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तैयार है प्‍लान, बिहार में सड़क परियोजनाओं के लिए दूर होगी जमीन अधिग्रहण की अड़चन

सड़क निर्माण को लेकर जमीन अधिग्रहण की मॉनीटरिंग का पुराना सिस्टम अब पुन: शुरू होगा. पथ निर्माण विभाग उन सड़कों का ब्योरा अपडेट कर रहा है, जिनके लिए सड़क अधिग्रहण का मामला लंबी अवधि से अटका पड़ा है. मुख्य सचिव के स्तर पर अब इसकी नियमित मॉनीटरिंग के लिए समीक्षा बैठक होगी.

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Published : Jan 29, 2021, 8:58 PM IST

पटना: बिहार पथ निर्माण विभाग 5 घंटे के लक्ष्य पर काम कर रही है. पहले प्रदेश के सुदूर इलाकों से 6 घंटे का लक्ष्य राजधानी पहुंचने का रखा गया था, जिसे प्राप्त करने का दावा नीतीश कुमार तक करते रहे हैं. सड़कों की स्थिति बेहतर हो और इसके लिए पथ निर्माण विभाग ने अधिग्रहण की पॉलिसी भी बनाई है.

पिछले साल कोरोना के कारण इस पॉलिसी पर बहुत ज्यादा काम तो नहीं हुआ. लेकिन पथ निर्माण विभाग के अधिकारियों से जो जानकारी मिल रही है कि अब इस पर काम की गति तेज होगा. ऐसे में पथ निर्माण विभाग ने 2006 से लेकर अब तक 6000 किलोमीटर से अधिक सड़कों का अधिग्रहण किया है.

ये भी पढ़ें: 'चाहने वालों की दुआ से जल्द ठीक होंगे लालू, जेल में ही रखने की हो रही साजिश'

बिहार विधानसभा और विधान परिषद में सत्र के दौरान लगातार सदस्यों की ओर से यह सवाल उठाए जाते रहे कि जमीन के अधिग्रहण को लेकर पथ निर्माण विभाग क्या कर रहा है. पथ निर्माण विभाग के लिए चुनौतीपूर्ण स्थिति रहता था कि कौन सी सड़क का अधिग्रहण करें और कौन सी सड़क का नहीं. इसी को देखते हुए सरकार ने पॉलिसी तैयार की और उसमें कई तरह के मानक बनाए गए. इसको लेकर लगातार समीक्षा भी हो रही है. लेकिन कोरोना के कारण इस पर बहुत ज्यादा काम नहीं हुआ है.

वीडियो...

पढ़ें: बिहार सरकार का बड़ा फैसला- 8 फरवरी से छठी कक्षा से शुरू हो जाएगी पढ़ाई, सभी शिक्षकों को स्कूल जाना अनिवार्य

बिहार में सड़कों के निर्माण के लिए जमीन अधिग्रहण सबसे बड़ी चुनौती रही है. कई सड़कों का कार्य इसलिए अटका पड़ा है, क्योंकि ग्रामीण जमीन देने के लिए तैयार नहीं है. कई जगह मुआवजा कम मिलने के कारण भी ग्रामीणों की तरफ से आंदोलन होते हैं और हंगामा भी. ऐसे में मुख्यमंत्री ने पथ निर्माण विभाग को निर्देश भी दे रखा है कि जहां जमीन अधिग्रहण ना हो सके. वहां एलिवेटेड रोड बनाकर समस्या से निजात पाया जा सकता है और विभाग उस पर भी काम कर रहा है.

पथ निर्माण विभाग की प्रत्येक वर्ष अधिग्रहण की गई सड़कें:-

वर्षपथों की संख्यापथ की लंबाई(किलोमीटर में)
2007 21 248
2008 27 78
2009 34 179
2010 62 490
2012 09 54
2013 70 730
2014 33 234
2015 74 1023
2016 44 280
2017 48 447
2018 217 2010
2019-20 182 1754


पथ निर्माण विभाग ने मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद प्रमुख सड़कों की सूची भी तैयार किया है, जिसमें जमीन के कारण काम अटका पड़ा है. पथ निर्माण विभाग के सूत्रों के अनुसार, राष्ट्रीय राजमार्ग की 22 परियोजनाओं में जमीन की समस्याओं को लेकर सूची तैयार की है, जो पिछले 5 वर्षों से अधिक समय से लंबित है. इसके साथ उन सड़कों की भी सूची तैयार की गई है, जहां अधिकांश कार्य हो गए हैं. लेकिन कुछ जगह जमीन अधिग्रहण नहीं होने के कारण फंसा हुआ है. कुछ मामले कोर्ट में है. तो उस पर भी पथ निर्माण विभाग रास्ता निकालने की तैयारी कर रहा है.

जमीन अधिग्रहण नहीं होने के कारण कई योजनाओं पर असर
सड़कों के अधिग्रहण को लेकर विधायकों और विधान पार्षदों की ओर से काफी दबाव रहता था और उसके कारण कई तरह की परेशानियां भी होती थी. लेकिन पथ निर्माण विभाग की पॉलिसी से कई तरह की परेशानियों से निजात मिलेगा. इसके अलावा सड़क निर्माण के लिए जमीन अधिग्रहण भी एक बड़ी समस्या होती थी और उसका सबसे बड़ा कारण सही समय पर मुआवजा नहीं देना भी था. लेकिन पिछले साल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय समीक्षा हुई और उसके बाद यह तय हुआ कि मुख्य सचिव स्तर पर भी इसकी लगातार मॉनिटरिंग होगी. लेकिन सच्चाई यह भी है कि आज भी कई बड़ी परियोजनाओं के निर्माण पर जमीन अधिग्रहण का असर पर रहा है और कई योजनाएं लटकी हुई है.

पटना: बिहार पथ निर्माण विभाग 5 घंटे के लक्ष्य पर काम कर रही है. पहले प्रदेश के सुदूर इलाकों से 6 घंटे का लक्ष्य राजधानी पहुंचने का रखा गया था, जिसे प्राप्त करने का दावा नीतीश कुमार तक करते रहे हैं. सड़कों की स्थिति बेहतर हो और इसके लिए पथ निर्माण विभाग ने अधिग्रहण की पॉलिसी भी बनाई है.

पिछले साल कोरोना के कारण इस पॉलिसी पर बहुत ज्यादा काम तो नहीं हुआ. लेकिन पथ निर्माण विभाग के अधिकारियों से जो जानकारी मिल रही है कि अब इस पर काम की गति तेज होगा. ऐसे में पथ निर्माण विभाग ने 2006 से लेकर अब तक 6000 किलोमीटर से अधिक सड़कों का अधिग्रहण किया है.

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बिहार विधानसभा और विधान परिषद में सत्र के दौरान लगातार सदस्यों की ओर से यह सवाल उठाए जाते रहे कि जमीन के अधिग्रहण को लेकर पथ निर्माण विभाग क्या कर रहा है. पथ निर्माण विभाग के लिए चुनौतीपूर्ण स्थिति रहता था कि कौन सी सड़क का अधिग्रहण करें और कौन सी सड़क का नहीं. इसी को देखते हुए सरकार ने पॉलिसी तैयार की और उसमें कई तरह के मानक बनाए गए. इसको लेकर लगातार समीक्षा भी हो रही है. लेकिन कोरोना के कारण इस पर बहुत ज्यादा काम नहीं हुआ है.

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बिहार में सड़कों के निर्माण के लिए जमीन अधिग्रहण सबसे बड़ी चुनौती रही है. कई सड़कों का कार्य इसलिए अटका पड़ा है, क्योंकि ग्रामीण जमीन देने के लिए तैयार नहीं है. कई जगह मुआवजा कम मिलने के कारण भी ग्रामीणों की तरफ से आंदोलन होते हैं और हंगामा भी. ऐसे में मुख्यमंत्री ने पथ निर्माण विभाग को निर्देश भी दे रखा है कि जहां जमीन अधिग्रहण ना हो सके. वहां एलिवेटेड रोड बनाकर समस्या से निजात पाया जा सकता है और विभाग उस पर भी काम कर रहा है.

पथ निर्माण विभाग की प्रत्येक वर्ष अधिग्रहण की गई सड़कें:-

वर्षपथों की संख्यापथ की लंबाई(किलोमीटर में)
2007 21 248
2008 27 78
2009 34 179
2010 62 490
2012 09 54
2013 70 730
2014 33 234
2015 74 1023
2016 44 280
2017 48 447
2018 217 2010
2019-20 182 1754


पथ निर्माण विभाग ने मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद प्रमुख सड़कों की सूची भी तैयार किया है, जिसमें जमीन के कारण काम अटका पड़ा है. पथ निर्माण विभाग के सूत्रों के अनुसार, राष्ट्रीय राजमार्ग की 22 परियोजनाओं में जमीन की समस्याओं को लेकर सूची तैयार की है, जो पिछले 5 वर्षों से अधिक समय से लंबित है. इसके साथ उन सड़कों की भी सूची तैयार की गई है, जहां अधिकांश कार्य हो गए हैं. लेकिन कुछ जगह जमीन अधिग्रहण नहीं होने के कारण फंसा हुआ है. कुछ मामले कोर्ट में है. तो उस पर भी पथ निर्माण विभाग रास्ता निकालने की तैयारी कर रहा है.

जमीन अधिग्रहण नहीं होने के कारण कई योजनाओं पर असर
सड़कों के अधिग्रहण को लेकर विधायकों और विधान पार्षदों की ओर से काफी दबाव रहता था और उसके कारण कई तरह की परेशानियां भी होती थी. लेकिन पथ निर्माण विभाग की पॉलिसी से कई तरह की परेशानियों से निजात मिलेगा. इसके अलावा सड़क निर्माण के लिए जमीन अधिग्रहण भी एक बड़ी समस्या होती थी और उसका सबसे बड़ा कारण सही समय पर मुआवजा नहीं देना भी था. लेकिन पिछले साल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय समीक्षा हुई और उसके बाद यह तय हुआ कि मुख्य सचिव स्तर पर भी इसकी लगातार मॉनिटरिंग होगी. लेकिन सच्चाई यह भी है कि आज भी कई बड़ी परियोजनाओं के निर्माण पर जमीन अधिग्रहण का असर पर रहा है और कई योजनाएं लटकी हुई है.

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