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बिहार की पहली महिला कमांडो की टीम को अब तक नहीं दी गई CM सुरक्षा की जिम्मेदारी, उठ रहे सवाल - etv news in hindi

पहली महिला कमांडो (Bihar First Women Commandos Team) की टीम महाराष्ट्र के मुतखेड से ट्रेनिंग पूरी कर बिहार लौट तो आई है, लेकिन काफी समय बीत जाने के बावजूद आज तक इन्हें न तो वीआईपी सुरक्षा में तैनात किया गया और ना ही विशेष तौर पर गठित एजेंसी में ही. पढ़ें पूरी खबर..

Bihar First Women Commandos Team
Bihar First Women Commandos Team
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Published : Dec 10, 2021, 2:56 PM IST

पटना: बिहार देश पहला ऐसा राज्य है जहां पर पुलिस फोर्स में महिलाओं का प्रतिशत सबसे अधिक है. बिहार में पहली बार महिला पुलिस बल को पुरुषों के जैसे ही कमांडो ट्रेनिंग दिलाई गई है. बिहार पुलिस महिला कमांडो से लैस हो चुकी है. हाल ही में बीएमपी से चयनित होकर कमांडो की ट्रेनिंग करने महाराष्ट्र गई महिला पुलिस बल अब कमांडो ट्रेनिंग के बाद बिहार (Women Commandos Returned To Bihar) लौट चुकी हैं.

यह भी पढ़ें- नक्सलियों और आतंकियों से लोहा लेंगी बिहार की बेटियां, ATS और STF में होंगी तैनात

लेकिन अब तक इन 92 महिला कमांडो को विशेष तौर पर गठित एजेंसी में तैनात (Women Commandos Not Deployed For VIP Security) नहीं किया गया है, जहां पर चुनिंदा पुलिस वालों को ही मौका दिया जाता है. कहीं ना कहीं यह सवाल उठ रहा है कि, इतना समय बीत जाने के बाद भी आखिर क्यों नहीं इन महिला कमांडो को वीआईपी सुरक्षा के साथ, साउथ बिहार की एजेंसी एटीएस, एससी और एसटी एक्ट में पदस्थापित किया गया है. क्या इन महिला पुलिसकर्मियों पर सरकार या पुलिस मुख्यालय भरोसा नहीं जता पा रही है.

बिहार की पहली महिला कमांडो की टीम को जिम्मेदारी मिलने का इंतजार

कहा गया था कि, महिला कमांडो की ट्रेनिंग के बाद उनमें से कुछ महिला कमांडो को स्पेशल सिक्योरिटी ग्रुप यानी एसएसजी में योगदान करने का मौका मिलेगा. एसएसजी मुख्यमंत्री की सुरक्षा संभालती है लिहाजा, यहां के स्थानीय पुलिस अधिकारियों और जवानों को भी तैनात किया जाता है. इसके अलावा कुछ महिला कमांडो को आतंकी गतिविधियों को रोकने के लिए विशेष तौर पर गठित एटीएस में भी शामिल करना था. बाकी बची महिला कमांडो को बिहार पुलिस के स्पेशल टास्क फोर्स एसटीएफ के अलावे लॉ एंड ऑर्डर संभालने के लिए लगाया जाना था.

यह भी पढ़ें- बिहार की पहली महिला कमांडो दस्ता तैयार, CM सिक्योरिटी से ATS तक में होगी तैनाती

बता दें कि, बिहार में पहली बार महिला कमांडो दस्ता तैयार किया गया है. इस दस्ते में शामिल 92 कमांडो को ट्रेनिंग दी गई है. अब वह हर तरह की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार हैं. यह महिला कमांडो आतंकियों या फिर नक्सलियों को मुंह तोड़ जवाब दे सकती हैं और बड़े से बड़े हमलों का सामना कर सकती हैं.

पुलिस मुख्यालय के एडीजी जितेंद्र सिंह गंगवार (ADG Jitendra Singh Gangwar) के मुताबिक बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस की अलग-अलग वाहिनियों से कॉन्स्टेबल महिला पुलिस को चुनकर ट्रेनिंग दी गई है. बिहार सरकार ने महिलाओं पर पूर्ण भरोसा करते हुए समाज में सम्मान दिलवाने के लिए इनका बिहार पुलिस में प्रतिशत बढ़ाया. इसी का नतीजा है कि, पूरे राष्ट्र में बिहार पुलिस फोर्स में महिलाओं की संख्या ज्यादा है. पुलिस मुख्यालय के एडीजी ने बताया कि, इन महिला पुलिस कमांडो को कहां तैनात किया जाएगा समय आने पर पता चलेगा. उन्होंने कहा कि सुरक्षा के दृष्टिकोण से कमांडो को कहां लगाया जाएगा इसकी जानकारी पहले से नहीं दी जा सकती है.

यह भी पढ़ें- लॉकडाउन लागू करवाने सड़क पर उतरीं गर्भवती डीएसपी

"बिहार पुलिस में हर रैंक की गणना करें तो सबसे अधिक महिला पुलिसकर्मी हैं. आगे भी महिलाओं का पुलिस विभाग में रिक्रूटमेंट जारी रहेगा. अलग-अलग यूनिट से महिला सिपाही को चुनकर ट्रेनिंग दिलवाई गई थी. अब उन सभी महिला कमांडो को एकजुट कर एक नई यूनिट बनाई जा रही है. नई यूनिट बनाने के बाद उन्हें जरूरत के हिसाब से लॉ एंड ऑर्डर और जहां भी उनकी जरूरत होगी, वहां पर उन्हें लगाया जाएगा अभी उन्हें रिफॉर्म किया जा रहा है."- जितेंद्र सिंह गंगवार, एडीजी, पुलिस मुख्यालय

बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस बल से चुनी गई इन विरंजक महिला सिपाहियों को महाराष्ट्र के मुतखेड स्थित सीआरपीएफ के सेंट्रल ट्रेनिंग सेंटर में प्रशिक्षण दिया गया था. इस दौरान इन्हें बड़े से बड़े हमलों को नाकाम करने के लिए विशेष तौर पर ट्रेनिंग दी गई है. 3 महीने की ट्रेनिंग के दौरान इन्हें हर चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए तैयार किया गया है. इसमें बड़े से बड़े हमलों को नाकाम करने के लिए विशेष प्रशिक्षण के साथ-साथ छोटे बड़े आधुनिक हथियारों को चलाने की ट्रेनिंग दी गई है, इसके साथ-साथ बिना खाए- पीए जंगल में कैसे 3 से 4 रात बिताया जा सकता है, इसकी भी ट्रेनिंग दी गई है.

आपको बता दें कि, महिला कमांडो बिहार पुलिस की उन एजेंसियों में अपना दमखम दिखाएंगी जहां, तैनाती के लिए किसी भी पुलिस वाले को कड़ी चुनौती से गुजरना पड़ता है. एसएसजी जो कि, मुख्यमंत्री की सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालती है. एसटीएफ और एटीएस में तैनात होने वाले पुलिस अधिकारियों और जवानों को पहले तो इन एजेंसी द्वारा चुना जाता हैं. फिर उन्हें विशेष प्रशिक्षण से गुजरना होता है.

एसएसजी, एसटीएफ और एटीएस जैसी एजेंसियां अपने जरूरत के हिसाब से राज्य सरकार या यूं कहें बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस, पुलिस मुख्यालय से पुलिसकर्मियों की डिमांड करती है. उसी हिसाब से चुनिंदा पुलिसकर्मियों को एसएसजी, एसटीएफ और एटीएस में भेजा जाता है. केंद्रीय सुरक्षा बलो के जैसे ही एटीएस, एसएससी और एसटीएस में हर 3 से 5 साल के बीच में उनका ट्रांसफर किया जाता है.

ड्यूटी के दौरान अक्सर उन्हें ट्रेनिंग से गुजरना पड़ता है. हालांकि सामान्य तौर पर इन एजेंसियों में जॉइनिंग के पहले बिहार पुलिस में से इच्छुक पुलिसकर्मियों से आवेदन मांगा जाता है और आवेदन के बाद साक्षात्कार और उनकी फिटनेस के आधार पर ही उन्हें इन एजेंसियों में लगाया जाता है. इन एजेंसियों में 7 साल तक कोई भी पुलिस पदाधिकारी या कर्मी अधिक से अधिक रह सकता है.

हालांकि इन एजेंसियों में पहली बार किसी महिला कमांडो जो कि, सीआरपीएफ से ट्रेनिंग लेकर आई हो उन्हें लगाया जाएगा. जिस वजह से पुलिस मुख्यालय विचार विमर्श कर रहा है. सभी 92 महिला कमांडो को एकजुट करने के लिए नई यूनिट तैयार की जा रही है. अन्य पुलिसकर्मियों की तुलना में इन एजेंसियों में पुलिस कर्मियों की सैलरी भी अधिक होती है.

पुलिस मुख्यालय के अनुसार कमांडो ट्रेनिंग कर आई सभी 92 महिला पुलिसकर्मी विभिन्न यूनिट से हैं. उन सभी को एकजुट कर यूनिट बनाया जा रहा है. जिसके बाद ही उन्हें अन्य कार्यों में लगाया जाएगा. अब देखना यह होगा कि महिला कमांडो जोकि पुरुषों के जैसे ही ट्रेनिंग प्राप्त कर कमांडो बनी हैं, उन्हें राज्य सरकार कब तक विभिन्न एजेंसियों में लगाती है.

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पटना: बिहार देश पहला ऐसा राज्य है जहां पर पुलिस फोर्स में महिलाओं का प्रतिशत सबसे अधिक है. बिहार में पहली बार महिला पुलिस बल को पुरुषों के जैसे ही कमांडो ट्रेनिंग दिलाई गई है. बिहार पुलिस महिला कमांडो से लैस हो चुकी है. हाल ही में बीएमपी से चयनित होकर कमांडो की ट्रेनिंग करने महाराष्ट्र गई महिला पुलिस बल अब कमांडो ट्रेनिंग के बाद बिहार (Women Commandos Returned To Bihar) लौट चुकी हैं.

यह भी पढ़ें- नक्सलियों और आतंकियों से लोहा लेंगी बिहार की बेटियां, ATS और STF में होंगी तैनात

लेकिन अब तक इन 92 महिला कमांडो को विशेष तौर पर गठित एजेंसी में तैनात (Women Commandos Not Deployed For VIP Security) नहीं किया गया है, जहां पर चुनिंदा पुलिस वालों को ही मौका दिया जाता है. कहीं ना कहीं यह सवाल उठ रहा है कि, इतना समय बीत जाने के बाद भी आखिर क्यों नहीं इन महिला कमांडो को वीआईपी सुरक्षा के साथ, साउथ बिहार की एजेंसी एटीएस, एससी और एसटी एक्ट में पदस्थापित किया गया है. क्या इन महिला पुलिसकर्मियों पर सरकार या पुलिस मुख्यालय भरोसा नहीं जता पा रही है.

बिहार की पहली महिला कमांडो की टीम को जिम्मेदारी मिलने का इंतजार

कहा गया था कि, महिला कमांडो की ट्रेनिंग के बाद उनमें से कुछ महिला कमांडो को स्पेशल सिक्योरिटी ग्रुप यानी एसएसजी में योगदान करने का मौका मिलेगा. एसएसजी मुख्यमंत्री की सुरक्षा संभालती है लिहाजा, यहां के स्थानीय पुलिस अधिकारियों और जवानों को भी तैनात किया जाता है. इसके अलावा कुछ महिला कमांडो को आतंकी गतिविधियों को रोकने के लिए विशेष तौर पर गठित एटीएस में भी शामिल करना था. बाकी बची महिला कमांडो को बिहार पुलिस के स्पेशल टास्क फोर्स एसटीएफ के अलावे लॉ एंड ऑर्डर संभालने के लिए लगाया जाना था.

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बता दें कि, बिहार में पहली बार महिला कमांडो दस्ता तैयार किया गया है. इस दस्ते में शामिल 92 कमांडो को ट्रेनिंग दी गई है. अब वह हर तरह की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार हैं. यह महिला कमांडो आतंकियों या फिर नक्सलियों को मुंह तोड़ जवाब दे सकती हैं और बड़े से बड़े हमलों का सामना कर सकती हैं.

पुलिस मुख्यालय के एडीजी जितेंद्र सिंह गंगवार (ADG Jitendra Singh Gangwar) के मुताबिक बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस की अलग-अलग वाहिनियों से कॉन्स्टेबल महिला पुलिस को चुनकर ट्रेनिंग दी गई है. बिहार सरकार ने महिलाओं पर पूर्ण भरोसा करते हुए समाज में सम्मान दिलवाने के लिए इनका बिहार पुलिस में प्रतिशत बढ़ाया. इसी का नतीजा है कि, पूरे राष्ट्र में बिहार पुलिस फोर्स में महिलाओं की संख्या ज्यादा है. पुलिस मुख्यालय के एडीजी ने बताया कि, इन महिला पुलिस कमांडो को कहां तैनात किया जाएगा समय आने पर पता चलेगा. उन्होंने कहा कि सुरक्षा के दृष्टिकोण से कमांडो को कहां लगाया जाएगा इसकी जानकारी पहले से नहीं दी जा सकती है.

यह भी पढ़ें- लॉकडाउन लागू करवाने सड़क पर उतरीं गर्भवती डीएसपी

"बिहार पुलिस में हर रैंक की गणना करें तो सबसे अधिक महिला पुलिसकर्मी हैं. आगे भी महिलाओं का पुलिस विभाग में रिक्रूटमेंट जारी रहेगा. अलग-अलग यूनिट से महिला सिपाही को चुनकर ट्रेनिंग दिलवाई गई थी. अब उन सभी महिला कमांडो को एकजुट कर एक नई यूनिट बनाई जा रही है. नई यूनिट बनाने के बाद उन्हें जरूरत के हिसाब से लॉ एंड ऑर्डर और जहां भी उनकी जरूरत होगी, वहां पर उन्हें लगाया जाएगा अभी उन्हें रिफॉर्म किया जा रहा है."- जितेंद्र सिंह गंगवार, एडीजी, पुलिस मुख्यालय

बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस बल से चुनी गई इन विरंजक महिला सिपाहियों को महाराष्ट्र के मुतखेड स्थित सीआरपीएफ के सेंट्रल ट्रेनिंग सेंटर में प्रशिक्षण दिया गया था. इस दौरान इन्हें बड़े से बड़े हमलों को नाकाम करने के लिए विशेष तौर पर ट्रेनिंग दी गई है. 3 महीने की ट्रेनिंग के दौरान इन्हें हर चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए तैयार किया गया है. इसमें बड़े से बड़े हमलों को नाकाम करने के लिए विशेष प्रशिक्षण के साथ-साथ छोटे बड़े आधुनिक हथियारों को चलाने की ट्रेनिंग दी गई है, इसके साथ-साथ बिना खाए- पीए जंगल में कैसे 3 से 4 रात बिताया जा सकता है, इसकी भी ट्रेनिंग दी गई है.

आपको बता दें कि, महिला कमांडो बिहार पुलिस की उन एजेंसियों में अपना दमखम दिखाएंगी जहां, तैनाती के लिए किसी भी पुलिस वाले को कड़ी चुनौती से गुजरना पड़ता है. एसएसजी जो कि, मुख्यमंत्री की सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालती है. एसटीएफ और एटीएस में तैनात होने वाले पुलिस अधिकारियों और जवानों को पहले तो इन एजेंसी द्वारा चुना जाता हैं. फिर उन्हें विशेष प्रशिक्षण से गुजरना होता है.

एसएसजी, एसटीएफ और एटीएस जैसी एजेंसियां अपने जरूरत के हिसाब से राज्य सरकार या यूं कहें बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस, पुलिस मुख्यालय से पुलिसकर्मियों की डिमांड करती है. उसी हिसाब से चुनिंदा पुलिसकर्मियों को एसएसजी, एसटीएफ और एटीएस में भेजा जाता है. केंद्रीय सुरक्षा बलो के जैसे ही एटीएस, एसएससी और एसटीएस में हर 3 से 5 साल के बीच में उनका ट्रांसफर किया जाता है.

ड्यूटी के दौरान अक्सर उन्हें ट्रेनिंग से गुजरना पड़ता है. हालांकि सामान्य तौर पर इन एजेंसियों में जॉइनिंग के पहले बिहार पुलिस में से इच्छुक पुलिसकर्मियों से आवेदन मांगा जाता है और आवेदन के बाद साक्षात्कार और उनकी फिटनेस के आधार पर ही उन्हें इन एजेंसियों में लगाया जाता है. इन एजेंसियों में 7 साल तक कोई भी पुलिस पदाधिकारी या कर्मी अधिक से अधिक रह सकता है.

हालांकि इन एजेंसियों में पहली बार किसी महिला कमांडो जो कि, सीआरपीएफ से ट्रेनिंग लेकर आई हो उन्हें लगाया जाएगा. जिस वजह से पुलिस मुख्यालय विचार विमर्श कर रहा है. सभी 92 महिला कमांडो को एकजुट करने के लिए नई यूनिट तैयार की जा रही है. अन्य पुलिसकर्मियों की तुलना में इन एजेंसियों में पुलिस कर्मियों की सैलरी भी अधिक होती है.

पुलिस मुख्यालय के अनुसार कमांडो ट्रेनिंग कर आई सभी 92 महिला पुलिसकर्मी विभिन्न यूनिट से हैं. उन सभी को एकजुट कर यूनिट बनाया जा रहा है. जिसके बाद ही उन्हें अन्य कार्यों में लगाया जाएगा. अब देखना यह होगा कि महिला कमांडो जोकि पुरुषों के जैसे ही ट्रेनिंग प्राप्त कर कमांडो बनी हैं, उन्हें राज्य सरकार कब तक विभिन्न एजेंसियों में लगाती है.

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