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भू-अभिलेखों के डिजिटाइजेशन पर बिहार की बड़ी छलांग, 125% प्रगति के साथ 8वें स्थान पर पहुंचा

बिहार ने भू-अभिलेखों के डिजिटाइजेशन और आधुनिकीकरण में बड़ी छलांग लगाई है. 125 प्रतिशत ग्रोथ के साथ बिहार 23वें स्थान से कूदकर 8वें स्थान पर काबिज हो गया है. वहीं, भू-अभिलेखों के डिजिटाइज होने के चलते सूबे में दाखिल खारिज के मामले भी काफी बढ़ गए हैं.

पटना
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Published : Mar 8, 2021, 4:45 PM IST

पटना: भू-अभिलेखों के डिजिटाइजेशन और आधुनिकीकरण के मूल्यांकन करने वाली एजेंसी राष्ट्रीय एजेंसी नेशनल काउंसिल ऑफ अप्लाइड इकोनामिक रिसर्च ने बिहार को इस बार पहला स्थान दिया है. राज्य में इस बार प्रगति 125% हुई है. वहीं, दूसरे स्थान पर केरल काबिज है. जबकि त्रिपुरा ने तीसरा स्थान हासिल किया है. इस उपलब्धि ने डिजिटाइजेशन के मामले में बिहार को 23वें स्थान से लाकर 8वें स्थान पर पहुंचा दिया है.

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इन आधार पर किया जाता है डिजिटाइजेशन
राज्यों में इस प्रगति के मूल्यांकन का आधार खतियान, जमाबंदी, नक्शा और निबंधन के रिकॉर्ड के कंप्यूटराइजेशन से होता है. इसके अलावा भू-अभिलेखों की क्वालिटी भी देखी जाती है. निबंधन के रिकॉर्ड में निबंधित दस्तावेजों के साथ सर्किल रेट और दस्तावेजों की आपूर्ति की स्थिति भी देखी जाती है. इन सभी को मिलाकर 100 अंक तय किए जाते हैं. राज्य की इस बड़ी छलांग में नक्शे के डिजिटाइजेशन और आम लोगों को उसे उपलब्ध कराने के तरीके का बड़ा योगदान है.

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प्रत्येक साल 440 प्रतिशत का रिकॉर्ड ग्रोथ
राज्य ने हर साल 440% का ग्रोथ हासिल किया है. भूमि सुधार विभाग ने देश के किसी कोने से राज्य के किसी जिले का नक्शा ऑनलाइन निकालने की सुविधा दी है. राज्य में कंप्यूटरीकरण का काम भूमि सुधार विभाग ने जुलाई 2015 में शुरू किया था. इसके तहत राज्य के 3.54 करोड़ जमाबंदी पंजियों का मात्र 1 साल में डिजिटाइज्ड कर ऑनलाइन कर दिया गया. इसके बाद जमाबंदी पंजियों में सुधार के लिए सरकार ने "परिमार्जन" पोर्टल बनाया है. इस पोर्टल के माध्यम से अब तक 91.6 लाख त्रुटियों को सुधारा जा चुका है. इस आधार पर राज्य के लोग ऑनलाइन सेवा भी ले सकते हैं. लगान जमा करना हो या जमीन की रसीद कटाने हो या फिर मोटेशन कराना हो सभी सेवाएं ऑनलाइन कर दी गई है. जिसके कारण दाखिल खारिज के आवेदनों की संख्या भी दोगुनी हो गई है.

पटना: भू-अभिलेखों के डिजिटाइजेशन और आधुनिकीकरण के मूल्यांकन करने वाली एजेंसी राष्ट्रीय एजेंसी नेशनल काउंसिल ऑफ अप्लाइड इकोनामिक रिसर्च ने बिहार को इस बार पहला स्थान दिया है. राज्य में इस बार प्रगति 125% हुई है. वहीं, दूसरे स्थान पर केरल काबिज है. जबकि त्रिपुरा ने तीसरा स्थान हासिल किया है. इस उपलब्धि ने डिजिटाइजेशन के मामले में बिहार को 23वें स्थान से लाकर 8वें स्थान पर पहुंचा दिया है.

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इन आधार पर किया जाता है डिजिटाइजेशन
राज्यों में इस प्रगति के मूल्यांकन का आधार खतियान, जमाबंदी, नक्शा और निबंधन के रिकॉर्ड के कंप्यूटराइजेशन से होता है. इसके अलावा भू-अभिलेखों की क्वालिटी भी देखी जाती है. निबंधन के रिकॉर्ड में निबंधित दस्तावेजों के साथ सर्किल रेट और दस्तावेजों की आपूर्ति की स्थिति भी देखी जाती है. इन सभी को मिलाकर 100 अंक तय किए जाते हैं. राज्य की इस बड़ी छलांग में नक्शे के डिजिटाइजेशन और आम लोगों को उसे उपलब्ध कराने के तरीके का बड़ा योगदान है.

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प्रत्येक साल 440 प्रतिशत का रिकॉर्ड ग्रोथ
राज्य ने हर साल 440% का ग्रोथ हासिल किया है. भूमि सुधार विभाग ने देश के किसी कोने से राज्य के किसी जिले का नक्शा ऑनलाइन निकालने की सुविधा दी है. राज्य में कंप्यूटरीकरण का काम भूमि सुधार विभाग ने जुलाई 2015 में शुरू किया था. इसके तहत राज्य के 3.54 करोड़ जमाबंदी पंजियों का मात्र 1 साल में डिजिटाइज्ड कर ऑनलाइन कर दिया गया. इसके बाद जमाबंदी पंजियों में सुधार के लिए सरकार ने "परिमार्जन" पोर्टल बनाया है. इस पोर्टल के माध्यम से अब तक 91.6 लाख त्रुटियों को सुधारा जा चुका है. इस आधार पर राज्य के लोग ऑनलाइन सेवा भी ले सकते हैं. लगान जमा करना हो या जमीन की रसीद कटाने हो या फिर मोटेशन कराना हो सभी सेवाएं ऑनलाइन कर दी गई है. जिसके कारण दाखिल खारिज के आवेदनों की संख्या भी दोगुनी हो गई है.

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