पटना: बिहार में मिड डे मील और आंगनबाड़ी केंद्रों में बनने वाले भोजन को और अधिक पौष्टिक बनाने की तैयारी सरकार कर रही है. केंद्र सरकार के निर्देश के बाद राज्य के सभी सरकारी स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों में बनने वाले भोजन में पूर्ण पोषाहार मिलेगा.
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इसके लिए आंगनबाड़ी केंद्रों और स्कूलों को फोर्टिफाइड चावल उपलब्ध कराया जाएगा. फोर्टिफाइड चावल फोर्टिफिकेशन प्रक्रिया द्वारा तैयार किया जाता है. इसमें मिल में चावल में आयरण, फोलिक एसिड, विटामिन और अन्य न्यूट्रिएंट्स मिलाए जाते हैं. इसके बाद इस चावल को आम चावल के साथ मिलाकर पकाया जाता है. बिहार के स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों में फोर्टिफाइड चावल उपलब्ध कराने में सरकार को प्रति किलोग्राम 73 पैसे अधिक खर्च करना होगा. एक क्विंटल सामान्य चावल में 1 किलोग्राम फोर्टिफाइड चावल मिलाया जाता है.
1 अप्रैल से शुरू होगा अभियान
बिहार सरकार द्वारा मिड डे मील और आंगनबाड़ी केंद्रों में पकने वाले भोजन में फोर्टिफाइड चावल मिलाना अनिवार्य कर दिया गया है. खाद्य आपूर्ति विभाग के सचिव विनय कुमार ने कहा "1 अप्रैल से राज्य के 10 जिलों में पायलट प्रोजेक्ट के तहत इस अभियान की शुरुआत की जाएगी. खाद्य आपूर्ति विभाग द्वारा एफसीआई से फोर्टिफाइड चावल उपलब्ध कराने की मांग की गई है."
एनीमिया से होगा बचाव
फोर्टिफाइड चावल खाने से बच्चों में खून अधिक बनेगा. इससे बच्चे खून की कमी से होने वाली बीमारी एनीमिया से बच पाएंगे. बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी. फोर्टिफाइड चावल में फोलिक एसिड, विटामिन बी कॉम्प्लेक्स और आयरन की भरपूर मात्रा होगी. इस चावल के खाने से महिलाओं और लड़कियों में एनीमिया की शिकायत में कमी आएगी.
बिहार में नहीं है फोर्टिफाइड चावल मिल
विनय कुमार ने कहा "संपूर्ण पोषाहार युक्त चावल वितरण की तैयारी की जा रही है. पायलट प्रोजेक्ट के साथ ही अगले कुछ माह में सभी सरकारी स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों में इसे उपलब्ध करा दिया जाएगा. इस संबंध में स्टेट फूड कॉरपोरेशन को निर्देश दिए गए हैं."
"फोर्टिफाइड चावल की उपलब्धता को लेकर कई तरह की कठिनाई है. इसे जल्द दूर कर लिया जाएगा. अभी बिहार में एक भी ऐसा चावल मिल नहीं है जो फोर्टिफाइड चावल तैयार कर सके. जल्द ही वैसे चावल मिल तैयार हो जाएंगे."- विनय कुमार, सचिव, खाद्य आपूर्ति विभाग
एनएबीएल सर्टिफाइड लैब में होगी जांच
गौरतलब है कि खाद्य आपूर्ति विभाग द्वारा यह भी निश्चित किया जा रहा है कि चावल की क्वालिटी की जांच एनएबीएल सर्टिफाइड लैब में हो. इस लैब की स्थापना के लिए राज्य सरकार ने तैयारी तेज कर दी है. जल्द ही यह लैब बनकर तैयार हो जाएगा.
73 पैसे प्रति किलो होगा खर्च
मिड डे मील और आंगनबाड़ी केंद्रों पर बनने वाले भोजन के लिए फोर्टिफाइड चावल उपलब्ध कराने में 73 पैसे प्रति किलो अधिक खर्च होगा. हर माह करीब 50 हजार टन फोर्टिफाइड चावल की जरूरत बिहार में पड़ेगी. 36 हजार टन सरकारी स्कूलों में बनने वाले भोजन में और करीब 14 हजार टन आंगनबाड़ी केंद्रों द्वारा बनाए जाने वाले भोजन में लगेंगे. 1 अप्रैल से पटना, मुजफ्फरपुर, गया, पूर्णिया, भागलपुर, सासाराम, भोजपुर, मोतिहारी, हाजीपुर और अरवल में पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत की जाएगी.
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