पटनाः बिहार में शिक्षक नियामवली में बदलाव (Bihar Teacher Recruitment) का विरोध शुरू हो गया है. शिक्षक अभ्यर्थियों के साथ-साथ शिक्षक संघ ने सड़क पर उतरने का फैसला ले लिया है. शिक्षक संघ ने सीएम नीतीश कुमार को खूब खरी खोटी सुनाई. मंगलवार को बिहार कैबिनेट में शिक्षक नियुक्ति को लेकर बिहार के स्थानीय होने की आहर्ता को खत्म कर दी गई है. इससे अन्य राज्य के अभ्यर्थी भी बहाली में भाग ले सकते हैं, लेकिन बिहार में इसका विरोध शुरू हो गया है.
शिक्षक अभ्यर्थियों की हकमारीः बिहार एसटीइटी उत्तीर्ण शिक्षक अभ्यर्थी संघ के प्रदेश अध्यक्ष अभिषेक कुमार झा ने कड़ा विरोध जताते हुए सीएम नीतीश कुमार को खरी खोटी सुनाई. कहा कि इस फैसले से बिहार के बेरोजगार शिक्षक अभ्यर्थियों की हकमारी हुई है. यह कैसी वैकेंसी आई है कि जब से आवेदन की प्रक्रिया शुरू हुई है, रोज नियम बदल रहे हैं. शिक्षक अभ्यर्थियों के साथ सरकार मजाक कर रही है. दूसरे प्रदेशों में डोमिसाइल नीति लागू है, लेकिन बिहार में इसे खत्म कर दिया गया है.
"कैबिननेट की बैठक में शिक्षक नियुक्ति को लेकर जो बदलाव किया गया है, इसे किसी भी हाल में स्वीकार नहीं किया जाएगा. मैं इसका कड़ा विरोध करता हूं और इसके लिए रोड पर उतरूंगा. नीतीश कुमार समझ क्या लिए हैं. नियमावली में रोज-रोज संसोधिन किया जा रहा है. बिहार के युवा बेरोजगार बैठे हैं और अन्य राज्य को मौका दिया जा रहा है. सरकार का यह फैसला बर्दाश्तसे बाहर है." -अभिषेक कुमार झा
अभ्यर्थियों के साथ क्रूर मजाकः इधर, बिहार एसटीइटी शिक्षक संघ के अध्यक्ष अमित विक्रम ने भी कड़ा विरोध जताया है. वैकेंसी के नियमावली में परिवर्तन करके देश के सभी राज्यों के अभ्यर्थियों के लिए आवेदन की अनुमति दी गई, जो बिहार के बेरोजगार शिक्षक अभ्यर्थियों के साथ क्रूर मजाक है. यह निर्णय बिहार के शिक्षक अभ्यर्थियों, शिक्षकों और युवाओं के साथ अन्याय है. सरकार को जब यही करना था तो आज से 3 साल पहले डोमिसाइल नीति नहीं लानी चाहिए थी.
"वर्तमान समय में यह सरकार ने जो संसोधन किया है, यह बिहार के शिक्षक अभ्यर्थियों के साथ क्रूर मजाक किया गया है. एक लंबे आंदोलन के बाद बिहार में डोमिसाइल नीति लागू हुई थी, जिसे खत्म कर दिया गया. नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री बनने के मंसूबों के कारण इस तरह का फैसला लिए हैं. इस फैसले के खिलाफ प्रदर्शन किया जाएगा." -अमित विक्रम
पूरे प्रदेश में उग्र आंदोलन होगाः बिहार प्रारंभिक युवा शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष दीपांकर गौरव ने कहा कि डोमिसाइल नीति हटाना सरकार युवा विरोधी मानसिकता को दर्शाती है. दूसरे प्रदेशों के अभ्यर्थियों को भी आवेदन में छूट देकर सरकार ने प्रदेश के बेरोजगार शिक्षक अभ्यर्थियों के साथ क्रूर मजाक किया है और शिक्षक अभ्यर्थियों की मानसिक प्रताड़ना को और बढ़ाया है. निर्णय को वापस लेते हुए डोमिसाइल नीति लागू करने की मांग करते हैं, अन्यथा पूरे प्रदेश में उग्र आंदोलन होगा.
"शिक्षक बहाली में स्थानीय नीति को हटा कर बिहार सरकार ने युवा विरोधी मानसिकता को दर्शाने का काम किया है. एक और जहां दूसरे राज्य में बिहार के युवाओं के लिए दरवाजा बंद है, वहीं बिहार सरकार दूसरे राज्य के अभ्यर्थियों से आवेदन मांग रहे हैं. एक महीने में कम से कम 9 बार संसोधन किया गया है. इसके लिए शिक्षक संघ पुरजोर प्रदर्शन करेंगे." -दीपांकर गौराव
क्या है मामलाः सीएम नीतीश कुमार की कैबिनेट ने बिहार में शिक्षक बहाली में अहम बदलाव की है. इसमें सरकार ने बिहार से स्थानीय होने की आहर्ता को हटा दिया है, इससे अन्य राज्य के अभ्यर्थी भी शिक्षक बहाली में भाग ले पाएंगे. यानि भारत के नागरिक हैं तो इस बहाली में भाग ले सकेंगे. इसी को लेकर सरकार के इस नियम का कड़ा विरोध किया जा रहा है. इस बाक बिहार में 1 लाख 70 हजार 461 शिक्षकों की बहाली को लेकर आदेवन मांगा गया है.