पटना: बिहार विधानसभा में बीते मंगलवार को जो कुछ हुआ वह संसदीय लोकतंत्र के लिए काला अध्याय था पहली बार विधायकों को नियंत्रित करने के लिए सदन के अंदर बिहार पुलिस को दाखिल होना पड़ा. पूरे घटनाक्रम के बाद तमाम विधायक यह कह रहे हैं कि यह लोकतांत्रिक इतिहास के लिए काला अध्याय है. ऐसा नहीं होना चाहिए था सत्ता पक्ष जहां विपक्ष के ऊपर आरोप लगा रही है. वही, विपक्ष सत्तापक्ष को कठघरे में खड़ा करने में जुटी है विपक्ष के अड़ियल रवैया के चलते हुआ हंगामा है.
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विपक्ष ने सरकार को ठहराया जिम्मेदार
राजद के प्रधान महासचिव आलोक मेहता ने कहा कि सदन में विपक्ष के मुंह को बंद किया जा रहा है. नेता प्रतिपक्ष को बोलने से रोका जा रहा था और सरकार जबरदस्ती बिल पारित करवाने पर आमदा थी. सदन की कार्रवाई चलाने के लिए आचार संहिता बनाने की जरूरत है. भाकपा माले विधायक दल के नेता महबूब आलम तनावपूर्ण स्थिति के लिए जिम्मेदार सरकार को मानते हैं. महबूब आलम का कहना है कि हम लोग शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात रख रहे थे लेकिन हमें अपनी बात रखने की इजाजत भी नहीं दी जा रही थी.
विपक्ष पर अड़ियल रवैये का आरोप
बिहार सरकार के मंत्री सुमित सिंह का कहना है कि सदन में जनहित के मुद्दे उठाए जाने चाहिए लेकिन विपक्ष करवाया नकारात्मक था और वह सदन चलने देना नहीं चाहते थे. भाजपा विधायक हरिशंकर प्रसाद ने कहा है कि विपक्ष को आत्म संयम बरतने की जरूरत है विपक्ष के अड़ियल रवैया के चलते सदन में अफरा तफरी का माहौल हो गया विपक्ष को सदन में अपने व्यवहार में बदलाव करने की जरूरत है.
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दअअसल, बिहार विधान सभा का बजट सत्र अभूतपूर्व हंगामे के लिए जाना जाएगा. विधायकों ने सदन के अंदर पिछले दो दिनों के दौरान जो आचरण पेश किए उसने लोकतंत्र को शर्मसार करने का काम किया वहीं, देश के प्रजातांत्रिक इतिहास में शायद यह पहली घटना थी जब विधायकों को नियंत्रित करने के लिए सदन के अंदर पुलिस को बुलाना पड़ा हो. दरअसल, विपक्षी सदस्य सशस्त्र पुलिस बल से संबंधित विधेयक का विरोध कर रहे थे से पारित होने देना नहीं चाहते थे तमाम सदस्य पहले अध्यक्ष के कक्ष के बाहर धरने पर बैठे और फिर सदन के अंदर कार्रवाई शुरू नहीं होने देना चाहते थे बिहार पुलिस को सदन के अंदर दाखिल होकर सदस्यों को बाहर निकालना पड़ा.