पटना: बिहार के 133 बड़े वेटलैंड्स को संरक्षित किया जा रहा है. जल जीवन हरियाली अभियान के तहत इनका समुचित प्रबंधन किया जा रहा है. ये वेटलैंड्स अतिक्रमण और उचित देखभाल नहीं होने के चलते विलुप्ति की कगार पर थे. अब इन्हें अतिक्रमण और प्रदूषण से मुक्त किया जा रहा है. मुसीबत के वक्त ये वेटलैंड्स किसी संकटमोचक की तरह काम करते हैं. इन वेटलैंड्स पर इतने अधिक प्रजाति के जीव निर्भर रहते हैं कि इन्हें बायोलॉजिकल सुपरमार्केट भी कहा जाता है.
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किडनी की तरह काम करते हैं वेटलैंड्स
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के प्रधान सचिव दीपक कुमार सिंह ने बताया कि जिस तरह हमारे शरीर में किडनी का महत्व है कुछ वैसा ही महत्व वेटलैंड्स का है. ये वेटलैंड्स वर्षा ऋतु में भूजल रिचार्ज करते हैं और सूखे के दौरान प्रकृति में जलस्तर का संतुलन बनाए रखते हैं. कुछ साल पहले जब गर्मी के मौसम में उत्तर बिहार में पीने के पानी की समस्या हुई तो सरकार के कान खड़े हो गए. इसकी बड़ी वजह यह थी कि बिहार के 90% से ज्यादा वेटलैंड्स उत्तर बिहार में हैं. वेटलैंड्स की खराब हालत के कारण ही बिहार के इस उत्तरी हिस्से में गर्मी के मौसम में पानी की समस्या शुरू हो गई. इसके बाद सरकार ने जल जीवन हरियाली योजना के तहत सभी जलाशयों और वेटलैंड्स को पुनर्जीवित करने का लक्ष्य निर्धारित किया.
"वेटलैंड्स की भूमिका इकोलॉजिकल बैलेंस बनाए रखने में बहुत ज्यादा है. इसे धरती की किडनी कहा जाता है. यह प्रदूषण को अवशोषित कर हमारे वातावरण को साफ रखता है. यह खासकर जल को साफ रखता है. इससे छनकर पानी जमीन के अंदर जाता है, जिससे भूमिगत जल रिचार्ज होता है."- दीपक कुमार सिंह, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग
इस बारे में पर्यावरण विभाग के जलवायु परिवर्तन एवं वेटलैंड्स से जुड़े आईएफएस अधिकारी संतोष तिवारी ने बताया कि जल जीवन हरियाली अभियान के तहत राज्य के सभी जलाशयों और 133 वेटलैंड्स का समुचित प्रबंधन और संरक्षण का काम शुरू हो चुका है. इन वेटलैंड्स को प्रदूषण मुक्त किया जा रहा है. सबसे पहले 100 हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्रफल वाले 133 वेटलैंड्स में से 28 वेटलैंड्स को प्राथमिकता के आधार पर बेहतर बनाया जा रहा है.
"वेटलैंड के बाहर पेड़ पौधे रहते हैं. पानी के अंदर भी पौधे और शैवाल उगते हैं. इनपर कीड़े, घोंघे और मछलियां जैसे जलीय जीव पलते हैं. मछलियों को खाने के लिए चिड़िया आती है. इस तरह देखें तो वेटलैंड पर बहुत से प्रजाति के जीव निर्भर रहते हैं. पर यूनिट एरिया में जितनी डायवर्सिटी वेटलैंड्स में होती है उतनी अच्छे-अच्छे जंगल में भी नहीं होती."- संतोष तिवारी, एपीसीसीएफ, जलवायु परिवर्तन एवं वेटलैंड्स
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पूर्वोत्तर भारत की सबसे बड़ी झील है कावर झील
बेगूसराय जिले में स्थित कावर झील पूर्वोत्तर भारत की सबसे बड़ी झील है. इस झील को अंतर्राष्ट्रीय रामसर साइट्स में शामिल किया गया है. रामसर साइट में शामिल होने वाला बिहार का कावर झील देश का 39वां ऐसा झील है. 1972 में तेहरान के रामसर में अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन हुआ था, जिसमें पहली बार वेटलैंड्स के महत्व पर गंभीर चर्चा हुई थी. इस कन्वेंशन में यह निर्णय लिया गया था कि वेटलैंड को अंतरराष्ट्रीय पहचान दी जाए और उसकी सूची जारी की जाए.
क्या है वेटलैंड?
वेटलैंड जमीन के उस भाग को कहते हैं जो पूरे साल जल में डूबा रहता है. यह प्राकृतिक या कृत्रिम हो सकता है. वेटलैंड जलीय जीवों के लिए भोजन और आवास का बड़ा साधन होता है. इसे 'बायोलॉजिकल सुपरमार्केट' भी कहा जाता है. क्योंकि यह प्रकृति का सबसे बड़ा फूड चैनल बनाता है. इस फूड चैनल के जरिए पूरे पारिस्थितिकी तंत्र में जीवों को भोजन उपलब्ध होता है. मछली, घोघा, असंख्य सूक्ष्म कीट, छोटे बड़े पौधे और इसके आसपास मंडराते असंख्य पक्षी वेटलैंड्स का महत्व बयां करते हैं.
किडनी की तरह काम करते हैं वेटलैंड्स
पटना का राजधानी जलाशय भी एक ऐसा ही महत्वपूर्ण वेटलैंड है. कुछ समय पहले सरकार ने इसे संरक्षित किया है. इसका बड़ा असर भी देखने को मिल रहा है. यहां बड़ी संख्या में देसी और विदेशी पक्षियों का जमावड़ा लगा रहता है. वेटलैंड्स को जमीन या भूमि की किडनी भी कहा जाता है. जिस प्रकार हमारे शरीर में जल को शुद्ध करने का काम किडनी करती है उसी तरह वेटलैंड्स भूजल को शुद्ध करते हैं. बिहार में वेटलैंड अथॉरिटी का गठन फरवरी 2020 में हुआ. इसकी पहली महत्वपूर्ण बैठक 28 अगस्त को हुई. इस अथॉरिटी में वन पर्यावरण मंत्री के अलावा कई विभागों के प्रधान सचिव और पर्यावरण विभाग के मेंबर सेक्रेट्री भी शामिल होते हैं.
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पहले फेज में 28 बड़े वेटलैंड्स पर चल रहा काम
बिहार में 4416 बड़े वेटलैंड्स में से 100 हेक्टेयर से ज्यादा बड़े वेटलैंड्स 133 हैं. इनमें से पहले फेज में 28 वेटलैंड्स पर सरकार काम कर रही है. इन्हें लेकर वेटलैंड्स अथॉरिटी ने भू राजस्व विभाग को निर्देश जारी किया है कि इन्हें अपने रिकॉर्ड में वेस्टलैंड की जगह वेटलैंड का दर्जा दें ताकि लोग इसके महत्व को समझ सकें. इसके अलावा बिहार के सभी जिलों के डीएम को वेटलैंड के लिए एक जिला स्तरीय कमेटी बनाने का निर्देश दिया गया है. इस कमेटी की इजाजत के बिना उस जिले के किसी भी वेटलैंड पर कोई निर्माण कार्य या कोई अन्य कार्य नहीं होगा.