पटनाः बिहार विधान परिषद का शीतकालीन सत्र शुरू हो गया. सोमवार को पहले दिन ही विधान परिषद के बाहर विपक्षी नेताओं ने प्रदर्शन किया. नेताओं ने साफ-साफ कहा कि जातीय गणना में जो कुछ किया गया है, वह पूरी तरह से गलत है. मीडिया को दिए बयान में विधान परिषद के नेता प्रतिपक्ष हरि साहनी ने कहा कि कहीं आंकड़ा बढ़ा दिया गया हो कहीं घटा दिया गया है.
"जातीय गणना का जब निर्णय हुआ था, उस समय भाजपा का भी सहयोग था, लेकिन जो परिणाम आया है, ये पता नहीं था कि इस तरह से होगा. कुछ लोग रो रहे हैं और कुछ हंस रहे हैं. कहीं खुशी कभी गम वाली हालात है. जिनको लग रहा है कि उनकी आबादी अधिक दिखाया गया है, वे खुश हो रहे हैं. कई की उपजाति अलग-अलग थी, लेकिन उनको एक कर दिया गया है. जब एक साथ गणना हुआ तो आर्थिक रिपोर्ट एक साथ क्यों नहीं आई. इसकी जांच की मांग करते हैं." -हरि साहनी, नेता प्रतिपक्ष, विधान परिषद
आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट जारी करने की मांगः नेता प्रतिपक्ष ने आरोप लगाया कि विभिन्न जाति के आंकड़ा को कम किया गया है. खास जाति को ज्यादा कर के दिखाया गया है. हरि साहनी ने मांग की है कि सरकार को सदन के अंदर इसका जवाब देना होगा. अगर सरकार जवाब नहीं देगी तो हम लोग सदन की कार्यवाही को चलने नहीं देंगे. उन्होंने सरकार से मांग की है कि आर्थिक सर्वे रिपोर्ट भी जारी किया जाए. सरकार कह रही है कि जातीय गणना के साथ आर्थिक सर्वेक्षण भी किया गया है तो उसे छिपाया क्यों जा रहा है.
10 दिनों तक चलेगी शीतकालीन सत्रः सोमवार से शीतकालीन सत्र की शुरुआत हुई है, जो 10 नवंबर तक चलेगा. इस दौरान विपक्ष नेता सरकार को कई मुद्दों पर घेरने का काम करेंगे. बिहार में जातीय गणना बड़ा मुद्दा बन गया है. नेताओं का आरोप है सर्वे रिपोर्ट में मुस्लिम और यादवों की संख्या को बढ़ाकर दिखाया गया है. जिसका विपक्ष सरकार से जवाब मांग रही है. इसके साथ ही शिक्षक बहाली में भी घोटाला का आरोप लगाया जा रहा है. इसको लेकर भी विपक्ष सरकार से सवाल करने के मुड में है.
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