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8 महीनों में भी महिला आयोग की अध्यक्ष नियुक्त नहीं कर सकी बिहार सरकार, भटक रहीं पीड़ित महिलाएं - समाज कल्याण विभाग

बिहार सरकार खाली पड़े राज्य महिला आयोग के अध्यक्ष का पद आज तक नहीं भर पाई है. अध्यक्ष की कुर्सी 31 अक्टूबर 2020 से खाली है. मौजूदा समय में सरकार के पास महिला आयोग नहीं है. इसकी वजह से महिला उत्पीड़न के कई मामले पेंडिंग पड़े हैं.

Bihar State Women Commission
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Published : Jul 9, 2021, 10:42 PM IST

पटना: महिलाओं को न्याय दिलाने (Justice For Women) के लिए महिला आयोग (Bihar State Women Commission) एक सशक्त संस्था मानी जाती है. लेकिन सरकार के गठन के 8 माह बाद भी अब तक सरकार ने महिला आयोग का गठन नहीं किया है. ऐसे में अब यह मामला पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) पहुंच गया है.

यह भी पढ़ें- पटना: महिला हेल्पलाइन नंबर कार्यालय में लग रहा शिकायतों का अंबार, नहीं हो पा रहा निपटारा

महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए महिला आयोग की भूमिका काफी अहम मानी जाती है. लेकिन फिलहाल बिहार की महिलाओं को त्वरित न्याय नहीं मिल पा रहा है. न्याय पाने के लिए इन्हें थानों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं. दरअसल नई सरकार के गठन के बाद से महिला आयोग का गठन नहीं किया गया है. अध्यक्ष का पद खाली होने के कारण आयोग का सारा कामकाज पिछले 8 महीनों से ठप पड़ा है.

'बिहार राज्य महिला आयोग का कार्यालय 31 अक्टूबर 2020 के बाद बंद पड़ा है. महिला आयोग में अध्यक्ष की नियुक्ति सेक्शन 41 बिहार वूमेन कमीशन 1919 के अंतर्गत होती है. आयोग के गठन को लेकर हमने प्रधान सचिव को भी पत्र लिखा है. बिहार की महिलाएं बहुत पीड़ित हैं, समस्याओं से घिरी हुई हैं, लेकिन उन्हें न्याय नहीं मिल रहा है. मजबूरन हमने पटना हाईकोर्ट में जनहित लोक याचिका दाखिल की है.'- ओम प्रकाश कुमार, अधिवक्ता, पटना हाईकोर्ट

इधर मामला हाईकोर्ट पहुंचते ही प्रदेश का मुख्य विपक्षी दल राजद सरकार पर हमलावर हो गया है. वहीं सत्ताधारी दल के नेताओं का कहना है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सभी चीजों पर नजर बनाए हुए हैं और समय आने पर फैसला लिया जाएगा.

देखें वीडियो

'एनडीए सरकार में खींचतान की वजह से कई विभाग में कार्य पेंडिंग पड़े हैं. सरकार,आयोग का गठन नहीं कर रही है, क्योंकि जदयू और भाजपा के बीच आयोग में भाग लेने के लिए नेता खींचतान कर रहे हैं. जिसकी वजह से सहमति नहीं बन पाई है. बिहार के मुखिया नीतीश कुमार कहते हैं कि महिलाओं के लिए हमारी सरकार कार्य रही है. लेकिन महिला आयोग का गठन पिछले 8 महीनों से सरकार नहीं कर पाई. इससे साफ है कि सरकार की करनी और कथनी में फर्क है.'- मृत्युंजय तिवारी, राजद प्रवक्ता

31 अक्टूबर 2020 से तत्कालीन महिला आयोग की अध्यक्ष दिलमणि मिश्रा के साथ 7 सदस्यों का कार्यकाल पूरा हो जाने के बाद आयोग को भंग कर दिया गया. विधानसभा चुनाव होने की वजह से आयोग का गठन भी नहीं हो पाया. अब सरकार का गठन हुए लगभग आठ माह हो गए हैं लेकिन अभी तक महिला आयोग का गठन नहीं हो पाया है.

'नीतीश कुमार महिला सशक्तिकरण को लेकर अपना विजन बताते हैं ड्रीम प्रोजेक्ट मानते हैं. लेकिन इस तरह का बयान सिर्फ अखबारों और टीवी चैनलों में सुर्खियां बनने के लिए देते हैं. वो महिलाओं को न्याय नहीं दिलवाना चाहते हैं. आज के दिन महिला आयोग में हजारों केस पेंडिंग हैं. फिर भी सरकार महिला आयोग की अध्यक्ष और बोर्ड का गठन नहीं कर रही है.'- राजेश राठौर, कांग्रेस प्रवक्ता

आए दिन पीड़ित महिलाएं, आयोग के दरवाजे से मायूस होकर वापस लौट जाती हैं. अब यह मामला कोर्ट पहुंच गया है. पटना हाईकोर्ट के अधिवक्ता ओम प्रकाश कुमार ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर दी है.

'विपक्ष के पास कोई मुद्दा नहीं होता है, तो वह इसी तरह के बयान देते रहते हैं. बिहार में मजबूत सरकार बनी है. समय के साथ सब कुछ तय होता है. विपक्ष को चिंता करने की जरूरत नहीं है. आयोग को लेकर सरकार पूरी तरह से सतर्क है और सरकार पूरे मामले को देख रही है.'- अभिषेक झा, जदयू प्रवक्ता

पटना हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई 1 सप्ताह के अंदर हो सकती है. अधिवक्ता ओम प्रकाश कुमार ने बताया कि पीड़ित महिलाएं लोकल थाने में जाती हैं, लोकल थाना महिलाओं को महिला थाने भेज देता है. महिला थाना कानूनी प्रक्रिया न कर सुलह कराने की प्रक्रिया में लग जाती है. ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं.

पटना: महिलाओं को न्याय दिलाने (Justice For Women) के लिए महिला आयोग (Bihar State Women Commission) एक सशक्त संस्था मानी जाती है. लेकिन सरकार के गठन के 8 माह बाद भी अब तक सरकार ने महिला आयोग का गठन नहीं किया है. ऐसे में अब यह मामला पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) पहुंच गया है.

यह भी पढ़ें- पटना: महिला हेल्पलाइन नंबर कार्यालय में लग रहा शिकायतों का अंबार, नहीं हो पा रहा निपटारा

महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए महिला आयोग की भूमिका काफी अहम मानी जाती है. लेकिन फिलहाल बिहार की महिलाओं को त्वरित न्याय नहीं मिल पा रहा है. न्याय पाने के लिए इन्हें थानों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं. दरअसल नई सरकार के गठन के बाद से महिला आयोग का गठन नहीं किया गया है. अध्यक्ष का पद खाली होने के कारण आयोग का सारा कामकाज पिछले 8 महीनों से ठप पड़ा है.

'बिहार राज्य महिला आयोग का कार्यालय 31 अक्टूबर 2020 के बाद बंद पड़ा है. महिला आयोग में अध्यक्ष की नियुक्ति सेक्शन 41 बिहार वूमेन कमीशन 1919 के अंतर्गत होती है. आयोग के गठन को लेकर हमने प्रधान सचिव को भी पत्र लिखा है. बिहार की महिलाएं बहुत पीड़ित हैं, समस्याओं से घिरी हुई हैं, लेकिन उन्हें न्याय नहीं मिल रहा है. मजबूरन हमने पटना हाईकोर्ट में जनहित लोक याचिका दाखिल की है.'- ओम प्रकाश कुमार, अधिवक्ता, पटना हाईकोर्ट

इधर मामला हाईकोर्ट पहुंचते ही प्रदेश का मुख्य विपक्षी दल राजद सरकार पर हमलावर हो गया है. वहीं सत्ताधारी दल के नेताओं का कहना है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सभी चीजों पर नजर बनाए हुए हैं और समय आने पर फैसला लिया जाएगा.

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'एनडीए सरकार में खींचतान की वजह से कई विभाग में कार्य पेंडिंग पड़े हैं. सरकार,आयोग का गठन नहीं कर रही है, क्योंकि जदयू और भाजपा के बीच आयोग में भाग लेने के लिए नेता खींचतान कर रहे हैं. जिसकी वजह से सहमति नहीं बन पाई है. बिहार के मुखिया नीतीश कुमार कहते हैं कि महिलाओं के लिए हमारी सरकार कार्य रही है. लेकिन महिला आयोग का गठन पिछले 8 महीनों से सरकार नहीं कर पाई. इससे साफ है कि सरकार की करनी और कथनी में फर्क है.'- मृत्युंजय तिवारी, राजद प्रवक्ता

31 अक्टूबर 2020 से तत्कालीन महिला आयोग की अध्यक्ष दिलमणि मिश्रा के साथ 7 सदस्यों का कार्यकाल पूरा हो जाने के बाद आयोग को भंग कर दिया गया. विधानसभा चुनाव होने की वजह से आयोग का गठन भी नहीं हो पाया. अब सरकार का गठन हुए लगभग आठ माह हो गए हैं लेकिन अभी तक महिला आयोग का गठन नहीं हो पाया है.

'नीतीश कुमार महिला सशक्तिकरण को लेकर अपना विजन बताते हैं ड्रीम प्रोजेक्ट मानते हैं. लेकिन इस तरह का बयान सिर्फ अखबारों और टीवी चैनलों में सुर्खियां बनने के लिए देते हैं. वो महिलाओं को न्याय नहीं दिलवाना चाहते हैं. आज के दिन महिला आयोग में हजारों केस पेंडिंग हैं. फिर भी सरकार महिला आयोग की अध्यक्ष और बोर्ड का गठन नहीं कर रही है.'- राजेश राठौर, कांग्रेस प्रवक्ता

आए दिन पीड़ित महिलाएं, आयोग के दरवाजे से मायूस होकर वापस लौट जाती हैं. अब यह मामला कोर्ट पहुंच गया है. पटना हाईकोर्ट के अधिवक्ता ओम प्रकाश कुमार ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर दी है.

'विपक्ष के पास कोई मुद्दा नहीं होता है, तो वह इसी तरह के बयान देते रहते हैं. बिहार में मजबूत सरकार बनी है. समय के साथ सब कुछ तय होता है. विपक्ष को चिंता करने की जरूरत नहीं है. आयोग को लेकर सरकार पूरी तरह से सतर्क है और सरकार पूरे मामले को देख रही है.'- अभिषेक झा, जदयू प्रवक्ता

पटना हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई 1 सप्ताह के अंदर हो सकती है. अधिवक्ता ओम प्रकाश कुमार ने बताया कि पीड़ित महिलाएं लोकल थाने में जाती हैं, लोकल थाना महिलाओं को महिला थाने भेज देता है. महिला थाना कानूनी प्रक्रिया न कर सुलह कराने की प्रक्रिया में लग जाती है. ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं.

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