पटना: बिहार में महागठबंधन सरकार ने बिहार में जातिगत गणना कराया. फिर उसके बाद आर्थिक सर्वे रिपोर्ट जारी की. बिहार देश का पहला राज्य बना जिसने जातिगत गणना के बाद आर्थिक सर्वे रिपोर्ट जारी की. इसके बाद सरकार ने सर्वे रिपोर्ट के आधार पर आरक्षण स्लैब में बढ़ोतरी का फैसला लिया. आरक्षण की सीमा बढ़ाकर 75% कर दी गई. इससे पहले नीतीश सरकार ने गांधी मैदान में 1,20,000 शिक्षकों को नियुक्ति पत्र दिया था. अपने आप में यह बड़ा आयोजन था.
उपलब्धियों की जगह बयान पर चर्चाः राजनीतिक विश्लेषक मानने लगे थे कि नीतीश कुमार के जातिगत गणना, शिक्षक नियुक्ति और आरक्षण सीमा में बढोतरी के फैसले से भाजपा के सामने मुश्किल खड़ी होगी. भाजपा ने सम्राट चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष और हरि सहनी को विधान परिषद में विपक्षी दल का नेता बनाकर पिछड़े वर्ग का हितैषी बनने का जो संकेत दिया था उस पर नीतीश के ये फैसले भारी पड़ने लगे थे. लेकिन, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शीतकालीन सत्र के दौरान कुछ ऐसा कर दिया कि सरकार की तमाम उपलब्धियों की सुर्खियां धूमिल हो गयी. उनके बयानों की चर्चा जोर पकड़ ली.
जनसंख्या नियंत्रण पर दिये बयान पर विवादः मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मंगलवार 7 नवंबर को विधान सभा के शीतकालीन सत्र के दौरान जनसंख्या नियंत्रण पर बोलते हुए महिलाओं पर एक ऐसी टिप्पणी कर दी, जिसे आपत्तिजनक कहा जाने लगा. सदन में मौजूद महिला सदस्य भी मुख्यमंत्री की इस टिप्पणी से असहज हो गयी थीं. इस पर जगह-जगह नीतीश के खिलाफ विरोध प्रदर्शन होने लगे. बाद में दूसरे दिन ही नीतीश कुमार ने सदन में माफी मांगी. अपने बयान की निंदा भी की. अभी यह मामला ठंडा भी नहीं पड़ा था कि गुरुवार 9 नवंबर को नीतीश कुमार ने पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के लिए अपमानित करने वाले शब्दों का इस्तेमाल किया.
भाजपा को नीतीश पर हमला करने का मौकाः मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के दोनों बयान राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बनीं. भाजपा ने दोनों मुद्दों को हाथों हाथ लिया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी महिला अपमान के मुद्दे पर नीतीश कुमार को एक कार्यक्रम के दौरान घेरा. आने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा महिला और दलित अपमान के मसले को मुद्दा बनाने की तैयारी में है. इधर, जदयू के साथ-साथ राष्ट्रीय जनता दल नीतीश कुमार के बचाव में उतर आया है. पार्टी प्रवक्ता एजाज अहमद ने कहा कि नीतीश कुमार ने मित्रवत कुछ बातें जीतन राम मांझी को कहीं थीं. उसके अलग मायने निकल जाने का कोई मतलब नहीं है. भाजपा के लोग इसे तूल देना चाहते हैं. जनता इनके बहकावे में आने वाली नहीं है.
"नीतीश कुमार ने अपने बयान से बिहार को शर्मसार किया है. पहले तो उन्होंने महिलाओं को अपमानित किया और फिर उसके बाद बिहार के दलित नेता जीतन राम मांझी को अपमानित करने का काम किया. लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव के दौरान महिला और दलित वोटर महागठबंधन को सबक सिखाने का काम करेंगे."- दानिश इकबाल, भाजपा प्रवक्ता
" इसी को कहते हैं, चौका छक्का मारकर हिट विकेट हुए नीतश कुमार. सरकार ने पिछले दिनों दो बड़े निर्णय लिए. दोनों फैसले की चर्चा देश-विदेश में होनी चाहिए थी लेकिन, नीतीश कुमार के विवादास्पद बयान के चलते सरकार की दोनों सफलताएं गौण हो गईं. महागठबंधन को नीतीश कुमार के लिए बचाव करना मुश्किल होगा. भाजपा विवादास्पद बयानों का लाभ उठाएगी."- कौशलेंद्र प्रियदर्शी, राजनीतिक विश्लेषक
महिला सशक्तीकरण को लेकर नीतीश के किये कामः बता दें कि नीतीश कुमार ने महिला सशक्तीकरण के दिशा में कई बड़े फैसले लिए. पहले तो स्कूली छात्राओं के लिए साइकिल योजना लागू की. उसके बाद उनके फीस माफ किये. सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 33% आरक्षण भी दिया गया. बिहार में शराबबंदी का फैसला लिया. बिहार में महिला मतदाताओं की संख्या 7 करोड़ 58 लाख 13 हजार के आसपास है. बिहार में दलित आबादी भी अच्छी खासी है. कुल मिलाकर 19% वोट दलितों का है. जीतन राम मांझी के खिलाफ नीतीश कुमार द्वारा दिए गए बयान को लेकर दलित समुदाय के लोगों में असंतोष है. पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कहा था कि नीतीश कुमार के बयान से आहत हुए हैं.
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