पटना: बिहार विधानसभा चुनाव ( Bihar Assembly Election) संपन्न हुए 6 महीने नहीं बीते कि जेडीयू (JDU) का सब्र खत्म हो गया और धड़ाधड़ बागी नेताओं की एंट्री शुरू हो गई. मंजीत सिंह (Manjit Singh) की एंट्री पर जहां जेडीयू नेता गदगद थे, वहीं गठबंधन धर्म के मसले पर नेताओं ने चुप्पी साध ली है. इतना ही नहीं, बिछड़े और नाराज नेताओं पर जेडीयू की नजर है, जो पार्टी में शामिल हो सकते हैं.
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विधानसभा चुनाव में जेडीयू 43 सीटों पर सिमट गई. चुनाव के नतीजों के बाद जेडीयू नेता पार्टी को मजबूत करने के लिए लगातार मंथन कर रहे थे. पार्टी में एक के बाद एक नाराज नेताओं की एंट्री शुरू हो गई है. पहले उपेंद्र कुशवाहा को पार्टी में लाया गया और उन्हें एमएलसी के अलावा पार्लियामेंट्री बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया. कई नेता ऐसे हैं, जो विधानसभा चुनाव में बगावत कर चुनाव लड़े थे उनकी एंट्री भी शुरू हो गई है. मंजीत सिंह इसका जीता जागता उदाहरण हैं. बागी नेताओं की एंट्री पर जहां बीजेपी खेमे में नाराजगी है, वहीं जेडीयू नेताओं ने रणनीति पर चुप्पी साध रखी है.
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बताते चलें कि बिहार विधानसभा चुनाव में जेडीयू के कम सीट आने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समेत दल के सभी बड़े नेता पार्टी को मजबूत करने में लग गए हैं. इसके तहत जेडीयू ने बागियों को लाने की कवायद शुरू कर दी है.
'मंजीत सिंह पार्टी के सक्रिय सदस्य थे, उन्हें पार्टी में लाया गया है. उनके पार्टी में आने से दल को मजबूती मिलेगी. मंजीत सिंह को भी पार्टी ने उपाध्यक्ष पद से नवाजा है.' : उमेश कुशवाहा, जेडीयू प्रदेश अध्यक्ष, बिहार
हालांकि जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष ने बागी नेताओं की एंट्री के मसले पर चुप्पी साध ली और इस सवाल के जवाब देने से बचते रहे.