पटना: कोरोना संकटकाल (Corona Crisis Period) में बिहार की अर्थव्यवस्था (Bihar Economy) बुरे दौर से गुजर रही है. अर्थव्यवस्था पटरी पर आने के बाद केंद्रीय कर (Central Tax) में बिहार की हिस्सेदारी बढ़ी है. फिर भी वित्त आयोग (Finance Commission) की सिफारिशों के मुताबिक बिहार का केंद्रीय कर में जो हिस्सा निश्चित था, वह भी नहीं मिल रहा है.
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बिहार आर्थिक संकट (Economic Crisis) के दौर से गुजर रहा है. संक्रमण काल में अर्थव्यवस्था बेपटरी हो गई है. केंद्रीय कर में बिहार की हिस्सेदारी बढ़ने से राज्य सरकार (State Government) ने राहत की सांस ले रही है. अब बिहार को हर महीने 300 करोड़ ज्यादा मिलेंगे.
केंद्रीय बजट (Union Budget) की घोषणा के मुताबिक बिहार को 66,942 करोड़ देना तय किया गया था, लेकिन वित्तीय वर्ष की शुरूआत के समय हिस्सेदारी 55,583 करोड़ सालाना के आधार पर हर महीने 4631 करोड़ रुपए दिया गया. जुलाई महीने से केंद्रीय करों में मासिक हिस्सेदारी बढ़ने से बिहार की हिस्सेदारी भी बढ़ी है.
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अब बिहार को 4900 करोड़ रुपए हर महीने मिलेंगे, इससे राज्य की योजनाओं को रफ्तार देने में मदद मिलेगी. बिहार के हिस्से हर महीने में 300 करोड़ की राशि अधिक मिलने जा रही है. बता दें कि अब भी बिहार को मिलने वाली कुल राशि से 1000 करोड़ रुपए कम है. वित्त आयोग की सिफारिशों के मुताबिक बिहार को हिस्सेदारी नहीं मिली है.
''प्रधानमंत्री बिहार के विकास की चिंता करते हैं. बिहार को स्पेशल पैकेज दिया गया और जब भी मौका मिलता है तो बिहार के हितों का ख्याल रखा जाता है. जहां तक सवाल केंद्रीय हिस्सेदारी का है, तो कोरोना संकट की वजह से हिस्सेदारी में कमी आई है.''- प्रेम रंजन पटेल, बीजेपी प्रवक्ता
''बिहार को उसका वाजिब हक भी नहीं मिल रहा है, वित्त आयोग की सिफारिशों के मुताबिक बिहार को जितनी राशि मिलना चाहिए थी, वो भी नहीं मिल रही है. बिहार को स्पेशल पैकेज की दरकार है.''- विद्यार्थी विकास, अर्थशास्त्री