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NIRF की रैंकिंग में बिहार के शिक्षण संस्थानों के लिए जगह नहीं आसान, जानिए क्यों पिछड़ रहा है प्रदेश

केंद्र सरकार ने वर्ष 2021 की एनआईआरएफ रैंकिंग (नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क) जारी की है. नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क की ओर से जारी देशभर के संस्थानों की रैंकिंग में बिहार के मात्र दो संस्थान आईआईटी पटना और एनआईटी को स्थान मिला है.

NIRF की रैंकिंग में बिहार के संस्थानों के लिए जगह पानी आसान नहीं
NIRF की रैंकिंग में बिहार के संस्थानों के लिए जगह पानी आसान नहीं
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Published : Sep 23, 2021, 10:42 PM IST

पटना: नेशनल इंस्टीट्यूशन रैंकिंग फ्रेमवर्क (NIRF) में इस वर्ष बिहार के महज दो संस्थान ही जगह बना पाए हैं. पटना आईआईटी (IIT Patna) और एनआईटी (NIT) के अलावा बिहार का कोई भी विश्वविद्यालय या शिक्षण संस्थान एनआईआरएफ रैकिंग में शामिल नहीं हो पाया है. एनआईआरएफ के पैरामीटर्स पर नजर डालें तो बिहार के विश्वविद्यालय और अन्य संस्थान काफी पीछे हैं. जानिए आखिकार क्यों पिछड़ रहे हैं राज्य के संस्थान..

ये भी पढ़ें- मुखिया प्रत्याशी का कानूनी शपथ पत्र- 'वादे पूरे ना करूं.. तो जनता जब्त कर ले मेरी सम्पत्ति'

एनआईआरएफ यानि राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क की शुरुआत वर्ष 2015 में केंद्र सरकार ने की थी. इसकी पहली रैंकिंग वर्ष 2016 में रिलीज की गई थी. केंद्रीय शिक्षा विभाग द्वारा शुरू किए गए नेशनल इंस्टीट्यूट रैंकिंग फ्रेमवर्क के जरिए भारत में उच्च शिक्षा के सभी संस्थानों की रैंकिंग की जाती है. रैंकिंग पद्धति में 5 पैरामीटर्स के आधार पर संस्थानों को रैंक दिया जाता है.

देखें वीडियो

इन पांच पैरामीटर्स में टीचिंग, लर्निंग एंड रिसोर्सेज रिसर्च एंड प्रोफेशनल प्रैक्टिस, ग्रेजुएशन आउटकम , आउटरीच एंड इंक्लूजिविटी और परसेप्शन शामिल हैं. वर्ष 2016 में करीब 3000 संस्थानों की रैंकिंग की गई थी, जबकि वर्ष 2021 में यह करीब दोगुनी होकर 6000 तक पहुंच गई है. इस बार 6000 संस्थानों की रैंकिंग की गई है. जिसमें विश्वविद्यालय, इंजीनियरिंग कॉलेज, मेडिकल कॉलेज, मैनेजमेंट कॉलेज, फार्मेसी, लॉ, आर्किटेक्चर, डेंटल और रिसर्च इंस्टीट्यूट शामिल हैं.

हाल ही में जारी वर्ष 2021 की रैंकिंग में आईआईटी मद्रास, आईआईएससी बेंगलुरु और आईआईटी बॉम्बे टॉप 3 हायर एजुकेशन संस्थान के रूप में उभर कर सामने आए हैं. राज्य से महज आईआईटी पटना और एनआइटी एनआईआरएफ रैंकिंग में जगह बना पाए हैं. . हालांकि, अच्छी बात यह कि पिछली बार की तुलना में पटना आईआईटी की रैंकिंग में सुधार हुआ है. पिछली बार पटना आईआईटी 54 वें स्थान पर था.

शिक्षा क्षेत्र के जानकार डॉ. विद्यार्थी विकास ने ईटीवी भारत को बताया कि बिहार के महज दो संस्थान एनआईआरएफ रैंकिंग में जगह बना पाए हैं. उन्होंने कहा कि एनआईआरएफ के पैरामीटर्स में खुद को साबित करना बिहार के संस्थानों के लिए इतना आसान नहीं है. क्योंकि यहां शिक्षक छात्र अनुपात बेहद खराब है. विद्यार्थी विकास ने कहा कि इसके अलावा आधारभूत संरचना और रिसर्च के मामले में भी बिहार के कॉलेज और अन्य शिक्षण काफी पीछे हैं.

इधर एनडीए नेता और शिक्षाविद प्रोफेसर अजफर शम्सी कहते हैं कि केंद्र सरकार ने एनआईआरएफ रैंकिंग की शुरूआत शिक्षण संस्थानों की बेहतरी की सोच के साथ की है. इससे सभी शिक्षण संस्थानों में प्रतियोगिता की भावना के साथ अपने संस्थान को बेहतर करने का प्रयास होगा. जिससे बिहार के हायर एजुकेशन संस्थान भी भविष्य में बेहतर संस्थान के रूप में उभरेंगे.

बता दें कि पिछले दिनों केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने वर्ष 2021 की एनआईआरएफ रैंकिंग जारी की. नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क की ओर से जारी देशभर के संस्थानों की रैंकिंग में आईआईटी मद्रास को देश का नंबर वन शैक्षणिक संस्थान चुना गया है.वहीं, आइआइएससी बेंगलुरु दूसरे और आईआईटी बॉम्बे तीसरे स्थान पर है. पटना आईआईटी को 55.75 अंकों के साथ 51वां स्थान प्राप्त हुआ है. ओवरऑल रैंकिंग में जगह बनाने वाला आईआईटी पटना बिहार का एकमात्र संस्थान है

बता दें कि केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की ओर से हर वर्ष नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआइआरएफ) रैंकिंग जारी की जाती है. देश के विश्वविद्यालयों, इंजीनियरिंग, मैनेजमेन्ट और फार्मेसी संस्थानों की रैंकिंग के लिए एनआइआरएफ संस्था बनाई है. इससे पूर्व रैकिंग के लिए कोई सरकारी संस्था नहीं थी. टीचिंग लर्निंग एंड रिसोर्सेज, रिसर्च एंड प्रोफेशनल प्रैक्टिस, ग्रेजुएशन आउटकम, आउटरीच एंड इंक्ल्यूसिविटी, परसेंप्शन जैसे विभिन्न मानकों के आधार पर सरकार की ओर से सरकारी और प्राइवेट संस्थानों को रैंकिंग दी जाती है.

इसे भी पढ़ें : हर साल बाढ़ में डूब जाता है अशोक स्तंभ और स्तूप, सिल्ट से ऐतिहासिक धरोहर पर संकट

पटना: नेशनल इंस्टीट्यूशन रैंकिंग फ्रेमवर्क (NIRF) में इस वर्ष बिहार के महज दो संस्थान ही जगह बना पाए हैं. पटना आईआईटी (IIT Patna) और एनआईटी (NIT) के अलावा बिहार का कोई भी विश्वविद्यालय या शिक्षण संस्थान एनआईआरएफ रैकिंग में शामिल नहीं हो पाया है. एनआईआरएफ के पैरामीटर्स पर नजर डालें तो बिहार के विश्वविद्यालय और अन्य संस्थान काफी पीछे हैं. जानिए आखिकार क्यों पिछड़ रहे हैं राज्य के संस्थान..

ये भी पढ़ें- मुखिया प्रत्याशी का कानूनी शपथ पत्र- 'वादे पूरे ना करूं.. तो जनता जब्त कर ले मेरी सम्पत्ति'

एनआईआरएफ यानि राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क की शुरुआत वर्ष 2015 में केंद्र सरकार ने की थी. इसकी पहली रैंकिंग वर्ष 2016 में रिलीज की गई थी. केंद्रीय शिक्षा विभाग द्वारा शुरू किए गए नेशनल इंस्टीट्यूट रैंकिंग फ्रेमवर्क के जरिए भारत में उच्च शिक्षा के सभी संस्थानों की रैंकिंग की जाती है. रैंकिंग पद्धति में 5 पैरामीटर्स के आधार पर संस्थानों को रैंक दिया जाता है.

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इन पांच पैरामीटर्स में टीचिंग, लर्निंग एंड रिसोर्सेज रिसर्च एंड प्रोफेशनल प्रैक्टिस, ग्रेजुएशन आउटकम , आउटरीच एंड इंक्लूजिविटी और परसेप्शन शामिल हैं. वर्ष 2016 में करीब 3000 संस्थानों की रैंकिंग की गई थी, जबकि वर्ष 2021 में यह करीब दोगुनी होकर 6000 तक पहुंच गई है. इस बार 6000 संस्थानों की रैंकिंग की गई है. जिसमें विश्वविद्यालय, इंजीनियरिंग कॉलेज, मेडिकल कॉलेज, मैनेजमेंट कॉलेज, फार्मेसी, लॉ, आर्किटेक्चर, डेंटल और रिसर्च इंस्टीट्यूट शामिल हैं.

हाल ही में जारी वर्ष 2021 की रैंकिंग में आईआईटी मद्रास, आईआईएससी बेंगलुरु और आईआईटी बॉम्बे टॉप 3 हायर एजुकेशन संस्थान के रूप में उभर कर सामने आए हैं. राज्य से महज आईआईटी पटना और एनआइटी एनआईआरएफ रैंकिंग में जगह बना पाए हैं. . हालांकि, अच्छी बात यह कि पिछली बार की तुलना में पटना आईआईटी की रैंकिंग में सुधार हुआ है. पिछली बार पटना आईआईटी 54 वें स्थान पर था.

शिक्षा क्षेत्र के जानकार डॉ. विद्यार्थी विकास ने ईटीवी भारत को बताया कि बिहार के महज दो संस्थान एनआईआरएफ रैंकिंग में जगह बना पाए हैं. उन्होंने कहा कि एनआईआरएफ के पैरामीटर्स में खुद को साबित करना बिहार के संस्थानों के लिए इतना आसान नहीं है. क्योंकि यहां शिक्षक छात्र अनुपात बेहद खराब है. विद्यार्थी विकास ने कहा कि इसके अलावा आधारभूत संरचना और रिसर्च के मामले में भी बिहार के कॉलेज और अन्य शिक्षण काफी पीछे हैं.

इधर एनडीए नेता और शिक्षाविद प्रोफेसर अजफर शम्सी कहते हैं कि केंद्र सरकार ने एनआईआरएफ रैंकिंग की शुरूआत शिक्षण संस्थानों की बेहतरी की सोच के साथ की है. इससे सभी शिक्षण संस्थानों में प्रतियोगिता की भावना के साथ अपने संस्थान को बेहतर करने का प्रयास होगा. जिससे बिहार के हायर एजुकेशन संस्थान भी भविष्य में बेहतर संस्थान के रूप में उभरेंगे.

बता दें कि पिछले दिनों केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने वर्ष 2021 की एनआईआरएफ रैंकिंग जारी की. नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क की ओर से जारी देशभर के संस्थानों की रैंकिंग में आईआईटी मद्रास को देश का नंबर वन शैक्षणिक संस्थान चुना गया है.वहीं, आइआइएससी बेंगलुरु दूसरे और आईआईटी बॉम्बे तीसरे स्थान पर है. पटना आईआईटी को 55.75 अंकों के साथ 51वां स्थान प्राप्त हुआ है. ओवरऑल रैंकिंग में जगह बनाने वाला आईआईटी पटना बिहार का एकमात्र संस्थान है

बता दें कि केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की ओर से हर वर्ष नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआइआरएफ) रैंकिंग जारी की जाती है. देश के विश्वविद्यालयों, इंजीनियरिंग, मैनेजमेन्ट और फार्मेसी संस्थानों की रैंकिंग के लिए एनआइआरएफ संस्था बनाई है. इससे पूर्व रैकिंग के लिए कोई सरकारी संस्था नहीं थी. टीचिंग लर्निंग एंड रिसोर्सेज, रिसर्च एंड प्रोफेशनल प्रैक्टिस, ग्रेजुएशन आउटकम, आउटरीच एंड इंक्ल्यूसिविटी, परसेंप्शन जैसे विभिन्न मानकों के आधार पर सरकार की ओर से सरकारी और प्राइवेट संस्थानों को रैंकिंग दी जाती है.

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