पटना: बिहार में कोरोना संक्रमण (Corona Pandemic) की दूसरी लहर (Second Wave Of Corona) का प्रसार बहुत तेजी से हुआ. इसका मुख्य कारण राज्य में प्रवासी मजदूरों को माना जा रहा था. वहीं दूसरी तरफ एक स्टडी (Bihar Coronavirus Study Report) में यह बात सामने आई है कि बिहार में प्रवासियों के कारण कोरोना महामारी का बड़ा प्रसार नहीं हुआ है.
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सरकार की लापरवाही (Bihar Government Negligence), सामाजिक गड़बड़ी और मास्क पहनने के बारे में लोगों को जागरुक नहीं किया गया, जिसकी वजह से तेजी से महामारी फैली. बिहार के हर जिले में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर का प्रसार बहुत तेजी से फैला. हर जिले में हजारों की संख्या में संक्रमित मरीज मिले. माना जा रहा था कि होली पर्व के समय दूसरे प्रदेशों से आए प्रवासियों की वजह से इस महामारी का प्रसार तेजी से फैला. लेकिन एक अध्ययन में यह बात सामने आई कि इसकी मुख्य वजह प्रवासी नहीं बल्कि सरकार की लापरवाही और लोगों का जागरूक नहीं होना था.
अध्ययन में ये बात आई सामने
सेवानिवृत्त सिविल सेवक केसी सहाय और पटना स्थित एशियाई विकास अनुसंधान संस्थान (Asian Development Research Institute) द्वारा एक सोशल स्टडी की गई. जिसमें बिहार की राजधानी पटना में कोरोना संक्रमण का कारण सरकार द्वारा दूसरी लहर पर ज्यादा सचेत नहीं होना बताया गया है. साथ ही लोगों की लापरवाही की बात भी सामने आई है. मार्च 2020 और जून 2021 के दौरान देश भर से लगभग 25 लाख से अधिक प्रवासी बिहार लौटे थे, जिन्हें घातक वायरस का वाहक कहा गया था.
'पटना जिले में जिस तरह से हर दिन संक्रमण का प्रकोप बढ़ रहा था. इसको लेकर हम लोगों ने 23,000 लोगों के डाटा कलेक्ट किया और 200 से अधिक लोगों से वार्ता करके यह अध्ययन किया है, जिसमें यह बात सामने निकल कर आई है.'- पी.पी घोष, डायरेक्टर, आद्री
स्टडी की अहम बातें
- अध्ययन को लेकर लोगों के लोकेशन के बारे में पता किया गया कि वह व्यक्ति किस राज्य से आया है, और उनकी उम्र क्या है.
- स्लम एरिया में रहने वाले मजदूरों और प्रवासियों पर अध्ययन किया गया.
- स्टडी की गई कि स्लम इलाकों में संक्रमण का प्रसार कैसा रहा.
- अध्ययन के अनुसार संक्रमण का प्रकोप इस बार इन इलाकों में नहीं रहा.
- इस अध्ययन में यह भी बातें सामने आई है कि जो गरीब है उनकी इम्यूनिटी ज्यादा है.
- इसकी वजह से वह संक्रमित नहीं हुए.
- वहीं जिन लोगों का जीवन स्तर अच्छा है, जो अच्छा खाते-पीते हैं, उनकी इम्यूनिटी कम है. जिसकी वजह से उन्हें संक्रमण का प्रकोप झेलना पड़ा.
- लोगों को बचाने के लिए स्वास्थ्य व्यवस्था बेहतर चाहिए लेकिन बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था अच्छी नहीं रहने की वजह से संक्रमण का प्रभाव बढ़ता रहा.
- जब संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ने लगी तो सरकारी तंत्र पूरी तरह से फेल हो गया.
- उस परिस्थितियों में जो गरीब थे वो घर पर ही क्वारंटाइन हो गए क्योंकि अस्पताल में इंतजाम नहीं थे.
'प्रवासी मजदूर दूसरी लहर का कारण नहीं'
आद्री के डायरेक्टर पी.पी घोष बताते हैं कि संक्रमण की दूसरी लहर में प्रवासी मजदूर ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं रहे. पहली लहर में मजदूरों के पलायन की वजह से संक्रमण का प्रसार हुआ था. लेकिन दूसरी लहर में उन्हें कारण नहीं माना जा सकता, क्योंकि पहली लहर में बीमारी झेल चुके मजदूर दूसरी लहर में अपने आप को सेटेल कर चुके थे.
'दूसरी लहर में सरकारी तंत्र फेल'
रिसर्च के अनुसार प्रवासी कब अपने राज्य आए किसी को जानकारी नहीं और सरकार ने भी जानने की कोशिश नहीं की. जब लोग दिल्ली, मुंबई या अन्य राज्यों से बिहार आए तो किसी भी स्टेशन में उनको घर तक पहुंचाने या कहीं रखने की कोई व्यवस्था नहीं की गई, जिसकी वजह से संक्रमण फैलता गया.
'दूसरे राज्यों में तो प्रवासी नहीं थे तो फिर वहां संक्रमण का प्रसार कैसे हुआ. कर्नाटक, झारखंड, मध्यप्रदेश जैसे राज्यों में भी कोरोना संक्रमण का प्रकोप काफी देखने को मिला जबकि यहां प्रवासी नहीं थे. इसलिए हम लोगों का मानना है कि प्रवासी की वजह से बिहार में संक्रमण का प्रसार नहीं हुआ है, बल्कि सरकार की विफलता और लोगों के कम जागरूक होने की वजह से ही संक्रमण का प्रसार ज्यादा फैला.'- पी.पी घोष डायरेक्टर, आद्री
सबक लेने की जरूरत
बता दें कि इस अध्ययन में भविष्य में ऐसी महामारी से निपटने के प्रयासों को मजबूत करने के लिए आगे की कार्रवाई के लिए कई उपायों के बारे में भी जिक्र किया गया है. अध्ययन में कहा गया है कि इतनी बड़ी संख्या में प्रवासियों की वापसी के बावजूद उनके कारण कोरोना संक्रमण का कोई बड़ा प्रसार नहीं हुआ था. बल्कि अध्ययन में यह बातें सामने निकल कर आई कि सरकार की उदासीनता और लोगों की लापरवाही की वजह से संक्रमण का प्रसार इतने व्यापक तौर पर फैला.
हर स्तर पर हुई लापरवाही
अध्ययन से पता चला कि भीड़ वाले इलाके में ज्यादा संक्रमण का प्रसार हुआ है, जैसे विवाहित कार्यक्रम में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं होना, सब्जी बाजार में भीड़ का अनियंत्रित होना इसका मुख्य कारण है.
अध्ययन के मुताबिक: पुरुषों में सबसे अधिक कोरोना के मामले जुलाई 2020 और अप्रैल 2021 में 21-40, और 41-60 वर्ष के आयु वाले वर्गों में ज्यादा देखने को मिला. पटना में कुल 23,344 संक्रमण के मामले के आंकड़ों पर यह अध्ययन किया गया है. कोरोना की दूसरी लहर का प्रसार स्लम क्षेत्रों में बहुत कम था, लेकिन शहर में मामले तेजी से बढ़े.
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