पटना: जमीन विवाद बिहार के लिए सदियों पुराना मसला रहा है. राज्य में आपराधिक घटनाओं में बड़ी संख्या में जमीन विवाद का मामला रहता है. आज भी थाना हो या अदालत सबसे अधिक मामले जमीन विवाद से ही जुड़े होते हैं. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार 2019 में जमीन और संपत्ति से जुड़े 3707 घटनाएं सामने आईं थीं. जिनमें से 782 भूमि विवाद में हत्या भी हुई है.
यह भी पढ़ें- CM से सम्मानित शेख सोबराती का परिवार दाने-दाने को है मोहताज
अपराध की जड़ में जमीन
दिसंबर 2020 को दिया गया सीएम का बयान
साल 2005 में शुरू किये गए जनता दरबार कार्यक्रम में ज्यादातर समस्याएं जमीन विवाद से जुड़ी हुई पाई गई. जिसको देखते हुए सरकार ने नया एक्ट बनाया है. बिहार में 60% अपराध जमीन विवाद के कारण होते हैं. राज्य में विकास के कारण यहां जमीन की कीमत बढ़ी है'- नीतीश कुमार, सीएम, बिहार
'कुछ लोग जमीन की धांधली भी करते हैं. भूमि विवाद को लेकर डीएम और एसपी महीने में कम से कम एक बार बैठक करें. एसडीओ और डीएसपी 15 दिन में एक बार बैठक करें. वहीं सीओ और थानाध्यक्ष सप्ताह में एक बार जमीन विवाद को निपटाने के लिए बैठक करें. जो भी व्यक्ति गड़बड़ी कर रहे हैं, उनके ऊपर कार्रवाई की जाए'- नीतीश कुमार, सीएम, बिहार
यह भी पढ़ें- बोले CM नीतीश- बिहार में 60 प्रतिशत अपराध का कारण जमीन से जुड़े विवाद
उठाए जा रहे सख्त कदम
सीएम के सख्त निर्देश के बाद इस दिशा में ठोस कदम उठाए जा रहे हैं. पुलिस मुख्यालय के एडीजी जितेंद्र कुमार की माने तो घट रहे अपराध के मामलों की जब छानबीन की गई तो पता चला कि 60% से ज्यादा क्राइम बिहार में भूमि विवाद के कारण होता है. हालांकि सभी चीजों के आकलन एवं अध्ययन के बाद नया एक्ट भी बनाया गया है.
बढ़ रहे भूमि विवाद के मामलों को देखते हुए राज्य सरकार ने जमीन से संबंधित आपसी विवाद को खत्म करने को लेकर ऐसा उपाय किया है कि कोई जमीन के स्वामित्व में गड़बड़ी ना कर सके. जमीन से संबंधित समस्याओं के समाधान के लिए महीने में एक बार जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक 15 दिन में एक बार एसडीओ और एसडीपीओ बैठक करेंगे. और सप्ताह में एक दिन अंचल अधिकारी और थानाध्यक्ष निश्चित रूप से बैठक कर भूमि विवाद से जुड़े मसलों का समाधान करेंगे.- जितेंद्र कुमार, एडीजी, पुलिस मुख्यालय
सरकार ने सभी तरह की सरकारी भूमि को अतिक्रमण से मुक्त कराने का निर्णय लिया है. इसके लिए नई रणनीति बनाई गई है. अब जमीन पर नए या पुराने किसी तरह के अतिक्रमण पाए जाने पर जिलास्तरीय कार्रवाई की जा रही है. राजधानी पटना के दीघा, आशियाना रोड, एक्वायर जमीन पर भी कई दबंग लोगों द्वारा भवन निर्माण करवाया गया है. जिसको लेकर स्थानीय पुलिस हमेशा कर्रवाई करती रहती है.
कईयों को भेजा जा चुका है जेल
विगत 16 मार्च को बिहार पुलिस मेंस एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष जितेंद्र नारायण सिंह के खिलाफ कार्रवाई की गई. जितेंद्र नारायण सिंह राजधानी पटना के दीघा स्थित बीएमपी की जमीन पर अवैध निर्माण करा रहे थे. जिसको लेकर बिहार राज्य आवास बोर्ड के अधिग्रहित जमीन पर कब्जा को लेकर उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है. हालांकि बिहार राज्य आवास बोर्ड के अधिग्रहण जमीन पर भूमाफियाओं द्वारा अवैध कब्जा करने के मामले में पिछले एक सप्ताह के अंदर आधा दर्जन लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है.
ऐसा नहीं है कि आम व्यक्ति सिविल विवाद के मसले को लेकर ही थानों का रुख कर रहे हैं. भूमि विवाद का निपटारा सिविल अदालतों का विशेषाधिकार है और पुलिस की इसमें कोई अहम भूमिका नहीं होती है. फिर भी ज्यादातर लोग जमीन से संबंधित मुद्दों के समाधान के लिए पुलिस स्टेशनों पर संपर्क करते हैं. अक्सर भूमि अतिक्रमण की शिकायतें थाने तक पहुंचती हैं और पुलिस से न्याय की मांग की जाती है.- जितेंद्र कुमार, एडीजी पुलिस मुख्यालय
इन श्रेणियों में बांटे गए मामले
राज्य में लगातार बढ़ रहे भूमि विवाद के मसले को समाप्त करने के लिए राज्य सरकार ने अंचल, अनुमंडल और जिला स्तर पर आने वाले मामलों को तीन प्रमुख श्रेणियों में बांटने का निर्णय लिया था. विभाग के सुझाव पर यह भी फैसला लिया गया कि राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग में डीआईजी स्तर के पुलिस अफसर की तैनाती की जाएगी. सभी अंचलों में चार-चार सुरक्षा बल की भी प्रतिनियुक्ति किए गए हैं. अंचलाधिकारी भूमि संबंधित मामलों के निष्पादन के लिए हर शनिवार को थाना प्रभारी से बैठ कर बात करेंगे.और चौकीदार परेड का निरीक्षण भी करेंगे.
महत्वपूर्ण दस्तावेज विभाग के पोर्टल पर अपलोड
साथ ही साथ सभी थाना प्रभारियों को भूमि संबंधित विवादों के लिए अलग रजिस्टर रखने का निर्देश दिया गया था. प्रॉपर्टी डीलरों पर भी नकेल कसने का निर्णय लिया गया है. खासकर ऐसे प्रॉपर्टी डीलर जो चोरी चुपके जमीन पर कॉमर्शियल काम कर रहे हैं. पिछले कुछ वर्षों में सबसे महत्वपूर्ण जमीन से जुड़ा हुआ दस्तावेज या जानकारी को विभाग के पोर्टल पर अपलोड करना माना जा रहा है.
जमीन रजिस्ट्रेशन को लेकर अहम निर्णय
भूमि विवादों के खात्मे को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक कदम और आगे बढ़कर काम कर रहे हैं. उन्होंने मात्र सौ रूपये शुल्क अदा कर परिवारिक बंटवारे की संपत्ति की रजिस्ट्री की सुविधा देकर राज्य की जनता के हित में फैसला लिया था. इससे साफ है कि अब बंटवारे के बाद संपत्ति की रजिस्ट्री कराने में तेजी आएगी. पहले शुल्क ज्यादा होने के कारण लोग रजिस्ट्री कराने से बचते थे. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि भूमि विवादों में कमी लाने को लेकर यह फैसला लिया गया था.
यह भी पढ़ें- बिहार के राजस्व में शराबबंदी के बावजूद इजाफा, जानिए कैसे हुआ यह मुमकिन
6 पुराने कानूनों में बदलाव
बिहार से साल 2000 में झारखंड अलग हो गया. जिसके बाद 2009 से 2017 के बीच बिहार में भूमि संबंधित 6 पुराने कानूनों को बदलकर नए कानून बनाये गये हैं.
'कोरोना काल के बाद निबंधन कार्यालय में जमीन रजिस्ट्री से रिलेटेड किसी भी समस्या के निष्पादन के लिए सबसे पहले ऑनलाइन आवेदन देना होता है. ताकि ज्यादा भीड़ इकट्ठा ना हो सके. हालांकि पूर्ण रूप से निबंधन कार्यालय में जमीन से जुड़ी चीजें ऑनलाइन नहीं हो पाई है. अपराध पर लगाम लग सके इसको लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की महत्वकांक्षी योजना पैतृक संपत्ति बंटवारा में महज 100 रूपये की राशि खर्च होगी. ताकि संपत्ति विवाद में कमी आ सके. अब तक 141 दस्तावेजों का निबंधन हुआ है, हालांकि जो अनुमान लगाया गया था उस अनुरूप योजना कामयाब होती नहीं दिख रही है.'- सत्यनारायण चौधरी, जिला अवर निबंधक
जमीन खरीदते वक्त रखें इन बातों का ध्यान
- व्यक्ति जब जमीन की खरीदारी करता है तो सबसे पहले उसे जमीन के कागजात का सत्यापन सीईओ ऑफिस जाकर करवाना चाहिए.
- साथ ही रजिस्टर पर भी देखना चाहिए कि उस व्यक्ति का नाम वहां दर्ज है कि नहीं. तभी किसी व्यक्ति को जमीन खरीदना चाहिए.
- अक्सर देखने को मिलता है कि कुछ लोग एक जमीन को दो लोगों को बेच देते हैं. जिस वजह से विवाद बढ़ जाता है.
- जमाबंदी पंजी को ऑनलाइन माध्यम से जांच किया जा सकता है. जमीन के आस पास जाकर लोगों से भी पूछताछ करनी चाहिए कि यह जमीन उस व्यक्ति की है या नहीं.
- कोई भी जमीन का क्रेता या विक्रेता जब जमीन की खरीद बिक्री करता है तब उसे डीएम द्वारा प्राप्त लाइसेंस धारक सही डीड बनवाना चाहिए या फिर किसी एडवोकेट से संपर्क करना चाहिए. नहीं तो लोग फ्रॉड का शिकार हो सकते हैं.
- कोई भी जमीन खरीदार को रजिस्ट्री ऑफिस आकर अपने जमीन के पेपर्स को जांच करवाना चाहिए.
- राज्य सरकार ने नियम बनाया था कि जमाबंदी पंजी में जिस व्यक्ति का नाम होगा, वही जमीन बेचने योग्य हो सकता है, हालांकि हाईकोर्ट के स्टे के बाद यह लागू नहीं हो पाया है.