्थिति में नहीं रोकना है. नियोजित शिक्षकों के लिए अब तक लागू 2020 नियमावली में भी वेतन स्थगित करने का कोई प्रावधान नहीं है. इन सभी आदेशों और नियमों की अवहेलना करते हुए गैरकानूनी ढंग से आंदोलनकारी शिक्षकों पर कार्रवाई की जा रही है. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में दर्ज परिवाद की डायरी संख्या-11339/IN/2023 है. संघ ने सुनवाई के लिए दिल्ली में वरिष्ठ वकीलों की टीम से संपर्क किया है. अगले सप्ताह इस मामले की आयोग में सुनवाई होने की संभावना है.

क्या बोले संघ के प्रदेश महासचिव: बिहार टीईटी शिक्षक संघ के प्रदेश महासचिव बलवंत कुमार सिंह ने बताया कि जब 11 जुलाई को शिक्षक शांतिपूर्ण तरीके से अपना प्रदर्शन कर रहे थे और राज्य सरकार द्वारा वार्ता आश्वासन के बाद अपना प्रदर्शन समाप्त कर दिया था, तब ऐसे में अपर मुख्य सचिव के द्वारा विभिन्न जिलों में चिन्हित शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई का निर्देश जारी करना सरकार की दोहरी नीति को उजागर करती है.

सरकार से नाराज शिक्षकों ने दी चेतावनी: संघ नेता ने कहा कि एक ओर सरकार के वरिष्ठ मंत्री सदन के अंदर और सदन के बाहर कहते हैं कि स्वयं मुख्यमंत्री शिक्षक नेताओं से बात कर उनकी मांगों पर सकारात्मक विचार करेंगे, वहीं दूसरी ओर विभाग की ओर से आंदोलनकारी शिक्षकों पर कार्रवाई की जाती है. इससे कहीं ना कहीं शिक्षकों में एक अविश्वास की भावना उत्पन्न हो रही है.

"अगर शीघ्र अति शीघ्र मूकदर्शक बनी बिहार सरकार ने शिक्षा विभाग के नौकरशाह पर अंकुश लगाते हुए कार्रवाई निर्देश को वापस नहीं लिया तो एक बार फिर से बिहार में जेपी आंदोलन की तरह बिहार के सम्पूर्ण विद्यालय में एक साथ तालाबंदी कर सरकार के खिलाफ निर्णायक और ऐतिहासिक शिक्षक महासंग्राम का आगाज होगा"- बलवंत कुमार सिंह, प्रदेश महासचिव, बिहार टीईटी शिक्षक संघ

पटना: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में दर्ज परिवाद में टीईटी शिक्षक संघ ने शिक्षा विभाग की ओर से शिक्षकों पर की जा रही कार्रवाई को असंवैधानिक और गैर कानूनी बताते हुए ऐसे सभी आदेशों को रद्द करने की मांग की है. इनका कहना है कि प्रथम स्पष्टीकरण के जवाब के बाद वेतन कटौती पर निर्णय लिया जाता है. हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट और मानवाधिकार आयोग द्वारा भी पूर्व के कई मामलों में यह आदेश निर्गत है.

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क्या लिखा है परिवाद पत्र में?: संघ का कहना है कि इस कार्य अवधि का वेतन किसी भी परिस्थिति में नहीं रोकना है. नियोजित शिक्षकों के लिए अब तक लागू 2020 नियमावली में भी वेतन स्थगित करने का कोई प्रावधान नहीं है. इन सभी आदेशों और नियमों की अवहेलना करते हुए गैरकानूनी ढंग से आंदोलनकारी शिक्षकों पर कार्रवाई की जा रही है. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में दर्ज परिवाद की डायरी संख्या-11339/IN/2023 है. संघ ने सुनवाई के लिए दिल्ली में वरिष्ठ वकीलों की टीम से संपर्क किया है. अगले सप्ताह इस मामले की आयोग में सुनवाई होने की संभावना है.

क्या बोले संघ के प्रदेश महासचिव: बिहार टीईटी शिक्षक संघ के प्रदेश महासचिव बलवंत कुमार सिंह ने बताया कि जब 11 जुलाई को शिक्षक शांतिपूर्ण तरीके से अपना प्रदर्शन कर रहे थे और राज्य सरकार द्वारा वार्ता आश्वासन के बाद अपना प्रदर्शन समाप्त कर दिया था, तब ऐसे में अपर मुख्य सचिव के द्वारा विभिन्न जिलों में चिन्हित शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई का निर्देश जारी करना सरकार की दोहरी नीति को उजागर करती है.

सरकार से नाराज शिक्षकों ने दी चेतावनी: संघ नेता ने कहा कि एक ओर सरकार के वरिष्ठ मंत्री सदन के अंदर और सदन के बाहर कहते हैं कि स्वयं मुख्यमंत्री शिक्षक नेताओं से बात कर उनकी मांगों पर सकारात्मक विचार करेंगे, वहीं दूसरी ओर विभाग की ओर से आंदोलनकारी शिक्षकों पर कार्रवाई की जाती है. इससे कहीं ना कहीं शिक्षकों में एक अविश्वास की भावना उत्पन्न हो रही है.

"अगर शीघ्र अति शीघ्र मूकदर्शक बनी बिहार सरकार ने शिक्षा विभाग के नौकरशाह पर अंकुश लगाते हुए कार्रवाई निर्देश को वापस नहीं लिया तो एक बार फिर से बिहार में जेपी आंदोलन की तरह बिहार के सम्पूर्ण विद्यालय में एक साथ तालाबंदी कर सरकार के खिलाफ निर्णायक और ऐतिहासिक शिक्षक महासंग्राम का आगाज होगा"- बलवंत कुमार सिंह, प्रदेश महासचिव, बिहार टीईटी शिक्षक संघ

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