श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर में मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की सरकार कार्य नियमों (Business Rules) के अभाव में व्यावहारिक रूप से कामकाज करने में असमर्थ है, जबकि उन्हें केंद्र शासित प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लिए एक महीने से अधिक समय हो गया है. सरकार ने अपने और नौकरशाही के कार्यों को परिभाषित करने वाले नियमों के अभाव में कोई बड़ा निर्णय नहीं लिया है.
उमर अब्दुल्ला की सरकार ने केंद्र शासित प्रदेश में शासन के लिए कानूनी रोडमैप तैयार करने के लिए एक कैबिनेट उप-समिति का गठन किया है. उपमुख्यमंत्री सुरिंदर कुमार चौधरी को इसका अध्यक्ष बनाया गया है, जबकि कैबिनेट मंत्री सकीना मसूद इटू, जावेद राणा और सचिव (कानून) अचल सेठी, सामान्य प्रशासन विभाग के आयुक्त संजीव शर्मा इसके सदस्य हैं.
उपमुख्यमंत्री सुरिंदर चौधरी ने ईटीवी भारत को बताया कि मुख्यमंत्री द्वारा गठित समिति कामकाज के नियम बना रही है. उन्होंने कहा कि काम प्रगति पर है. पूरा होने और कार्यान्वयन के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि यह बहुत जल्द होगा.
जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 में उपराज्यपाल के नियमों को परिभाषित किया गया है, लेकिन इसमें निर्वाचित सरकार के लिए कामकाज के नियमों का उल्लेख या परिभाषा नहीं दी गई है. 5 अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद यह अधिनियम लागू किया गया था, जब भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 और 35 ए को निरस्त कर दिया था.
उप-समिति एलजी को सौंपेगी अपनी रिपोर्ट
पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य में कानून सचिव रहे अशरफ मीर ने कहा कि सरकारी कामकाज नियम मुख्यमंत्री, मंत्रिपरिषद, मंत्रियों और विभागाध्यक्षों के काम और अधिकार को परिभाषित और नियंत्रित करेंगे. पूर्व सचिव मीर ने ईटीवी भारत से कहा, "कामकाजी नियम बनाने के लिए गठित कैबिनेट उप-समिति अपनी रिपोर्ट एलजी (उपराज्यपाल) को सौंपेगी, एलजी इसे गृह मंत्रालय को सौंपेंगे और फिर गृह मंत्रालय जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम में संशोधन अधिसूचना जारी करेगा."
मीर ने कहा, "जब तक नए नियम नहीं बन जाते, तब तक निर्वाचित सरकार कोई फैसला नहीं ले सकती. जब राज्य का दर्जा बहाल होगा, तब राज्य के अनुसार नियमों को फिर से तैयार किया जाएगा."
जम्मू-कश्मीर कांग्रेस के अध्यक्ष और श्रीनगर से विधायक तारिक हमीद कर्रा ने उम्मीद जताई कि जल्द ही कार्य नियम बनाए जाएंगे और लागू किए जाएंगे. कर्रा ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि यह बदलाव का दौर है और जम्मू-कश्मीर के लिए एक नया अनुभव है, यही वजह है कि कार्य नियम बनाने में देरी हो रही है. हमें उम्मीद है कि इसे जल्द ही सुलझा लिया जाएगा."
पूर्ववर्ती राज्य में, जम्मू और कश्मीर संविधान की धारा 45 में मुख्यमंत्री और उनकी मंत्रिपरिषद के लिए कार्य नियमों को परिभाषित किया गया था.
धारा 55 में कामकाज को किया गया परिभाषित
जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 में, धारा 55 में कार्य संचालन को परिभाषित किया गया है, जिसमें बताया गया है कि उपराज्यपाल मंत्रियों को कार्य आवंटित करने के लिए मंत्रिपरिषद की सलाह पर नियम बनाएंगे; और मंत्रियों के साथ कार्य के अधिक सुविधाजनक संचालन के लिए उपराज्यपाल और मंत्रिपरिषद या किसी मंत्री के बीच मतभेद की स्थिति में अपनाई जाने वाली प्रक्रिया भी शामिल है.
यह भी पढ़ें- जम्मू-कश्मीर: कश्मीरी पंडितों ने पहली हाउसिंग सोसाइटी स्थापित की