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Bihar Politics: तो क्या बिहार की राजनीति 90 डिग्री के कोण से घूमेगी!, जानें इनसाइड स्टोरी

बिहार की राजनीति एक बार फिर करवट लेती दिख रही है. राजद और जदयू के बीच तलवारें खींच चुकी है और दोनों दल अपने स्टैंड से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं. इधर भाजपा भी हाई अलर्ट पर है. बदली हुई परिस्थितियों में एनडीए एक बार फिर स्वरूप लेता दिख रहा है.

NDA form government again in Bihar
NDA form government again in Bihar
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Published : Jan 19, 2023, 8:19 PM IST

महागठबंधन में गांठ!

पटना: बिहार में महागठबंधन को आकार लिए 6 महीने भी नहीं बीते हैं कि राजद और जदयू के बीच दूरियां बढ़ने लगी है. दोनों दलों के नेता एक दूसरे को औकात बताने में जुटे हैं. पहले सुधाकर सिंह उसके बाद शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर सिंह और अब सुरेंद्र यादव के बयानबाजी से जदयू पशोपेश में है. मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बाद भी बड़बोले नेता लगातार बयानबाजी कर रहे हैं.

पढ़ें- Ramcharitmanas Controversy: जदयू के दबाव के आगे नहीं झुकी राजद , महा संकट में महागठबंधन..

महागठबंधन में गांठ!: शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर सिंह ने रामचरितमानस को लेकर जो टिप्पणी की थी, उसे लेकर जदयू खेमे में खासी नाराजगी है जदयू नेता लगातार इस बात की मांग कर रहे हैं कि शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर सिंह के खिलाफ राजद कार्रवाई करे. बिहार की जनता से माफी मांगने के चंद्रशेखर सिंह के मुद्दे पर तेजस्वी यादव ने भी चुप्पी साध रखी है.

नहीं है संतुष्ट जेडीयू: जदयू नेता भवन निर्माण मंत्री के अलावा मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार लगातार तल्ख टिप्पणी कर रहे हैं. अशोक चौधरी ने यहां तक कहा कि नीतीश कुमार किसी की कृपा से मुख्यमंत्री नहीं बने हैं. तनाव को कम करने की कोशिश आंशिक रूप से तेजस्वी यादव के द्वारा की गई और सुधाकर सिंह को नोटिस थमाया गया. इतने से जदयू नेता संतुष्ट नहीं हैं. जदयू चंद्रशेखर सिंह के खिलाफ भी कार्रवाई चाहती है.

बीजेपी ने तैयारी की रणनीति: पूरे घटनाक्रम पर भाजपा की पैनी नजर है. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने अहले सुबह पार्टी प्रवक्ताओं की बैठक बुलाई. बैठक में तमाम प्रवक्ताओं को भविष्य की रणनीतियों को लेकर टिप्स दिए गए. मिल रही जानकारी के मुताबिक नीतीश कुमार को लेकर भी नरमी दिखाने की रणनीति पर चर्चा हुई.

भाजपा और जदयू के बीच करीबी के संकेत: रामचरितमानस पर टिप्पणी जेडीयू नेताओं को भी नागवार गुजरा. अब तक शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर सिंह के द्वारा खेद नहीं व्यक्त किए जाने के बाद जदयू के शीर्ष नेता नाराज हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बाबा ब्रह्मेश्वर नाथ की पूजा कर नेताओं को इस बात के संकेत भी दिए कि सभी धर्मों का सम्मान किया जाना चाहिए.

आपको बता दें कि पिछले 1 महीने से जदयू भाजपा को लेकर सॉफ्ट दिख रही है. पार्टी नेता भाजपा या उनके बड़े नेता को लेकर तल्ख टिप्पणी भी नहीं कर रहे हैं. जाहिर तौर पर अंदर खाने एक दूसरे के करीब आ रहे हैं. नीतीश कुमार सुशील मोदी का नाम लेकर संकेत भी दे चुके हैं.

"नीतीश कुमार प्रधानमंत्री बनने की आकांक्षा के चलते महागठबंधन में गए थे. नीतीश कुमार अपने बैग में केसरिया और हरा दो कुर्ता रखते हैं. अपनी जरूरत के हिसाब से उपयोग में ले आते हैं."- संजय जायसवाल, बिहार बीजेपी अध्यक्ष

भाजपा की सफाई: भाजपा प्रवक्ता अखिलेश सिंह से जब ईटीवी भारत संवाददाता ने यह सवाल किया कि आप के एक बड़े नेता ने कहा था कि नीतीश कुमार को अब चिमटे से भी नहीं छुएंगे तो पार्टी प्रवक्ता ने कहा कि यह विषय केंद्र का है और इस पर अंतिम निर्णय केंद्र को लेना होता है. हमें जो दिशा-निर्देश मिलता है उसका हम पालन करते हैं.

"वर्तमान समय में राजनीति कोई भी करवट ले सकती है. नीतीश कुमार या तो अपनी शर्तों पर एनडीए में आ सकते हैं या फिर वह खुद केंद्र की सियासत में जाकर बिहार की सत्ता भाजपा को सौंप सकते हैं. तेजस्वी के लिए भी वर्तमान परिपेक्ष में अवसर हैं और वह जदयू को झटका दे सकते हैं."- कौशलेंद्र प्रदर्शनी,वरिष्ठ पत्रकार

"वर्तमान राजनीतिक परिपेक्ष में ऊंट किसी भी करवट बैठ सकता है. दाव के इंतजार में भाजपा राजद और जदयू तीनों दल हैं. भाजपा और जदयू के बीच खिचड़ी पक सकती है लेकिन स्वरूप अलग होने की पूरी संभावना है. संभव है कि नीतीश कुमार केंद्र की राजनीति में जाएं और मुख्यमंत्री की कुर्सी भाजपा के कोटे में चली जाए. अगर बात नहीं बनी तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चुनाव में भी जाने का फैसला कर सकते हैं."- डॉ संजय कुमार,राजनीतिक विश्लेषक

तेजस्वी यादव के लिए भी विकल्प है. जदयू को झटका देकर तेजस्वी खुद मुख्यमंत्री बन सकते हैं या फिर नीतीश स्वेच्छा से तेजस्वी यादव को कुर्सी सौंप दें. एक अन्य विकल्प यह है कि तेजस्वी भाजपा के मौन समर्थन से कुर्सी पर काबिज हो जाएं.

महागठबंधन में गांठ!

पटना: बिहार में महागठबंधन को आकार लिए 6 महीने भी नहीं बीते हैं कि राजद और जदयू के बीच दूरियां बढ़ने लगी है. दोनों दलों के नेता एक दूसरे को औकात बताने में जुटे हैं. पहले सुधाकर सिंह उसके बाद शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर सिंह और अब सुरेंद्र यादव के बयानबाजी से जदयू पशोपेश में है. मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बाद भी बड़बोले नेता लगातार बयानबाजी कर रहे हैं.

पढ़ें- Ramcharitmanas Controversy: जदयू के दबाव के आगे नहीं झुकी राजद , महा संकट में महागठबंधन..

महागठबंधन में गांठ!: शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर सिंह ने रामचरितमानस को लेकर जो टिप्पणी की थी, उसे लेकर जदयू खेमे में खासी नाराजगी है जदयू नेता लगातार इस बात की मांग कर रहे हैं कि शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर सिंह के खिलाफ राजद कार्रवाई करे. बिहार की जनता से माफी मांगने के चंद्रशेखर सिंह के मुद्दे पर तेजस्वी यादव ने भी चुप्पी साध रखी है.

नहीं है संतुष्ट जेडीयू: जदयू नेता भवन निर्माण मंत्री के अलावा मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार लगातार तल्ख टिप्पणी कर रहे हैं. अशोक चौधरी ने यहां तक कहा कि नीतीश कुमार किसी की कृपा से मुख्यमंत्री नहीं बने हैं. तनाव को कम करने की कोशिश आंशिक रूप से तेजस्वी यादव के द्वारा की गई और सुधाकर सिंह को नोटिस थमाया गया. इतने से जदयू नेता संतुष्ट नहीं हैं. जदयू चंद्रशेखर सिंह के खिलाफ भी कार्रवाई चाहती है.

बीजेपी ने तैयारी की रणनीति: पूरे घटनाक्रम पर भाजपा की पैनी नजर है. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने अहले सुबह पार्टी प्रवक्ताओं की बैठक बुलाई. बैठक में तमाम प्रवक्ताओं को भविष्य की रणनीतियों को लेकर टिप्स दिए गए. मिल रही जानकारी के मुताबिक नीतीश कुमार को लेकर भी नरमी दिखाने की रणनीति पर चर्चा हुई.

भाजपा और जदयू के बीच करीबी के संकेत: रामचरितमानस पर टिप्पणी जेडीयू नेताओं को भी नागवार गुजरा. अब तक शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर सिंह के द्वारा खेद नहीं व्यक्त किए जाने के बाद जदयू के शीर्ष नेता नाराज हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बाबा ब्रह्मेश्वर नाथ की पूजा कर नेताओं को इस बात के संकेत भी दिए कि सभी धर्मों का सम्मान किया जाना चाहिए.

आपको बता दें कि पिछले 1 महीने से जदयू भाजपा को लेकर सॉफ्ट दिख रही है. पार्टी नेता भाजपा या उनके बड़े नेता को लेकर तल्ख टिप्पणी भी नहीं कर रहे हैं. जाहिर तौर पर अंदर खाने एक दूसरे के करीब आ रहे हैं. नीतीश कुमार सुशील मोदी का नाम लेकर संकेत भी दे चुके हैं.

"नीतीश कुमार प्रधानमंत्री बनने की आकांक्षा के चलते महागठबंधन में गए थे. नीतीश कुमार अपने बैग में केसरिया और हरा दो कुर्ता रखते हैं. अपनी जरूरत के हिसाब से उपयोग में ले आते हैं."- संजय जायसवाल, बिहार बीजेपी अध्यक्ष

भाजपा की सफाई: भाजपा प्रवक्ता अखिलेश सिंह से जब ईटीवी भारत संवाददाता ने यह सवाल किया कि आप के एक बड़े नेता ने कहा था कि नीतीश कुमार को अब चिमटे से भी नहीं छुएंगे तो पार्टी प्रवक्ता ने कहा कि यह विषय केंद्र का है और इस पर अंतिम निर्णय केंद्र को लेना होता है. हमें जो दिशा-निर्देश मिलता है उसका हम पालन करते हैं.

"वर्तमान समय में राजनीति कोई भी करवट ले सकती है. नीतीश कुमार या तो अपनी शर्तों पर एनडीए में आ सकते हैं या फिर वह खुद केंद्र की सियासत में जाकर बिहार की सत्ता भाजपा को सौंप सकते हैं. तेजस्वी के लिए भी वर्तमान परिपेक्ष में अवसर हैं और वह जदयू को झटका दे सकते हैं."- कौशलेंद्र प्रदर्शनी,वरिष्ठ पत्रकार

"वर्तमान राजनीतिक परिपेक्ष में ऊंट किसी भी करवट बैठ सकता है. दाव के इंतजार में भाजपा राजद और जदयू तीनों दल हैं. भाजपा और जदयू के बीच खिचड़ी पक सकती है लेकिन स्वरूप अलग होने की पूरी संभावना है. संभव है कि नीतीश कुमार केंद्र की राजनीति में जाएं और मुख्यमंत्री की कुर्सी भाजपा के कोटे में चली जाए. अगर बात नहीं बनी तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चुनाव में भी जाने का फैसला कर सकते हैं."- डॉ संजय कुमार,राजनीतिक विश्लेषक

तेजस्वी यादव के लिए भी विकल्प है. जदयू को झटका देकर तेजस्वी खुद मुख्यमंत्री बन सकते हैं या फिर नीतीश स्वेच्छा से तेजस्वी यादव को कुर्सी सौंप दें. एक अन्य विकल्प यह है कि तेजस्वी भाजपा के मौन समर्थन से कुर्सी पर काबिज हो जाएं.

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