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'ईसाई मिशनरी ना होती तो तमिलनाडु बन जाता बिहार' वाले बयान पर तमतमाई JDU, दे डाली नसीहत

बीते महीने तमिलनाडु विधानसभा अध्यक्ष एम अप्पावु (Tamil Nadu Assembly Speaker M Appavu) के बिहार को लेकर दिए गए बयान के बाद से सियासत तेज हो गई है. उनके इस बयान पर बिहार के नेताओं ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. पढ़ें पूरी खबर..

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Published : Jul 26, 2022, 6:43 PM IST

तमिलनाडु विस स्पीकर और नीतीश कुमार
तमिलनाडु विस स्पीकर और नीतीश कुमार

पटना: तमिलनाडु विधानसभा अध्यक्ष और द्रमुक नेता एम अप्पावु का एक महीने पुराना बयान (Tamil Nadu Assembly Speaker statement) जिसमें उन्होंने राज्य के विकास का श्रेय ईसाइयों को दिया था. अब विवाद का कारण बन गया है. उन्होंने कहा था कि कैथोलिक ईसाई नहीं होते तो तमिलनाडु बिहार की तरह हो जाता है. उसके इस बयान पर बिहार के सत्ताधारी दल के नेताओं ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है.

ये भी पढ़ें-बोले पप्पू यादव - राहुल गांधी की कभी भी हत्या करवा सकती है केन्द्र सरकार

तमिलनाडु विस अध्यक्ष के बयान पर नेताओं की प्रतिक्रिया: तमिलनाडु विधानसभा अध्यक्ष एम अप्पावु के बयान पर बिहार सरकार में शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी (Education Minister Vijay Kumar Choudhary) ने कहा कि वह तो बिहार को किसी से कम नहीं मानते हैं. वहीं, जदयू प्रवक्ता अभिषेक झा (JDU spokesperson Abhishek Jha) ने डीएमके नेता के इस बयान को शर्मनाक बयान कहा है. उन्होंने कहा कि बिहार के बारे में उन्हें जानकारी नहीं है. बिहार आकर उन्हें जानकारी ले लेनी चाहिए. जबकि ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने कहा बिहार तो जो काम कर रहा है, कई राज्य आज उसका अनुकरण कर रहे हैं. आज के बिहार के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है और पहले भी बिहार पूरे विश्व को शिक्षा की रोशनी दिखाता रहा है.

"यह शर्मनाक बयान है. किसी भी सम्मानित नेता को इस तरह के बयान देने से बचना चाहिए. जबसे नीतीश कुमार ने बिहार की बागडोर संभाली है सभी जाति, धर्म, समुदाय के लोग आपसी सौहार्द वातावरण में रह रहे हैं. सबको काम करने की छूट है. इसके कारण अल्पसंख्यक समाज चाहे मुस्लिम समाज हो या ईसाई समाज वे लोग भी अपना काम बखूबी करते हैं. हम आग्रह करेंगे एक बार बिहार आएं और बिहार आकर यहां का वातावरण देखें. मुझे नहीं लगता है कि उनके पास सही जानकारी होगी. सही जानकारी रखें, गलतफहमी में ना पड़े."- अभिषेक झा, प्रवक्ता, जदयू

"हमको तो ऐसा नहीं लगता है कि बिहार किसी से कम है. बिहार की स्थिति किससे खराब है, हम तो शुरु से कहते हैं. कहां खड़ा है उससे कोई मतलब नहीं है. किधर जा रहे हैं, वह मायने रखता है. क्या बिहार पिछड़ा रहा बिहारियों के कारण? लोगों को ऐतिहासिक और भौगोलिक एडवांटेज मिला हुआ है. तमिलनाडु के डीएमके के नेता या और कोई कहें उनको जो हजारों किलोमीटर का समुद्र का किनारा मिला हुआ है, समुद्री संसाधन मिला हुआ है. यह तमिलनाडु के लोगों की कमाई है क्या? हम लोग लैंड लॉक स्टेट हैं और यहां ना सोना, चांदी, हीरा का खान है और ना ही हजारों किलोमीटर का कोस्टल एरिया ही मिला हुआ है. यह बिहार के लोगों की गलती है क्या? सबको सोचना चाहिए बिहारी तो हमेशा से स्वाभिमानी रहे हैं. बिहारी अपने बल पर करके दिखाने में सक्षम है और करके दिखाया है और आगे भी करके दिखाएंगे."- विजय कुमार चौधरी, शिक्षा मंत्री, बिहार

"जो भी इस तरह का बयान दे रहे हैं आज के बिहार को उन्होंने नहीं देखा है. पहले का बिहार भी शिक्षा के क्षेत्र में पूरी दुनिया को ज्ञान दे रहा था. कहीं भी विश्वविद्यालय नहीं था उस समय नालंदा में विश्वविद्यालय था. अब तो नीतीश कुमार के नेतृत्व में जो काम हो रहा है, वैसा दूसरे राज्य में भी देखने को नहीं मिल रहा है. कई राज्य के लोग कई योजनाओं को देखने यहां आ रहे हैं. कई योजनाओं में दूसरे राज्य बिहार का अनुकरण कर रहे हैं."- श्रवण कुमार, ग्रामीण विकास मंत्री, बिहार सरकार

बिहार को लेकर कई राज्य के नेताओं ने दिया है बयान: बिहार को लेकर पहले भी दूसरे राज्यों के नेताओं ने बयान दिया है. जिसका जवाब बिहार के नेताओं द्वारा दिया जाता रहा है और अब तमिलनाडु के विधानसभा अध्यक्ष और डीएमके नेता के बयान पर भी बिहार की सत्ताधारी दल के नेताओं ने डीएमके नेता पर निशाना साध रहे हैं. सभी नेताओं की इस पर लगातार प्रतिक्रिया आ रही है.

बीते महीने विस अध्यक्ष ने दिया था बयान: बता दें कि पिछले महीने 28 जून को, अप्पावु और डीएमके एलएमए इनिगो इरुदयाराज ने तिरुचिरापल्ली में सेंट पॉल सेनिमरी के शताब्दी समारोह में भाग लिया था. इस कार्यक्रम में बोलते हुए अप्पावु ने कहा था कि अगर कैथोलिक ईसाई नहीं होते, तो तमिलनाडु बिहार जैसा होता. कैथोलिक ईसाइयों ने ही मुझे आज इस मुकाम तक पहुंचाने में मदद की. तमिलनाडु सरकार आपकी सरकार है. आपने बनायी है यह सरकार. आपकी प्रार्थना और उपवास ने इस सरकार का गठन किया. कैथोलिक ईसाई सामाजिक न्याय और द्रविड़ मॉडल सरकार का मुख्य कारण हैं.

ये भी पढ़ें-बिहारी को बीमारी बताए जाने पर कांग्रेस MLA ने तृणमूल पर साधा निशाना, कहा- 'बिहार का इतिहास समझें मनोरंजन'

पटना: तमिलनाडु विधानसभा अध्यक्ष और द्रमुक नेता एम अप्पावु का एक महीने पुराना बयान (Tamil Nadu Assembly Speaker statement) जिसमें उन्होंने राज्य के विकास का श्रेय ईसाइयों को दिया था. अब विवाद का कारण बन गया है. उन्होंने कहा था कि कैथोलिक ईसाई नहीं होते तो तमिलनाडु बिहार की तरह हो जाता है. उसके इस बयान पर बिहार के सत्ताधारी दल के नेताओं ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है.

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तमिलनाडु विस अध्यक्ष के बयान पर नेताओं की प्रतिक्रिया: तमिलनाडु विधानसभा अध्यक्ष एम अप्पावु के बयान पर बिहार सरकार में शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी (Education Minister Vijay Kumar Choudhary) ने कहा कि वह तो बिहार को किसी से कम नहीं मानते हैं. वहीं, जदयू प्रवक्ता अभिषेक झा (JDU spokesperson Abhishek Jha) ने डीएमके नेता के इस बयान को शर्मनाक बयान कहा है. उन्होंने कहा कि बिहार के बारे में उन्हें जानकारी नहीं है. बिहार आकर उन्हें जानकारी ले लेनी चाहिए. जबकि ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने कहा बिहार तो जो काम कर रहा है, कई राज्य आज उसका अनुकरण कर रहे हैं. आज के बिहार के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है और पहले भी बिहार पूरे विश्व को शिक्षा की रोशनी दिखाता रहा है.

"यह शर्मनाक बयान है. किसी भी सम्मानित नेता को इस तरह के बयान देने से बचना चाहिए. जबसे नीतीश कुमार ने बिहार की बागडोर संभाली है सभी जाति, धर्म, समुदाय के लोग आपसी सौहार्द वातावरण में रह रहे हैं. सबको काम करने की छूट है. इसके कारण अल्पसंख्यक समाज चाहे मुस्लिम समाज हो या ईसाई समाज वे लोग भी अपना काम बखूबी करते हैं. हम आग्रह करेंगे एक बार बिहार आएं और बिहार आकर यहां का वातावरण देखें. मुझे नहीं लगता है कि उनके पास सही जानकारी होगी. सही जानकारी रखें, गलतफहमी में ना पड़े."- अभिषेक झा, प्रवक्ता, जदयू

"हमको तो ऐसा नहीं लगता है कि बिहार किसी से कम है. बिहार की स्थिति किससे खराब है, हम तो शुरु से कहते हैं. कहां खड़ा है उससे कोई मतलब नहीं है. किधर जा रहे हैं, वह मायने रखता है. क्या बिहार पिछड़ा रहा बिहारियों के कारण? लोगों को ऐतिहासिक और भौगोलिक एडवांटेज मिला हुआ है. तमिलनाडु के डीएमके के नेता या और कोई कहें उनको जो हजारों किलोमीटर का समुद्र का किनारा मिला हुआ है, समुद्री संसाधन मिला हुआ है. यह तमिलनाडु के लोगों की कमाई है क्या? हम लोग लैंड लॉक स्टेट हैं और यहां ना सोना, चांदी, हीरा का खान है और ना ही हजारों किलोमीटर का कोस्टल एरिया ही मिला हुआ है. यह बिहार के लोगों की गलती है क्या? सबको सोचना चाहिए बिहारी तो हमेशा से स्वाभिमानी रहे हैं. बिहारी अपने बल पर करके दिखाने में सक्षम है और करके दिखाया है और आगे भी करके दिखाएंगे."- विजय कुमार चौधरी, शिक्षा मंत्री, बिहार

"जो भी इस तरह का बयान दे रहे हैं आज के बिहार को उन्होंने नहीं देखा है. पहले का बिहार भी शिक्षा के क्षेत्र में पूरी दुनिया को ज्ञान दे रहा था. कहीं भी विश्वविद्यालय नहीं था उस समय नालंदा में विश्वविद्यालय था. अब तो नीतीश कुमार के नेतृत्व में जो काम हो रहा है, वैसा दूसरे राज्य में भी देखने को नहीं मिल रहा है. कई राज्य के लोग कई योजनाओं को देखने यहां आ रहे हैं. कई योजनाओं में दूसरे राज्य बिहार का अनुकरण कर रहे हैं."- श्रवण कुमार, ग्रामीण विकास मंत्री, बिहार सरकार

बिहार को लेकर कई राज्य के नेताओं ने दिया है बयान: बिहार को लेकर पहले भी दूसरे राज्यों के नेताओं ने बयान दिया है. जिसका जवाब बिहार के नेताओं द्वारा दिया जाता रहा है और अब तमिलनाडु के विधानसभा अध्यक्ष और डीएमके नेता के बयान पर भी बिहार की सत्ताधारी दल के नेताओं ने डीएमके नेता पर निशाना साध रहे हैं. सभी नेताओं की इस पर लगातार प्रतिक्रिया आ रही है.

बीते महीने विस अध्यक्ष ने दिया था बयान: बता दें कि पिछले महीने 28 जून को, अप्पावु और डीएमके एलएमए इनिगो इरुदयाराज ने तिरुचिरापल्ली में सेंट पॉल सेनिमरी के शताब्दी समारोह में भाग लिया था. इस कार्यक्रम में बोलते हुए अप्पावु ने कहा था कि अगर कैथोलिक ईसाई नहीं होते, तो तमिलनाडु बिहार जैसा होता. कैथोलिक ईसाइयों ने ही मुझे आज इस मुकाम तक पहुंचाने में मदद की. तमिलनाडु सरकार आपकी सरकार है. आपने बनायी है यह सरकार. आपकी प्रार्थना और उपवास ने इस सरकार का गठन किया. कैथोलिक ईसाई सामाजिक न्याय और द्रविड़ मॉडल सरकार का मुख्य कारण हैं.

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