पटना: अनलॉक-1 में सोमवार को राजधानी के जमाल रोड स्थित होटल कुणाल इंटरनेशनल में बिहार ड्रग एंड फार्मास्यूटिकल मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन(बीडीपीएमए) की आम सभा आयोजित की गई. लगभग 12 वर्षों बाद ऐसी सभा का आयोजन किया गया. बैठक में शामिल सभी सदस्यों ने सामूहिक रूप से राज्य औषधि नियंत्रक रविंद्र कुमार सिन्हा पर कई आरोप लगाए हैं.
बिहार ड्रग एंड फार्मास्यूटिकल मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के सदस्यों की मानें तो राज्य औषधि नियंत्रक रविंद्र कुमार सिन्हा का व्यवहार काफी असहयोगात्मक है. उन्होंने नियंत्रक की ओर से पिछले 3 सालों से बेवजह परेशान किए जाने का आरोप लगाते हुए उन्हें अविलंब हटाने की मांग की है.
एसोसिएशन अध्यक्ष ने जताई नाराजगी
बीडीपीएमए के अध्यक्ष संजीव राय ने कहा कि इस आपात स्थिति के बीच एसोसिएशन के सदस्यों की आम सभा बुलाई गई, क्योंकि वजह ऐसी थी. उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में बिहार में जो भी दवा और मेडिकल उपकरण के निर्माता हैं, वे सभी राज्य सरकार के राज्य औषधि नियंत्रक रविंद्र कुमार सिन्हा से काफी परेशान हैं. उन्होंने राज्य औषधि नियंत्रक रविंद्र कुमार सिन्हा पर असहयोग का रवैया अपनाने और बेवजह का परेशान करने का आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य में उद्योग चलाने लायक माहौल नहीं दिया जा रहा है. ऐसी स्थिति रही तो सभी ड्रग एंड फार्मास्यूटिकल मैन्युफैक्चरर्स अपना उद्योग बंद कर देंगे. उन्होंने कहा कि सभी ड्रग और फार्मास्यूटिकल मैन्युफैक्चरर्स का मनोबल टूट चुका है.
राज्य औषधि नियंत्रक के रवैए से नाराज हैं सदस्य
एसोसिएशन के अध्यक्ष संजीव राय ने कहा कि राज्य औषधि नियंत्रक के रवैए से एसोसिएशन के सभी सदस्य दुखी हैं. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ड्रग निर्माताओं को सुविधा मुहैया करा रही है मगर राज्य औषधि नियंत्रक के कारण सभी उद्योग संचालक सुविधा से वंचित रह जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि केंद्र की तरफ से आदेश था कि सैनिटाइजर बनाने के लिए जब कंपनी आवेदन दे तो आवेदन पर 3 दिनों के अंदर लाइसेंस मिल जाए. लेकिन, लॉकडाउन के बाद बिहार के 12 निर्माताओं ने सैनिटाइजर बनाने के लिए लाइसेंस के लिए अप्लाई किया था. सारे निर्माताओं के कंपनी का जांच कराया गया और जांच का प्रतिवेदन 27 मार्च तक सबमिट भी हो गया. इसके बावजूद लाइसेंस मिलने में एक महीने लग गए. बाद में हाई कोर्ट की दखल के बाद लाइसेंस मिला.
नियंत्रक के रवैए के कारण हुआ नुकसान
बीडीपीएमए के अध्यक्ष संजीव राय का दावा है कि बिहार के ड्रग निर्माताओं को काफी क्षति हुई है. उन्होंने कहा कि अभी के समय जिस प्रकार से प्रवासी मजदूर बिहार पहुंच रहे हैं, उसमें काफी अच्छे स्किल्ड लोग ड्रग मैनुफैक्चरर्स उद्योग को मिलत सकते थे. लेकिन, राज्य औषधि नियंत्रक का ड्रग निर्माताओं के साथ व्यवहार ऐसा है कि निर्माता अब मैन पावर बढ़ाने के बजाय कंपनी बंद करने पर विचार कर रहे हैं. एसोसिएशन के अध्यक्ष संजीव राय ने बताया कि इस बाबत उन्होंने मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री और उद्योग मंत्री को प्रतिवेदन दिया है. उन्होंने सरकार को चेतावनी दी कि अगर राज्य के औषधि नियंत्रक रविंद्र कुमार सिन्हा को जल्द ही नहीं हटाया गया तो ड्रग एंड फार्मास्यूटिकल मैन्युफैक्चरर्स अपना उद्योग बंद कर देंगे.