पटना: बिहार पुलिस ने डॉग स्क्वायड में 25 नए डॉग खरीदे हैं. जो कि पिछले 9 महीने से उनके हैंडलर के साथ हैदराबाद में ट्रेनिंग ले रहे थे. इसे लेकर बीएमपी-5 परिसर में इंडक्शन प्रोग्राम के साथ ही डॉग शो का भी आयोजन किया गया. जिसमें बिहार के डीजीपी एसके सिंघल ने बतौर अतिथि शिरकत की और उन्हें डॉग के द्वारा ही गुलदस्ता देकर उनका अभिनंदन किया गया.
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''डॉग स्क्वायड के सभी डॉग शराब ढूंढ निकालने, अपराध के अनुसंधान और बम स्क्वायड में काफी माहिर हैं. इन सभी नए प्रशिक्षित डॉग मिलने से बिहार पुलिस की ताकत और मजबूत हो गई है. 25 डॉग में से पब्जी, सिंबा, शेरू और ड्यूक महत्वपूर्ण घटनाओं की जांच में पुलिस की मदद करेंगे''- संजीव कुमार सिंघल, बिहार डीजीपी
डॉग शो का आयोजन
बिहार पुलिस ने इससे पहले 2019 में 20 स्निफर डॉग खरीदे थे जो कि लगातार शराब पकड़ने की कवायद में जुटे हुए हैं. इन डॉग के माध्यम से लगातार बिहार में शराब तस्करों को पकड़ा जा रहा है. 25 डॉग के माध्यम से बीएमपी-5 परिसर में डॉग शो का आयोजन किया गया. जिसमें पुलिस मुख्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों के समक्ष इन्होंने अपना कर्तव्य दिखाया. बिहार पुलिस से 1912 में सबसे पहले ब्लड हाउंड प्रजाति के दो श्वानों को शामिल किया था. 1913 में दोनों श्वानों की मौत के बाद श्वान दस्ता क्रियाशील नहीं रहा.
1955-56 से कार्यरत डॉग स्क्वायड
पुलिस में श्वानों के महत्व को देखते हुए 1955-56 में डॉग स्क्वायड फिर से कार्यरत किया. इस बार एनसीसीएन डॉग को इस दस्ते में शामिल किया गया. तब से लगातार श्वान दस्ता बिहार पुलिस में कार्यरत है. वर्ष 2014 में बिहार पुलिस के श्वान दस्ते में मात्र 14 श्वान ही उपलब्ध थे.
अपराधियों की अब खैर नहीं
महत्वपूर्ण आपराधिक घटनाओं के उद्भेदन, मादक पदार्थ के उद्भेदन, अति विशिष्ट व्यक्ति की सुरक्षा, विस्फोटक पदार्थ के उद्भेदन आदि के महत्व को देखते हुए श्वान दस्ते के विस्तार के लिए बिहार सरकार ने एक महत्वकांक्षी योजना की स्वीकृति 2014 में दी थी. इस योजना के तहत रेल के साथ प्रत्येक जिले के लिए श्वान दस्ते की स्वीकृति दी गई. क्षेत्रीय मुख्यालय वाले जिलों के लिए श्वान दस्ते से अतिरिक्त यूनिट की स्वीकृति दी गई. कुल मिलाकर राज्य के लिए 50 यूनिट श्वान दस्ते की स्वीकृति दी गई थी.
प्रत्येक यूनिट में चार डॉग्स
बिहार में फिलहाल प्रत्येक यूनिट में चार डॉग्स की व्यवस्था है. प्रति यूनिट पैनल निर्माण के लिए 29 लाख 76 हजार 224 रुपए की राशि स्वीकृत की गई है. प्रत्येक पैनल निर्माण की देखरेख में प्रशिक्षण, अभ्यास और स्वामी के अपेक्षित कार्य के निष्पादन के लिए एक प्रधान हैंडलर, एक सहायक हैंडलर की तैनाती की जाती है.
कई वारदातों का किया खुलासा
दो बेल्जियम मेलोनॉइज ट्रैकर श्वानों को आतंकवाद निरोधक दस्ते में प्रतिनियुक्त किया जाएगा. श्वानों के वर्तमान बैच में पहली बार मादक पदार्थ के उद्भेदन हेतु 5 श्वानों को प्रशिक्षित कराकर बिहार पुलिस के श्वान दस्ते में शामिल किया गया है. अब तक दर्जनों सनसनीखेज घटनाओं में डॉग्स के सहयोग से कांडों का उद्भेदन और अपराधियों की गिरफ्तारी सुनिश्चित की गई है.
9 महीने हैदराबाद में ली ट्रेनिंग
सभी डॉग अपने हैंडलर के साथ पिछले 9 महीने से हैदराबाद में ट्रेनिंग ले रहे थे. इसमें बेल्जियम शेफर्ड लेब्रा नस्ल के डॉग के साथ अन्य नस्ल के भी डॉग भी शामिल है. डॉग स्क्वायड में शामिल सभी डॉग नारकोटिक्स, बम ट्रैकिंग, शराब व्यवसायियों के मंसूबे पर पानी फेरने में कामयाब होंगे. बेल्जियन शेफर्ड की खासियत है कि इसमें लंबी छलांग लगाने के अलावा सूंघने की शक्ति काफी ज्यादा होती है. जिस वजह से इन्हें शराब, नारकोटिक्स और बम ट्रैकिंग का प्रशिक्षण दिया गया है.
शराब पकड़ने में माहिर डॉग स्क्वायड
सीआईडी के डॉग स्क्वायड में 68 श्वान हैं. डॉग स्क्वायड के हर डॉग पर राज्य सरकार हर महीने करीब डेढ़ लाख रुपए खर्च करती है. करीब डेढ़ साल पहले बिहार पुलिस ने स्निफर डॉग खरीदे थे. जो शराब पकड़ने में माहिर हैं.
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आपराधिक वारदातों पर लगेगा अंकुश
इन सभी डॉग को लाने के पीछे राज्य सरकार का मकसद है कि बिहार में जिस तरह से अपराधिक वारदातों में बेतहाशा वृद्धि हुई है और 2016 से बिहार में पूर्ण शराबबंदी है और इसके बावजूद भी शराब तस्कर अपना व्यवसाय चोरी चुपके ढंग से कर रहे हैं, उनके मंसूबों पर पानी फेरना है.