पटना: बिहार में चार दशकों तक नक्सलियों ने जमकर तांडव मचाया. लेकिन अब तस्वीर काफी हद तक बदल चुकी है. जिन गांवों में 'लाल सलाम' की गूंज सुनाई देती थी, अब वहां शिक्षा और विकास की बातें हो रही है. इसके पीछे राज्य सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का भी योगदान है, जो नक्सलियों और नक्सल प्रभावित गांव को ध्यान में रखकर बनाया गया. इसी कड़ी में बिहार सरकार के गृह विभाग ने आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों का डाटा बेस (Naxalites Data Base) तैयार करने का निर्णय लिया है.
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काल्याणकारी योजनाओं के लिए डेटाबेस होगा तैयार: जानकारी के मुताबिक बिहार सरकार के गृह विभाग ने वर्ष 2023 की कार्य योजना पर विचार विमर्श के दौरान निर्णय लिया है कि सैनिक कल्याण निदेशालय के पोर्टल पर उपलब्ध फॉर्मेट की तर्ज पर बिहार में आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों का एक विस्तृत डेटाबेस और विवरण तैयार किया जाएगा. जिससे कि उन नक्सलियों को दी जाने वाली सुविधाएं और सहायता संबंधी योजनाओं की लगातार समीक्षा की जा सके.
नक्सलियों को मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास: बिहार सरकार आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को समाज के मुख्यधारा से जोड़ने के लिए प्रयास कर रही है. ऐसे में बिहार गृह विभाग ने निर्णय लिया है की आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों के लिए कल्याणकारी योजनाओं के साथ-साथ उन्हें रोजगार भी दिया जाए. इसके लिए जीविका, कौशल विकास निगम, श्रम संसाधन विभाग के अलावा अन्य विभागों से समन्वय स्थापित कर रोजगार देने का निर्देश दिया गया है.
पुर्नवास योजना के तहत मिलेगा रोजगार: गृह विभाग को सभी जिलों से आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों की सूची उपलब्ध करा दी गयी है. ताकि, नक्सलियों का पुनर्वास, सहायता और लंबित पड़े सहायता आवेदनों का संपूर्ण जानकारी उपलब्ध हो सके. इसके बाद डेटाबेस का प्रयोग आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों के आरंभिक पुनर्वास के तौर पर किया जाएगा. उसके बाद निजी सुरक्षा गार्ड, निजी चालक, दीर्घकालिक रोजगार की उपलब्धता सुनिश्चित कराने में किया जाए. दरअसल, आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों का डेटाबेस तैयार करने का मुख्य मकसद उन्हें रोजगार देना है, ताकि वह दोबारा वह नक्सल की दुनिया में ना जा सके.
"नक्सलियों को मुख्याधारा से जोड़ने के लिए सरेंडर पॉलिसी है. नक्सलियों के पुर्नावास करने के लिए अलग योजना है और सरेंडर करने के लिए अलग योजना. अगर वे सरेंडर करते है तो योजना का लाभ उनके परिवार को दिया जाता है. जब वे जेल से बाहर आते हैं तो उनको रोजगार और अन्य कल्याणकारी योजना से जोड़ा जाता है" - जितेंद्र सिंह गंगवार, एडीजी, बिहार पुलिस मुख्यालय
नक्सलियों पर लगाम लगाने के लिए समीक्षा बैठक: गृह विभाग ने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विभिन्न सरकारी एजेंसियों के बीच समन्वय स्थापित करने के लिए नियमित बैठक कराने का भी फैसला किया है. जिसके तहत योजना एवं विकास विभाग, विशेष शाखा आसूचना ब्यूरो, राज्य में कार्यरत अर्धसैनिक बल, जिला पदाधिकारी और पुलिस अधीक्षक बैठक करेंगे, ताकि आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों का उद्धार किया सके. इसके साथ ही नक्सल, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और एसिड अटैक के मामलों की भी साप्ताहिक समीक्षा बैठक होगी.