पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Chief Minister Nitish Kumar) का जनता दरबार कार्यक्रम करीब 5 साल फिर शुरू हुआ है. इसे लेकर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने मुख्यमंत्री पर निशाना साधा था. अब सत्ता पक्ष ने भी तेजस्वी यादव पर तीखा प्रहार किया है.
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मुख्यमंत्री ने सोमवार को 150 से अधिक लोगों की फरियाद सुनी. सीएम के इस जनता दरबार के बाद बिहार की सियासत गर्म हो गई है. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने सीधा सरकार पर आरोप लगाया है. उन्होंने कहा है कि इस जनता दरबार से लोगों की भलाई तो नहीं हो सकती, लेकिन अधिकारी मालामाल जरूर हो जाएंगे. तेजस्वी यादव के इस बयान के बाद अब सत्ता पक्ष उन पर हमलावर हो गया है. जदयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार का कहना है कि-
'मुख्यमंत्री जनता दरबार के बाद लोक संवाद कार्यक्रम का भी आयोजन करेंगे. लोक शिकायत निवारण अधिकानून का जयकारा लगाते थे, जब 22 महीना सरकार में थे. यह कार्य योजना जनता से सीधे संवाद का है. आज तक न उनके पिता और न ही मां पूरे कार्यकाल में जनता के अदालत में सीधे उपस्थित हुए. सिर्फ पोर्टल और मीडिया में बयान देने से कुछ नहीं होता है. विपक्ष को नहीं पता कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इस जनता दरबार का पूरी दुनिया में नाम हुआ है. -नीरज कुमार, जदयू मुख्य प्रवक्ता
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नीरज कुमार ने कहा कि मुख्यमंत्री के जनता दरबार से कितने लोगों की शिकायतों का निपटारा हुआ है. तेजस्वी यादव को शायद पता भी नहीं है. लोक शिकायत निवारण कानून भी बनाया गया. बिहार में कोई विपत्ति आती है, तो तेजस्वी यादव बिहार से बाहर रहते हैं. सोशल मीडिया पर सरकार को कोसते हैं. उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति बाहर रहता है, वह बिहार की जनता का दु:ख-दर्द क्या समझेगा.
हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के प्रदेश प्रवक्ता विजय यादव ने भी तेजस्वी यादव के बयान पर हमला बोला है. उन्होंने कहा है कि-
'नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को कुछ काम नहीं है. वो सिर्फ बयान देकर मीडिया की सुर्खियों में बने रहना चाहते हैं. जब तेजस्वी यादव को जनता दरबार लगाना चाहिए था, तब वे बिहार से बाहर चले जाते हैं. उन्हें जनता से कोई मतलब नहीं है. जनता दरबार कार्यक्रम से गरीबों का उत्थान होता है.' -विजय यादव, हम प्रवक्ता
बता दें कि तेजस्वी यादव सोमवार को दिल्ली से पटना लौटे हैं. पटना एयरपोर्ट पर ही पत्रकारों से बातचीत करते हुए तेजस्वी यादव ने सीएम पर निशाना साधा था. उन्होंने कहा था कि इस जनता दरबार से जनता की भलाई तो नहीं होगी लेकिन अधिकारी मालामाल हो जाएंगे. क्योंकि जो जनता को सीधे जिले से अधिकारी ला रहे हैं, उस पर ट्रांसपोर्ट खर्च, रहने का खर्च आदि सीधे उनके पॉकेट में जाता है.