नई दिल्ली/पटना: जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने के लिए बिहार सरकार ने संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम(United Nation Environment Program) के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया है. बिहार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री नीरज सिंह की मौजूदगी में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया गया है. बिहार के डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद भी मौजूद थे.
यूएनईपी की मदद से बिहार में प्रदूषण की समस्या को खत्म करने की कोशिशे की जायेंगी. साल 2040 तक बिहार में कार्बन उत्सर्जन कम कर लोगों को प्रदूषण से मुक्ति दिलाने का लक्ष्य रखा गया है.यूएनईपी प्रदूषण की समस्या खत्म करने के लिए ग्रीन हाउस गैस इन्वेंटरी तैयार करने में तकनीक मदद मुहैया कराएगा.
बिहार सरकार के मंत्री नीरज सिंह ने कहा कि आज ऐतिहासिक समझौता हुआ है. प्रदूषण से निजात दिलाने के लिए बिहार सरकार कार्य कर रही है. गया, पटना, मुजफ्फरपुर में सीएनजी पंप लगाने और पाइपलाइन बिछाने का काम चल रहा है. 15 साल पुराने वाहनों को हटाया जाएगा. छोटे वाहनों और कुछ समय बाद बसों को सीएनजी में तब्दील किया जाएगा.
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जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने की उपायों को स्थानीय स्तर पर अपनाने और उसका असर कम करने के राष्ट्रीय प्रयासों में राज्य सरकारों की भूमिका प्रमुख है. जलवायु के मामले में राज्य सरकारों की भूमिका को पिछले कुछ वर्षों में विशेषकर पेरिस जलवायु समझौते में लगातार अधिक से अधिक महत्वपूर्ण माना जाता रहा है. बिहार सरकार ने लगातार विकास की राह अपनाकर इसे नया आयाम दिया है.
'जलवायु परितर्वन विश्व भर के लिए खतरे की घंटी'
दीपक कुमार सिंह, प्रधान सचिव, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने स्वच्छ पर्यावरण के प्रति बिहार राज्य सरकार का संकल्प दोहराया है. बिहार सरकार की यूएनईपी समर्थित पहल अन्य राज्यों के लिए भी जलवायु परिवर्तन अनुकूल और निम्न कार्बन उत्सर्जक विकास का मार्ग प्रशस्त करेगी. बाबुल सुप्रियो, भारत सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री का कहना है है कि 'जलवायु परितर्वन विश्व भर के लिए खतरे की घंटी है और इससे निपटने के लिए तत्काल ध्यान देने और कार्रवाई करने की आवश्यकता है.
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बता दें कि दुनिया में बढ़ती संख्या में देशों ने इस शताब्दी के मध्य तक कुल शून्य उत्सर्जन लक्ष्य हासिल करने का संकल्प लिया. 2021 के प्रारंभ तक 126 देशों ने कुल शून्य उत्सर्जन लक्ष्यों का औपचारिक अनुमोदन किया है. दुनिया में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का 51 प्रतिशत इन देशों से होता है.
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''यूएनईपी निम्न उत्सर्जन अर्थव्यवस्था की दिशा में भारत का मार्ग प्रशस्त करने में सहायक होने के लिए बिहार के साथ सहयोग करने को उत्सुक है. यूएनईपी और बिहार सरकार की यह भागीदारी सतत् विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. सत्या एस. त्रिपाठी, संयुक्त राष्ट्र, सहायक महासचिव
यूएनईपी, बिहार राज्य को अपनी ग्रीनहाउस गैस इनवेंटरी तैयार करने और जलवायु प्रभाव की स्थिति एवं उससे होने वाले नुकसान की आशंका का आकलन करने में तकनीकी सहायता प्रदान करेगा। यूएनईपी, जलवायु परिवर्तन के बारे में राज्य कार्रवाई योजनाओं (एसएपीसीसी) में संशोधनों के सुझाव भी देगा जिनके अंतर्गत प्रत्येक राज्य की जलवायु प्राथमिकताएं जलवायु परिवर्तन के बारे में भारत की राष्ट्रीय कार्रवाई योजना के अनुरूप होती हैं.
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बता दें कि संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम, यूएनईपी पर्यावरण के लिए आवाज उठाने वाला अग्रणी वैश्विक संगठन है. यह नेतृत्व प्रदान करता है और पर्यावरण की रक्षा में भागीदारी को प्रोत्साहित करता है. यूएनईपी राष्ट्रों और देशों को प्रेरणा, सूचना और सामर्थ्य प्रदान करता है. ताकि वे भावी पीढ़ियों के बेहतर जीवन के बारे में कोई समझौता किए बिना जीवन की गुणवत्ता सुधार सकें. संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम, विश्र्व में सरकारों, निजी क्षेत्र, प्रबुद्ध समाज और संयुक्त राष्ट्र की अन्य इकाइयों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ मिलकर काम करता है.