पटनाः एलजेपी ( LJP ) में बगावत के बाद अब सियासी चर्चा का बाजार गरम है. कोई कह रहा है कि नीतीश ( CM Nitish Kumar ) से दुश्मनी चिराग को भारी पड़ी, तो कोई कह रहा है कि इस टूट में जेडीयू ( JDU ) के एक नेता ने ही अहम भूमिका निभाई. ईटीवी भारत ( Etv Bharat Bihar ) ने भी 28 फरवरी 2021 को ही बताया दिया था कि 'बंगले' पर नीतीश की टेढ़ी नजर, पशुपति पारस ( Pashupati Kumar Paras ) के रुख से लोजपा में टूट के आसार है.
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सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, पार्टी टूट में अगर सबसे बड़ी भूमिका किसी की है तो वो खुद चिराग के चाचा यानी पशुपति पारस ही हैं. बताया जा रहा है कि 2020 के विधानसभा चुनाव ( Bihar Assembly Election-2020 ) में जब चिराग ने NDA से अलग रहकर चुनाव लड़ने का प्लान पार्टी में सबके सामने रखा था तभी पशुपति पारस इसके खिलाफ थे. पशुपति पारस और नीतीश कुमार के बीच नजदीकियां जगजाहिर है. बताया जाता है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ( Ram Vilas Paswan ) के निधन के बाद से पशुपति पारस पार्टी नेतृत्व से नाराज चल रहे थे.
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2020 में चिराग का 'असंभव नीतीश अभियान'
दरअसल, बिहार विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान ने नीतीश कुमार के खिलाफ असंभव नीतीश अभियान चलाया था, जेडीयू के सभी उम्मीदवारों के खिलाफ उम्मीदवार उतारा था. माना जाता है कि उसी के कारण नीतीश कुमार को बहुत नुकसान उठाना पड़ा और जेडीयू 43 सीट लेकर बिहार में तीसरे नंबर की पार्टी बन गई. कहा जाता है कि उसी समय से नीतीश चिराग से बदला लेने में लगे थे. पहले नीतीश ने एलजेपी के एकमात्र विधायक को जेडीयू में मिलाया. इसके बाद चर्चा होने लगी एलजेपी के सांसद नीतीश कुमार के संपर्क में हैं.
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भतीजे से नाराज चल रहे थे चाचा
इधर, चिराग पासवान के रवैया से उनके चाचा पशुपति कुमार पारस भी खुश नहीं थे. इस बात की जानकारी सीएम नीतीश को भी थी. इसके बाद नीतीश ने परिवार और पार्टी, दोनों में 'खेल' करने के लिए अपने योद्धाओं को मैदान में उतार दिया. बताया जाता है कि पशुपति कुमार पारस को मनाने के लिए जेडीयू के वरिष्ठ नेता और विधानसभा उपाध्यक्ष महेश्वर हजारी को कहा गया.
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महेश्वर हजारी ही क्यों?
बताया जाता है कि महेश्वर हजारी ( Maheshwar Hazari ) का रामविलास पासवान के परिवार से पारिवारिक रिश्ता है. अक्सर वे पासवान के घर आते-जाते रहते हैं. इसके अलावा पशुपति पारस का नीतीश से भी अच्छा संबंध है. यही कारण है कि नीतीश ने पशुपति को मनाने के लिए महेश्वर हजारी को भेजा. खबर ये भी है एलजेपी के अन्य सांसदों को मनाने के लिए जेडीयू के एक सांसद को लगाया गया था.
बहुत पहले लिखी गई थी पटकथा
इस साल के शुरू में ही एलजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद सूरजभान सिंह सीएम नीतीश कुमार से मुख्यमंत्री आवास में मिल चुके थे. बताया जाता है कि उसी वक्त पटकथा लिखी जानी शुरू हो गई थी. सूरजभान को सीएम नीतीश से मिलाने वाले बिहार के शिक्षा मंत्री विजय चौधरी थे. उसके बाद सूरजभान के भाई और सांसद चंदन भी मुख्यमंत्री से मिले और लगातार एलजेपी के सांसदों से उनकी संपर्क बनी रही. इसमें जेडीयू सांसद ललन सिंह की भूमिका भी अहम रही.
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तो क्या है नीतीश को 'बंगले' पर है नजर?
जानकार बताते हैं कि अभी तो खेल शुरू ही हुआ है, असली खेल बाकी है. एलजेपी में जो कुछ भी हो रहा है, वो कहीं न कहीं नीतीश के इशारे पर हो रहा है. अगर नीतीश के प्लान के अनुसार सब कुछ हुआ तो आने वाले वक्त में बहुत कुछ देखने को मिलेगा.